जब जब व्यक्ति का गुणगान किया जाता है तब तब उसके कर्मों को भुलाने का प्रयास किया जाता है : इसी तरह के कार्यक्रम की रिपोर्ट हुयी है जो बिलकुल ही अलग है पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्र शेखर के व्यक्तित्व से; समाजवादी मूल्य क्या होता है क्या माननीय मंत्री जी को पता है, सिद्धांतों की तो बात ही मत करिए. जीवन में केवल और केवल ठगना और धोखा देना ही समाजवादी मूल्य है तो यही सिद्धांत भी होगा . इसी की जुगत में लगे ये नेता जिले के तमाम समाजवादियों के 'खून' पी गए हैं यही कारण है की ये सब अब समाजवाद के सिद्धांत पर भाषण करते घूम रहे हैं . इन समाजवादियों पर आप जांच बैठा दें तो देखेंगे की इनकी आमदनी और संपत्ति का अनुपात ये बताएगा की ये समाजवादी हैं या पूंजीवाद के चाकर !
Apr 17, 08:13 pm
जौनपुर: समाजवादी मूल्यों व उसके सिद्धांतों के पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर सच्चे संवाहक रहे। वे देश के निर्विवाद नेता के रूप में जाने जाते रहे।
उक्त बातें प्रदेश के लघु सिंचाई, पशु धन विभाग के मंत्री पारसनाथ यादव ने कही। वे मंगलवार को टीडी कालेज में पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की 86वीं जयन्ती पर आयोजित समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि चन्द्रशेखर द्वारा स्थापित आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए उनके अत्यधिक करीबी रहे प्रदेश के पूर्व मंत्री ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने उनसे जुड़े कई संस्मरण सुनाये। इस मौके पर पूर्व कुलपति प्रो.कीर्ति सिंह, पूर्व विधायक रघुराज सिंह, प्रबंधक अशोक कुमार सिंह, पूर्व विधायक सुरेन्द्र प्रताप सिंह, वशिष्ठ नारायण सिंह, दुष्यन्त सिंह एडवोकेट, सत्य नारायण सिंह एडवोकेट, डीआर सिंह, राजीव प्रकाश सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की।
उधर सपा कार्यालय में आयोजित पूर्व प्रधानमंत्री के जयन्ती समारोह की अध्यक्षता पार्टी जिलाध्यक्ष राज बहादुर यादव ने की।
इसमें पूर्व विधायक लाल बहादुर यादव ने कहा कि युवा तुर्क के रूप में विख्यात चन्द्रशेखर संघर्षो के पर्याय थे। देश की दशा व दिशा तय करने में उनके विचार काफी अहमियत रखते थे। संचालन महासचिव मेंहदी रजा एडवोकेट ने किया। इस मौके पर डा.अवधनाथ पाल, मेवालाल यादव, प्रभानन्द यादव, राजेन्द्र टाइगर, नन्दलाल यादव, श्याम बहादुर पाल, दीपक सिंह माण्टो आदि ने पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की।
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'सिर पर तनी हो बंदूक तो कैसे बचाएगा लैपटॉप' | |||||||||||||||||||||
नई दिल्ली/एजेंसी | |||||||||||||||||||||
Story Update : Wednesday, April 18, 2012 1:29 AM | |||||||||||||||||||||
सरकारी खर्च पर चुनाव के मुद्दे पर बढ़ते बहस के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी (सीईसी) ने मंगलवार को कहा कि इस पर तभी विचार किया जा सकता है जब राजनीतिक पार्टियों में पूरी तरह से वित्तीय पारदर्शिता और आंतरिक लोकतंत्र आ जाएगा। साथ ही कुरैशी ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि निकट भविष्य में ऑन लाइन वोटिंग हकीकत बन पाएगी।
एक कार्यक्रम के दौरान कुरैशी ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों में लोकतंत्र स्थापित होने से पहले सरकारी खर्च पर चुनाव कराने के बारे में नहीं सोचा जा सकता। कुरैशी ने पहले भी कभी सरकारी खर्च पर चुनाव कराने के पक्ष में विचार व्यक्त नहीं किया है। उनका मानना है कि मौजूदा स्थिति में ऐसा किया जाता है तो चुनाव में काले धन का उपयोग और बढ़ जाएगा। दूसरी ओर, कुरैशी ने कहा कि ऑन लाइन वोटिंग तकनीक हमारे लिए बच्चों के खेल के समान हैं, क्योंकि हम आईटी के क्षेत्र में सुपर पॉवर हैं। इसके बावजूद ऐसा नहीं लगता कि ऑन लाइन वोटिंग निकट भविष्य में हकीकत बन पाएगी। सीईसी ने कहा कि आम आदमी की सुरक्षा और ईमानदारी हमारे लिए मुख्य विषय हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई आपके सिर पर बंदूक रख कर अपने पक्ष में मतदान करने को कहता है तो फिर आप क्या करेंगे। ऐसी स्थिति में आपका लैपटॉप आपकी सुरक्षा नहीं कर पाएगा। ऐसा भी हो सकता है कि कोई आपके पास आए और पांच हजार रुपये देकर अपने पक्ष में वोटिंग करने को कहे, तो हो सकता है कि लोगों का ईमान बदल जाए। कुरैशी ने कहा कि इन सभी संभावनाओं की काट खोजे बगैर ऑन लाइन वोटिंग की सुविधा लागू नहीं की जा सकती। ...................................
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