हो सकता है कि नेता जी ने कांग्रेस से मिलकर सही ही किया हों पर राजनितिक जानकर इसको ठीक नहीं कहेंगे, क्योंकि कांग्रेस पार्टी अब भारतीय पार्टी नहीं है यह अंतर्राष्ट्रीय पार्टी हो गयी है अतः अब कांग्रेस से कोई भारतीय यदि कोई उम्मीद करे तो बेमानी ही है - भ्रष्टाचार के मामले पर, महगाई के मामले पर कोई कंट्रोल यह पार्टी या उसकी सरकार लगाने जा रही है तो यह सोचना भी बेवकूफी ही होगी, क्योंकि इसमें लूटेरों ने अच्छे लोगों को किनारे लगा दिया है और इस कांग्रेस की नयी मालकिन की ऐसी ही इच्छा भी होगी, इसीलिए मेरा मानना है की नेता जी ने कांग्रेस के साथ नजदीकी दिखाकर दूरगामी परिणाम वाला काम नहीं किया हैं. और वो भी तब जब यह जहाज डूबने के कगार पर खड़ा हो.-डॉ.लाल रत्नाकर
अब पछताए होत क्या
जब चिड़िया चुंग गयी खेत-
सीबीआई और आयकर से डराती है कांग्रेस: मुलायम
लखनऊ/ब्यूरो | Last updated on: February 7, 2013 12:07 AM IST
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने केंद्र सरकार और कांग्रेस पर लोगों को निराश करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस व केंद्र सरकार के पास सिर्फ दो मुद्दे हैं, सीबीआई के जरिये विपक्ष को धमकाना और इनकम टैक्स के बहाने आर्थिक आधार पर दबाना। दोनों एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है।
कांग्रेस को देश की चिंता नहीं। कांग्रेस के राज में महंगाई बेकारी और भ्रष्टाचार बढ़ा है। केंद्र की नीतियों से किसान बर्बाद हुआ है। उन्होंने कहा कि केंद्र से समर्थन वापसी पर पार्टी उचित समय पर निर्णय लेगी। मुलायम ने यह भी स्वीकार किया कि न्यूक्लियर डील पर केंद्र सरकार को बचाने से सपा का नुकसान हुआ है।
सपा मुखिया बुधवार को यहां पार्टी मुख्यालय पर कुछ न्यूज चैनल के सवालों का जवाब दे रहे थे। मुलायम ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ एक परिवार की पार्टी है। कांग्रेस पर सिर्फ गांधी परिवार का शासन चलता है। उसकी कोई नीति नहीं है। न्यूक्लियर डील पर केंद्र सरकार को बचाने के कारण सपा को नुकसान हुआ।
सपा अगर केंद्र सरकार को नहीं बचाती तो सरकार चली जाती पर, देशहित में नुकसान उठाकर सपा ने केंद्र को समर्थन दिया। लोकसभा का चुनाव व्यक्ति नहीं मुद्दों के आधार पर होगा। तीसरा मोर्चा ताकतवर होकर उभरेगा और बहुमत मिलेगा। कहा कि देश की जनता भाजपा-कांग्रेस से मुक्ति चाहती है। चुनाव में दोनों दल धराशायी होंगे।
केंद्र में गैर भाजपा-गैर कांग्रेस की सरकार बननी चाहिए। सपा नीतियों पर चलती है और सांप्रदायिकता विरोधी है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर व हिंदुत्व का मुद्दा अब चुनावी मुद्दा नहीं बन पाएगा। भाजपा को भी यह बात समझ में आ रही है।
प्रधानमंत्री बनने के बारे में अभी से क्या कहूं
प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी से कुछ नहीं कह सकता। उन्होंने कहा कि अखिलेश सरकार के कामकाज से वह खुश हैं। मुलायम ने दुख जताया कि वह चौधरी चरण सिंह के रहते मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। चौधरी साहब उन्हें 1977 में ही मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे, पर कुछ कारणों से यह नहीं हो सका।
कांग्रेस को देश की चिंता नहीं। कांग्रेस के राज में महंगाई बेकारी और भ्रष्टाचार बढ़ा है। केंद्र की नीतियों से किसान बर्बाद हुआ है। उन्होंने कहा कि केंद्र से समर्थन वापसी पर पार्टी उचित समय पर निर्णय लेगी। मुलायम ने यह भी स्वीकार किया कि न्यूक्लियर डील पर केंद्र सरकार को बचाने से सपा का नुकसान हुआ है।
सपा मुखिया बुधवार को यहां पार्टी मुख्यालय पर कुछ न्यूज चैनल के सवालों का जवाब दे रहे थे। मुलायम ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ एक परिवार की पार्टी है। कांग्रेस पर सिर्फ गांधी परिवार का शासन चलता है। उसकी कोई नीति नहीं है। न्यूक्लियर डील पर केंद्र सरकार को बचाने के कारण सपा को नुकसान हुआ।
सपा अगर केंद्र सरकार को नहीं बचाती तो सरकार चली जाती पर, देशहित में नुकसान उठाकर सपा ने केंद्र को समर्थन दिया। लोकसभा का चुनाव व्यक्ति नहीं मुद्दों के आधार पर होगा। तीसरा मोर्चा ताकतवर होकर उभरेगा और बहुमत मिलेगा। कहा कि देश की जनता भाजपा-कांग्रेस से मुक्ति चाहती है। चुनाव में दोनों दल धराशायी होंगे।
केंद्र में गैर भाजपा-गैर कांग्रेस की सरकार बननी चाहिए। सपा नीतियों पर चलती है और सांप्रदायिकता विरोधी है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर व हिंदुत्व का मुद्दा अब चुनावी मुद्दा नहीं बन पाएगा। भाजपा को भी यह बात समझ में आ रही है।
प्रधानमंत्री बनने के बारे में अभी से क्या कहूं
प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी से कुछ नहीं कह सकता। उन्होंने कहा कि अखिलेश सरकार के कामकाज से वह खुश हैं। मुलायम ने दुख जताया कि वह चौधरी चरण सिंह के रहते मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। चौधरी साहब उन्हें 1977 में ही मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे, पर कुछ कारणों से यह नहीं हो सका।
.........................................................( साथियों यह मैंने तब लिखा था जब नेता जी की नज़दीकियाँ
कांग्रेस से दिखाई देने लगी थी, अंदरखाने क्या चलता है राजनीती में वह तो अलग ही है ! पर खुल्लम खुल्ला
कांग्रेस का साथ करोरों लोगों की इक्षाओं के विपरीत था पर ..हम सोचते रहें उन्हें क्या फरक पड़ता है।)
अब सवाल यह है की सारी पार्टियाँ अपने आतंरिक संकटों की शिकार हैं शसक्त विरोध का सामना कर रही
हैं। ऐसे में देश संभालने की हिम्मत करने का साहस जैसे भाजपा दिखाना शुरू किया है, उससे तो लगता है की जनता का बड़ा वर्ग भी यह मानता नजर आये की है तो यही बड़े दल की स्थिति में यह दल ही खड़ा भी हो
सकता है !
जरा गौर करिए इस खबर पर जो आज अमर उजाला लिख रहा है
- रत्नाकर
- रत्नाकर
‘मुलायम को भोज में बुलाकर सरकार ने किया धोखा’ | |||||||||||||||||||||
नई दिल्ली/अमर उजाला ब्यूरो | |||||||||||||||||||||
Story Update : Saturday, May 26, 2012 12:09 AM | |||||||||||||||||||||
मुलायम सिंह यादव को यूपीए सरकार के रात्रि भोज पर बुलाकर कांग्रेस ने भले ही राजनीतिक बढ़त हासिल कर ली हो लेकिन एक दिन बाद पेट्रोल के दाम बढ़ने से यह बढ़त धुलती दिख रही है। समाजवादी पार्टी ने इसे लेकर सरकार पर धोखा करने का आरोप लगाया है।
सपा का कहना है कि रात्रि भोज पर तो सरकार ने बुलाया मगर यह नहीं बताया कि वह अगले दिन जनता की कमर तोड़ देगी। यह सहयोगी दलों के साथ सीधा विश्वासघात है। यही नहीं, सपा ने संकेत दिया है कि उत्तर प्रदेश सरकार भी पेट्रोल पर लगने वाले टैक्स में अपनी तरफ से कुछ कटौती कर सकती है। सपा के वरिष्ठ नेता मोहन सिंह ने अमर उजाला को कहा कि समाजवादी पार्टी को जब भी भोज में बुलाया गया है। वह हमेशा गई है। मगर इस बार फर्क इतना पड़ा कि सरकार ने अपने तीन साल का जश्न मनाने के ठीक अगले दिन भी पेट्रोल के बेतहाशा दाम बढ़ा दिए। इसकी भनक तक पड़ने नहीं दी। यूपीए सरकार ने सहयोगी दलों और बाहर से समर्थन दे रहे दलों के साथ सीधा विश्वासघात किया है। उन्होंने कहा कि दाम बढ़ाना गरीब जनता के साथ तबाही का सबब है। तीन करोड़ की कार वाला भी और दो पहिया चलाने वाला भी बढ़ी हुई एक ही कीमत चुका रहा है। यह कोई बात नहीं।मोहन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को इस मसले पर सर्वदलीय बैठक बुलाकर विचार करने के बाद ही वृद्घि करनी चाहिए थी। मोहन सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को कुछ करना ही पड़ेगा। क्योंकि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में दामों में इतना ज्यादा अंतर है। ऐसे में दिल्ली की सीमा से जुड़े पेट्रोल पंप तो खाली हो जाएंगे और साथ ही राज्य को वैट का भी नुकसान होगा। व्यावसायिक गतिवधियां भी प्रभावित होगी।
.........................................................
अतः अब यदि राजनितिक चेतना सपा के पास नहीं है तो यह समझना चाहिए की उत्तर प्रदेश सरकार बदलाव नहीं यथास्थिति की सरकार हो जायेगी जो किसी तरह काम चलाऊ सरकार जैसा काम करेगी और जनता का विश्वास खो देगी की यह कोई बड़ा परिवर्तन भी करने जा रही है .
आज जो भी इस सरकार के आस पास हैं सबके सब किसी न किसी चौकड़ी से घिरे हैं अस्तु उनके निरपेक्ष उद्येश्य न होकर समनानतर सर्कार चलाने के हैं .
सोनिया ने मुलायम-ममता को किया अलग
नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। सपा का मन वैसे तो शुरू से प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति के पद पर देखने का था, फिर भी कांग्रेस की तरफ से उसकी अनदेखी उस पर भारी पड़ गई थी। ममता बनर्जी और मुलायम सिंह यादव ने मिलकर राष्ट्रपति पद के लिए कलाम, मनमोहन और सोमनाथ चटर्जी के नाम का एलान क्या किया कि कांग्रेस के हाथ-पांव ही फूल गए। सपा से रिश्तों को पटरी पर लाने की कमान भी खुद सोनिया को संभालनी पड़ी। सोनिया को मुलायम को मनाने में समय जरूर लगा, लेकिन आखिर में वह प्रणब के नाम पर मान गए।
राष्ट्रपति चुनाव में सपा की भूमिका को लेकर पहली बार कांग्रेस की आंख तब खुली, जब मुलायम ने बुधवार को ममता के साथ प्रेस कांफ्रेंस में कलाम समेत तीन नामों का एलान किया। प्रेस कांफ्रेंस के बाद तनाव में आई कांग्रेस के रणनीतिकारों ने महज कुछ घंटों के भीतर ही मुलायम को मनाना शुरू कर दिया। देर रात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ उनकी बैठक तक तय हो गई।
सूत्रों की मानें तो बुधवार देर रात सोनिया से हुई मुलाकात में मुलायम ने कांग्रेस की तरफ से हो रही अनदेखी का सवाल उठाया। यहां दोनों के बीच बातें तो बहुत हुई, लेकिन नतीजे मुकाम तक नहीं पहुंचे। वजह शायद यह रही कि बैठक में सोनिया के अलावा और भी रणनीतिकार मौजूद थे। बात अधूरी जरूर रह गई। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव पर एक समझ जरूर बनती दिखी। यही वजह है कि गुरुवार की शाम ममता बनर्जी जब फिर मुलायम के आवास पहुंचीं तो उन्हें पहले जैसी गर्माहट वहां नहीं दिखी। जबकि, मुलायम के घर से ममता के जाने के कुछ देर बाद ही प्रणब पर मुलायम को राजी करने की कोशिशें फिर तेज हो गई। सोनिया व मुलायम गुरुवार को देर रात फिर मिले। इस बार सिर्फ यही दोनों थे। लिहाजा खुलकर बात हुई और मुलायम के सारे गिले-शिकवे दूर हो गए।
सोनिया और मुलायम के बीच बैठकों का ही असर था कि शुक्रवार को सपा ने खुद तो प्रणब के समर्थन का एलान किया ही, सभी दलों से उन्हें निर्विरोध चुने जाने की अपील कर दी। सपा महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा कि प्रणब को संप्रग का प्रत्याशी घोषित होने के साथ पिछली सारी बातें खत्म। सपा उनका समर्थन करेगी। दूसरे दलों, यहां तक कि मेरी समझ से ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को भी उनका समर्थन करना चाहिए। नामांकन के लिए अभी बहुत समय है। उम्मीद है कि प्रणब निर्विरोध चुने जाएंगे।
|
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें