समाजवादी पार्टी का सामाजिक न्याय
-डॉ लाल रत्नाकर
चलिए माना की अखिलेश जी को भाजपा ने बता दिया की वह भी पिछड़े हैं ? और उन्हें याद आया पिछड़ों के लिए सामाजिक न्याय शब्द ! देर आये दुरुस्त आये ? लेकिन यह विश्लेषण करने का मुद्दा है की उनको समाजवाद की समझ भी है क्या क्योंकि बहुतेरे वरिष्ठ समाजवादियों को उन्होंने किस तरह से समाजवादी पार्टी से बहार जाने को बाध्य ही नहीं किया अपमानित भी किया ? यह सब उन्होंने भाजपा समर्थकों की फौज के देख रेख में किया इसका खामियाज़ा तो वह भुगत चुके हैं 2017 में ही अब सवाल यह है की बहुजन समाज का सर्वजन अभियान और इनका सवर्ण मोह किस तरह के समाजवाद का ढकोसला कर रहा है।
"सामाजिक न्याय से महापरिवर्तन : एक नयी दिशा, एक नयी उमीद !
ग़रीबी के ख़िलालाफ़ लड़ाई एक धोखा है जब तक जाति और लिंग केआधार पर भेदभाव के खिलाफ़ लड़ाई ना हो — डॉ राममनोहर लोहिया"
अखिलेश जी सामाजिक न्याय की समझ और आपके विजन डाक्यूमेंट 2019 को पढ़ते हुए एक बहुत बड़ा धोखा दिखाई दिया ? क्या वास्तव में आपका ह्रदय परिवर्तन हो गया है और यदि ऐसा है तो यह सब परिवर्तन "निरहुआ" के चलते तो नहीं हुआ। क्योंकि इस बीच न जाने क्यों हमने निरहुआ की बहुतेरी फ़िल्में देखीं जब तक वह भाजपा में नहीं गया था।
जैसे ही उसके भाजपा में जाने की खबर आयी आश्चर्य हुआ की वह आपको पसंद नहीं किया उसे भाजपा क्यों पसंद आयी ? उसकी फिल्मों में भी एक सामाजिक सरोकार है और जिसमें वह हमेशा जितता है सामाजिक अन्यायियों से ?
सामाजिक न्याय और पिछड़ी जातियों की हिस्सेदारी : का सवाल आपके शासनकाल में बहुत गहरे से उभर कर आया था जब आपने शिक्षा के क्षेत्र में सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी सिद्धार्थ नगर ( बस्ती के विश्वविद्यालय जिसमें सतप्रतिशत ब्राह्मणों की ही नियुक्ति की गयी थी) को छोड़कर एक भी नियुक्ति नहीं करा पाए थे। उच्च शिक्षा सेवा आयोग आपके पांच वर्ष के शासन के समय में एक भी नियुक्ति नहीं कर पाया।
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ठप्प पड़ा रहा केवल इस अफवाह के की शतप्रतिशत यादवों का चयन किया गया है आप सच्चाई का एक भी विज्ञापन नहीं दे पाए। जो लोग सामाजिक न्याय की आपसे बात करते थे उनको सवर्ण नाराज हो जाएगा का डर दिखाकर आपने अनसुना कर दिया।
यश भारती में "सामाजिक न्याय की याद आपको क्यों नहीं आयी क्या वास्तव में आपको ज्ञान भी है की पिछड़ों में आपके दिए गए यशभारती धारकों से कई गुना काबिल लोग हैं जिनको आप पसंद भी नहीं करते" पत्रकार, चित्रकार, समाज सेवक आदि आदि।
आपने अपने पूरे कार्यकाल में सामाजिक न्याय वाली जातियों के अफसरों की कितनी उपेक्षा की है क्या इसका संज्ञान है आपको।
चलिए सामाजिक न्याय की जातियों की राजनैतिक हैसियत में गायत्री प्रसाद प्रजापति को छोड़ दिया जाय तो आपने उन्हें कितना अपमानित किया है ज़रा गौर से सोचियेगा ?
सामाजिक न्याय की जातियों के पत्रकारों की एक सूचि निकलवा लीजियेगा कितने उन जातियों के पत्रकारों को अपने शासनकाल में आपने अवसर दिया है ज़रा गौर करियेगा ।
"यादव रेजिमेंट के बारे में आपने घोषणा की है बधाई आपको ।”
पर गुजरात की भी याद आपको है यथा "हम राजनितिक फायदे के लिए सेना और सैनिकों के इस्तेमाल को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करेंगे।साथ ही उन सभी राज्यों में रेजिमेंट की स्थापना करेंगे जहाँ वर्तमान में रेजिमेंट नहीं है। हम अहीर बख्तरबंद रेजिमेंट और गुजरात इन्फेंट्री रेजिमेंट की स्थापना करेंगे।”
अंत में यही कहना चाहूंगा की यह समय आपको उत्तर प्रदेश से भाजपा को साफ़ करने के लिए जनता ने अवसर दिया है। आपने बसपा को साथ लेकर भी अच्छा सन्देश दिया है। अनेक राजनितिक मज़बूरिया हो सकती है पर आपने अपने घोषणा पत्र में जितना स्थान "भाजपा" को दिया है उतना न तो बसपा या अपने किसी भी सहयोगी और उसकी नीतिओं को ही।
इसे पढ़कर तो यही लगता है कि किसी भाजपाई टीम ने ही इसे तैयार किया है।
चलिए अब यह देखना है कि आपका नया सामाजिक न्याय कैसा होगा ?
सामाजिक न्याय पर कभी संगोष्ठी जरूर कराईये बहुतेरे बहुजन इसपर बोलना जानते हैं जिन्हे आप यशभारती के लायक भी नहीं समझे हैं ?
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