अखिलेश यादव जी को नेतृत्व सौंप देने के बाद पछताना ठीक नही.....
-चंद्र भूषण सिंह यादव
श्री मुलायम सिंह यादव (पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष समाजवादी पार्टी /संरक्षक)
नेताजी !
समय सदैव एक सा नही रहता।जो व्यक्ति आज सुपर स्टार है वह कल भी सुपर स्टार बना रहेगा,यह सम्भव नही है।स्थिति-परिस्थिति बदलती रहती है।आज जो शिखर पर है वह कल भी शिखर पर कायम रहेगा,यह कत्तई सम्भव नही है।नेताजी!आपने 78 बसन्त देखे हैं।तमाम उतार-चढ़ाव झेले हैं।एक से एक प्रभावशाली लोगों को बनते-बिगड़ते देखा है फिर नाहक का क्लेश क्यो लिए हुए हैं?
नेताजी !
आपने गांधी जी को देखा है। जिस गांधी ने कांग्रेस को देश मे जंग का हथियार बनाया।जिस गांधी के एक इशारे पर क्रांति की चिनगारी जली और एक इशारे पर बुझी वह गांधी भी कालांतर में कितने कमजोर हो गए थे,यह आपने देखा है।जब सत्ता और संगठन पर नेहरू-पटेल काबिज हो गए तो गांधी जी यह कहने के बावजूद कि मेरी लाश पर भारत-पाकिस्तान बनेगा,गांधी जी की कुछ न चली और देश बंट गया।गांधी जी के प्रति नेहरू और पटेल इतने अगम्भीर हो गए थे कि उनके सुरक्षा तक की कोई सुधि न रही गांधी जी द्वारा निर्मित सरकार के अंदर और प्रार्थना सभा मे वे गोली खाने को मजबूर हुए। गांधी जी ने चुपचाप कांग्रेस के चवन्निया मेम्बरशिप से त्यागपत्र देकर नेहरू-पटेल के जिम्मे कंग्रेस छोड़ दिया।गांधी जी समझ गए कि अब वे बूढ़े हो गए हैं,नेतृत्व नए हाथों में चला गया है इसलिए चुपचाप रहकर खुद की इज्जत बनाये रखी जाए।गांधी जी की वह चुप्पी ही आज उन्हें राष्ट्रपिता बनाये हुए है।यदि गांधी जी ने समय की नजाकत न समझी होती और नेहरू-पटेल से बगावत कर दिए होते तो गांधी आज भारतीय जनमानस के मानस पटल पर अमिट रूप में अंकित न रहते।
नेताजी !
कांग्रेस की इमरजेंसी और इंदिरा जी के क्रूर शासन के बिरुद्ध सम्पूर्ण विपक्ष को एकजुट करने वाले जयप्रकाश नारायण जी गांधी जी के बाद देश के दूसरे ऐसे महापुरुष हैं जिन्होंने सत्ता अपने द्वारा तैयार सँघर्ष की जमीन से लिया पर खुद पद न लेकर दूसरे लोगो को सत्ता सौंप दी लेकिन आप गवाह हैं कि सत्ता पाए लोगो ने जेपी के जनता के नाम सम्बोधन में उल्लिखित किसी बात को पूर्ण नही किया और जेपी खुद की आहुति से निकली सत्ता द्वारा तिरस्कृत हुए परन्तु उन्होंने जब नेतृत्व दूसरों को दे दिया था तो उसे सहज तरीके से स्वीकार कर लिया तभी वे आज भी गैर कांग्रेसी धारा के बीच स्तुत्य हैं और यूपी/बिहार में जेपी का नाम लिए बिना गैर कांग्रेसी धारा की कल्पना नही की जा सकती है।
नेताजी !
आप ने 1992 में समाजवादी पार्टी बनाई और उसे यूपी में शिखर पर पंहुचाया।तमाम दिग्गज लोगो को चरखा दांव लगाते हुए आप सैफई के मुलायम से दुनिया के शीर्ष नेताओं के बीच जोखिम उठाने वाले बहादुर मुलायम के रूप में पहचान बनाये।नेताजी! आपने 2012 में चाहे जिन परिस्थितियों में अपने सुलायक बेटे अखिलेश यादव जी को खुद के नाम पर प्राप्त सत्ता सौंप दी।अखिलेश यादव जी टीपू से टीपू सुल्तान बन गये और यूपी को अपने कौशल से तरक्की की तरफ ले गए। 2016 के अंत मे आप द्वारा पता नही किन कारणों से स्पष्ट रुख न अपनाए जाने से पार्टी में विवाद बढ़ा और वह विवाद 01 जनवरी 2017 को अपने चरम पर आ गया और भारी मन से समाजवादी पार्टी को आपको राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर अखिलेश यादव जी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना पड़ा था।नेताजी! कैसी परिस्थिति जन्म ले ली कि वह टीपू आपके पद को ले लिया जो मुख्यमंत्री रहते सार्वजनिक तौर पर डांट सुन मुस्कुराता रहता था, हाथ से माइक छीन लिए जाने के बावजूद उफ न किया था,मंच से फफक के रो पड़ा था पर आपको कभी उलाहना न दिया था,बचपन मे खुद का नाम अखिलेश रखा था पर आपके समक्ष खड़े होने की हिम्मत न किया था।नेताजी! आपने न चाहते हुए अखिलेश जी से पदोन्नति में आरक्षण का विरोध करवाया,त्रिस्तरीय आरक्षण वापस करवाया पर अखिलेश जी ने अपने राजनैतिक नफा-नुकसान अथवा अपने वर्ग के हित-अनहित का ख्याल किये बिना आपकी बात को मानकर अपनी शाख को दांव पर लगा दिया।नेताजी!अखिलेश जी भले ही मुख्यमंत्री थे पर उनकी हर फाइल आपके नजरो के सामने से होकर गुजरती थी।
अपने मन का सचिव तक नही रख सके थे अखिलेश जी।नेताजी! आपने अनीता सिंह जी को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी की हर कार्यबृत्ति की स्क्रीनिंग हेतु नियुक्त कर रखा था।नेताजी!अखिलेश जी ने जनेश्वर मिश्र पार्क,एक्सप्रेस वे,जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र,मेट्रो,लोक भवन सहित सम्पूर्ण महत्वपूर्ण परियोजनाओं का लोकार्पण आप से ही करवाया फिर भी वे आप द्वारा डांट खाते रहे।नेताजी!ऐसा बेटा कहाँ मिलेगा जो आपकी डांट सुनकर मुस्कुराता रहे और प्रतिक्रिया में कहे कि मुझे पता ही नही चलता कि नेताजी कब राष्ट्रीय अध्यक्ष की भूमिका में तो कब पिता की भूमिका में आ जाते हैं?नेताजी!कुल के बाद जब आपने 2012 में अखिलेश यादव जी को नेतृत्व सौंप दिए तो फिर अब उस नेतृत्वकर्ता अखिलेश यादव जी को ही सजाने-संवारने का काम होना चाहिए न कि रोज-रोज की यह किचकिच कि अब थूका कि तब थूका।नेताजी!अब थूकने का काम बंद होना चाहिए।आपने समर्थ हाथों में जब नेतृत्व सौंप दिया है तो गांधी और जयप्रकाश की तरह भूतकाल की घटनाओं को देखते हुए यथार्थ को समझते हुए अखिलेश यादव जी को अपना स्नेहिल आशीर्वाद दें तथा कुछ लोगो की रोज-रोज की खुजली को मिटा दें।नेताजी!हम जिसे इतिहास कह रहे हैं उसे आपने देखा,जिया और भोगा है।इतिहास गवाह है कि जिस गांधी और जयप्रकाश ने कांग्रेस या जनता पार्टी को जन्म देकर प्राण दिया वही उसके फलदार होने पर किनारे कर दिए गए लेकिन उन लोगो ने खुद को संभाला और देश की राजनीति में आज बिना किसी पद पर रहे पूजनीय इतिहास बना कर चले गए हैं।
नेताजी !
देश बड़े नाजुक दौर से गुजर रहा है।हम सब की छोटी सी चूक हमे गर्त में पँहुचा सकती है।हम सबको समय की नजाकत को भांपते हुए अखिलेश यादव के नेतृत्व को मजबूत करते हुए खुश होना चाहिए कि इतना सुलायक पुत्र है आपके पास पर नेताजी शरीफ से शरीफ आदमी बेवजह डंडा करने से विद्रोह कर जाता है जो होता तो आत्मघाती ही है।
नेताजी !
अब आपको इतिहास बनाने हेतु प्रयत्नशील होना चाहिए।लेखन,उद्बोधन आदि में नीतिगत बातें आनी चाहिए।सामाजिक न्याय का एजेंडा प्रभावशाली भूमिका में होना चाहिए।नेताजी!अखिलेश यादव जी आपके लिए एक आदर्श पुत्र हैं जो आपका नाम लेते ही आंखों से डबडबा जाते हैं।नेताजी!आप भी गांधी जी और जेपी जी की तरह सत्ता को अखिलेश यादव जी को सौंपने के बाद नीति,कार्यक्रम,विचार आदि पर जमकर प्रशिक्षण चलाइये।भारतीय जनता पार्टी का मोहरा बन व बना रहे लोगो से सतर्क हो अपना इतिहास बनाईये और यूपी से देश मे परिवर्तन का आगाज करिए।
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लखनऊ में डबल मर्डर से सनसनी, रिटायर्ड सूबेदार की बेटियों की दिनदहाड़े हत्या :
लखनऊ में पत्नी को लेकर अस्पताल गए रिटायर्ड सूबेदार के दो बेटियों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। घटना की वजह अभी तक पता नहीं चल सकी है, पुलिस अधिकारी मौके पर जांच कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, पारा के रामविहार में रहने वाले रिटायर्ड सूबेदार लालबहादुर सिंह मंगलवार सुबह अपनी पत्नी रेनू सिंह को लेकर कमांड अस्पताल गए थे। लौटे तो उनकी 24 साल की बेटी आरती और बेटी सोनम (16) किचन में खून से लथपथ मिलीं। दोनों को कमांड अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
हत्या की वजह अभी तक पता नहीं चल सकी है। किचन और बरामदे में खून बिखरा था। छोटी बेटी के कपड़े अस्त-व्यस्त थे वहीं बड़ी बेटी के हाथ में बाल मिले हैं जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि मरने से पहले संघर्ष हुआ होगा। दोनों बेटियों के गले में घाव हैं, माना जा रहा है कि किसी ब्लंट चीज से वार किया गया है। लड़की के कमरे मे बेड पर कपड़ों का बक्सा बिखरा मिला है।
आरती बड़ी और सोनम छोटी थी। आरती से छोटा भाई आशुतोष है जो बाराबंकी में रहता है। पुलिस मामले की जांच पड़ताल कर रही है. -------------------------
यूपी में बीजेपी नेताओं और पुलिस के बीच बढ़ता टकराव
उत्तर प्रदेश में पिछली सरकार को क़ानून-व्यवस्था के नाम पर घेरने वाली भारतीय जनता पार्टी अब राज्य में अपनी सरकार होने के बावजूद क़ानून-व्यवस्था के नाम पर ख़ुद घिरती चली जा रही है.
सरकार बने अभी दो दिन महीने भी नहीं हुए हैं और खादी (बीजेपी और संघ परिवार के नेताओं) और खाकी (पुलिस) के बीच ज़ुबानी संघर्ष ही नहीं बल्कि कई बार हिंसक संघर्ष तक की नौबत आ चुकी है.
गोरखपुर में आईपीएस अधिकारी चारु निगम और स्थानीय विधायक राधा मोहन अग्रवाल के बीच जो कुछ हुआ, वो उसी संघर्ष का एक हिस्सा है.
राज्य में नई सरकार बनने के बाद से ऐसे तमाम उदाहरण सामने आए हैं जिनमें बीजेपी नेताओं ने क़ानून-व्यवस्था संभाल रहे पुलिस अधिकारियों के साथ कथित तौर पर बदसलूकी की है.
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मेरठ
घटना आठ अप्रैल की है. आरोप है कि मेरठ में बीजेपी नेता संजय त्यागी पुलिस से सिर्फ़ इसलिए उलझ गए क्योंकि उनके बेटे को गाड़ी में हूटर लगाने से मना किया गया और बेटे को थाने से ज़बरन छुड़ाने के लिए थाने पर भी जमकर हंगामा किया गया.
बीजेपी नेता के बेटे को छोड़ दिया गया और पुलिस अधिकारी को वहां से हटा दिया गया.
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सहारनपुर
22 अप्रैल को सहारनपुर में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक यानी एसएसपी की ग़ैरमौजूदगी में उनके आवास पर क़रीब चार-पांच सौ लोगों ने हमला कर दिया. एसएसपी लव कुमार की पत्नी ने बताया कि उनके दोनों बच्चे ख़ौफ़ में कई घंटे बंधक बने रहे.
मामले में सहारनपुर के सांसद राघव लखनपाल, उनके भाई और देवबंद से बीजेपी विधायक ब्रजेश समेत तमाम लोगों को नामज़द किया गया था लेकिन इनमें से किसी नेता के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं हुई.
हां, राघव लखनपाल लगातार आरोप लगा रहे थे कि एसएसपी लव कुमार पिछली सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं. इसका नतीजा ये हुआ कि लव कुमार को एसएसपी सहारनपुर के पद से हटा दिया गया.
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फ़तेहपुर सीकरी
22 अप्रैल को आगरा के पास फ़तेहपुर सीकरी में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमा वापस लेने और इंस्पेक्टर को हटाने की मांग को लेकर थाने पर प्रदर्शन हुआ. बाद में पुलिस के साथ जमकर संघर्ष हुआ. इस दौरान एक नेता ने सीओ पर भी हाथ छोड़ दिया और एक दारोगा की मोटर साइकिल में आग लगा दी गई.
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बाराबंकी
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से लोकसभा सांसद प्रियंका सिंह रावत ने पिछले दिनों पुलिस अधिकारियों को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया. पुलिसवालों का व्यवहार उन्हें जब पसंद नहीं आया तो मीडिया के सामने ही धमकी दे डाली और कहा, ''मैं सारी मलाई बाहर निकाल लूंगी और खाल भी खिंचवा लूंगी.''
प्रियंका रावत जब ये बयान दे रही थीं, उस समय पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी भी वहां मौजूद थे.
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शाहजहांपुर
शाहजहांपुर ज़िले में बीजेपी नेता मनोज कश्यप समर्थकों के साथ पुलिस वालों को थाने में चूड़ियां पहनाने पहुंच गए. कश्यप ने थाने के कोतवाल को चूड़ियां पहनाने की कोशिश भी की.
इससे पहले मनोज कश्यप द्वारा कोतवाल को जान से मारने की धमकी का कथित वीडियो भी वायरल हुआ था. इन सबके बावजूद इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
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गोरखपुर
ताज़ा मामला गोरखपुर का है जहां बीजेपी के वरिष्ठ नेता और स्थानीय विधायक राधा मोहन अग्रवाल ने आईपीएस अधिकारी और गोरखनाथ इलाक़े की क्षेत्राधिकारी चारु निगम को इस क़दर डांटा कि उनकी आंख से आँसू निकल पड़े.
ये वीडियो न सिर्फ़ ज़बर्दस्त वायरल हुआ बल्कि चारू निगम ने इस बाबत फ़ेसबुक पर टिप्पणी भी की कि उनके आँसुओं को उनकी कमज़ोरी न समझा जाए.
आईपीएस एसोसिएशन को आपत्ति
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यहां तक कि आईपीएस एसोसिएशन ने भी इसे गंभीरता से लिया है और सरकार से इस बारे में आपत्ति दर्ज करा चुका है.
उत्तर प्रदेश आईपीएस एसोसिएशन के महासचिव प्रकाश डी ने बीबीसी को बताया, "हम लोगों ने मुख्य सचिव से मुलाक़ात की है और उन्हें इस बात से अवगत कराया है कि अधिकारियों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को गंभीरता से लिया जाए और ऐसा करने वालों को दंडित किया जाए."
हालांकि प्रकाश डी ने इस सवाल पर कोई टिप्पणी नहीं की कि कथित दुर्व्यवहार के बावजूद अधिकारियों का ही तबादला क्यों हो रहा है?
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