30 मई 2021

डॉ. मनराज शास्त्री जी का असामयिक निधन


डॉ. मनराज शास्त्री जी का असामयिक निधन
+डा लाल रत्नाकर  


अपूरणीय क्षति।
सांस्कृतिक सरोकारों और समाज के पुरोधा डॉ. मनराज शास्त्री जी का असामयिक निधन न जाने कितनों को विस्मृत कर गया। चंद दिनों पहले की बात है वह हम लोगों के बीच में समाज के लिए जिस तरह से चिंतित थे और उनका हर पल समाज निर्माण के लिए बीत रहा था जैसा कि उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर भी लिखा था कि थोड़े दिनों से वह जुकाम से परेशान हैं और स्वस्थ होते ही फिर से वह सक्रिय हो जाएंगे।
परसों सुबह से ही मैं यह जानने में लगा था कि वह स्वस्थ क्यों नहीं हो रहे हैं मेरी उनके पुत्र श्री राजेश जी से बात हुई और यह पता चला कि ऑक्सीजन मीटर से उनकी ऑक्सीजन की जो माप हुई है वह बहुत कम हो गई है 75/76 पर वह ऑक्सीजन सैचुरेशन आ गया है उन्हें सांस लेने की दिक्कत बढ़ती जा रही थी यह स्थिति हमने अपने son-in-law डॉ. वीरेंद्र को बताया उन्होंने कहा कि तुरंत उन्हें आईसीयू में ले जाना चाहिए।
मैंने यह बात उनके बेटे को कहा उनके नाती को कहा वह लोग शाहगंज में जितना कर सकते थे तुरंत आरंभ किए एक्सरे कराया डॉक्टर को दिखाया और अब यह नौबत आई कि उन्हें किस तरह से किसी अस्पताल में आईसीयू में भर्ती कराया जाए जिला अस्पताल में बिना कोरोनावायरस के टेस्ट के प्रवेश संभव नहीं था मैंने सुनीता हॉस्पिटल के मालिक डॉ आरपी यादव साहब से बात की उन्होंने सहर्ष उन्हें ले आने की राय दी और मैंने कहा कि आप ले करके उन्हें सुनीता अस्पताल पहुंचो, रात्रि में लगभग 10:00 बजे सुनीता हॉस्पिटल पहुंचे यह सारी घटना 14 अप्रैल के रात्रि की है। सुनीता हॉस्पिटल में उन्हें जो सुविधाएं दी जा सकती थी दी गई डॉ साहब ने आक्सीजन इत्यादि की व्यवस्था की और इस पूरी प्रक्रिया में मैंने अपने मित्र और मुंबई में अपने व्यापार में संलग्न भाई श्री अजय यादव जी जो आज ही गांव आ गए थे मैंने उनसे भी डॉ साहब के इलाज में सहयोग करने की अपील की जिसको उन्होंने प्राथमिकता पर लेकर अपना दायित्व समझा और जितनी कोशिश हो सकती थी निरन्तर इतनी कोशिश करके यह निरंतर प्रयास होता रहा कि कैसे उनको बेहतर से बेहतर इलाज दिलाया जा सके। जिसमें वह बीएचयू की मदद के लिए डॉ विनीत को लगाए।



मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं था मुझे भी बच्चे वापस गाजियाबाद ला रहे थे और मैं रास्ते भर निरंतर प्रयास करता रहा कि किस तरह से डॉ साहब से बातचीत हो सके क्योंकि कई दिनों से उनका फोन बंद मिल रहा था। नीरज के फोन से मैंने बात की, तब भी वह कहते रहे कि थोड़ा आराम हो रहा है।

जबकि उन्हें जरूरत थी आईसीयू की जो शाहगंज में उपलब्ध नहीं था और जौनपुर में भी उसकी समुचित व्यवस्था नहीं थी फिर भी जितना हो सकता था वह किया गया उनके अनुज मित्र श्री सीताराम यादव जी भी इस समय हिंदुस्तान में हैं और शाहगंज और मेरे गांव में मिलकर हम लोग साथ-साथ रहे सब की यही चिंता थी कि उनका बेहतर इलाज कैसे हो जाए।
डॉ विनीत निरंतर प्रयास करते रहे कि उन्हें बीएचयू के आईसीयू में कैसे ले आया जाए जब सफलता मिली तब तक वह बनारस के ही प्राइवेट फोर्ड अस्पताल में भर्ती हो गए थे और आराम मिलना शुरू हो गया था फिर भी हम चाहते थे कि उन्हें बीएचयू में ट्रांसफर कर दिया जाए लेकिन यह संभव नहीं हो पाया कारण जो भी रहा। डॉ विनीत के प्रयास पर यदि हम उन्हें बीएचयू के आईसीयू में भर्ती करा पाते तो बात कुछ और ही हो जाती।
इस कार्य के लिए श्री अजय यादव जी का जितना भी धन्यवाद किया जाए वह कम होगा क्योंकि उन्होंने सारे काम एक तरफ रख कर किस तरह से उन्हें अच्छी सुविधा इलाज की मिल सके प्रयत्न करते रहे और वह संभव भी हुआ तो उसका लाभ उन्हें नहीं मिल पाया और अंततः जो कुछ हुआ वह पूरे समाज के लिए एक अनहोनी है । वह केवल अपने परिवार के नहीं थे उनका परिवार पूरे भारतवर्ष भर में फैला है चारों तरफ से लोगों को उनका आकस्मिक रूप से चला जाना बहुत कष्टकारी लग रहा है। हम ऐसे समय में असहाय महसूस कर रहे हैं ऐसे व्यक्ति का जो ज्ञान और विज्ञान के अथाह समुद्र थे जिन्हें मापा नहीं जा सकता था । जो हर संकट में खड़े रहते थे हम कितने कमजोर साबित हुए यह अफसोस जीवन भर बना रहेगा।
"हमारे समाज में कोई ऐसी संस्था नहीं है जहां आपको पाखंड अंधविश्वास और चमत्कार के बारे में राजनीतिक सामाजिक और सांस्कृतिक समझ पैदा की जा सके डॉ. मनराज शास्त्री जी अपने आप में एक ऐसी संस्था थे जो इन सारी कमियों को पूरा करते थे और पूरे सिस्टम को उन्होंने समझा हुआ था क्योंकि उनका अध्ययन संस्कृत विषय में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के घोर परंपरावादी अध्यापकों के मध्य हुआ था और उन्होंने समाज में जिस तरह के लोगों को समझने की कोशिश की थी उन सबके लिए समय-समय पर उनके वक्तव्य जिनको मैंने यूट्यूब पर डाला हुआ है आप यूट्यूब पर डॉ. मनराज शास्त्री का नाम लिखकर के उसे सुन सकते हैं.
मेरे इस फेसबुक के पेज पर भी उनके बहुत सारे इंटरव्यू है उन्हें भी आप देख सकते हैं आपको सांस्कृतिक साम्राज्यवाद की जकड़न का एहसास जरूर होगा.
तो आइए उनके विचार चिंतन की एक श्रृंखला हम यहां सुनने का हिम्मत जुटाते हैं;"



सामाजिक न्याय के सजग प्रहरी और बहुजन समाज के सामाजिक और सांस्कृतिक नेता का असमय चला जाना।
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डॉ. मनराज शास्त्री जी का जन्म 01 जुलाई 1941 को जौनपुर जनपद के बटाऊबीर के पास सराय गुंजा गांव में हुआ । इनका निधन वाराणसी में एक प्राइवेट अस्पताल के icu में दिनांक 16 अप्रैल 2021 को शाम 5:00 बजे हो गया। 
इनकी आरंभिक शिक्षा दीक्षा पास के प्राइमरी स्कूल से शुरू होकर सल्तनत बहादुर इंटर कॉलेज से इंटर तक की शिक्षा के उपरांत इन्होंने अपनी स्नातक  की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय गये और वहीं से इन्होंने संस्कृत विषय में एम ए और पीएचडी की उपाधि भी प्राप्त की। 
तदुपरांत यह राजकीय महाविद्यालय की सेवा में इसलिए आ गए कि विश्वविद्यालयों में उस समय भी तमाम नियुक्तियों को लेकर के काबिलियत की वजाय अन्य बहुत सारे कारण, कारण बन जाते थे। 
राजकीय महाविद्यालय से जब शाहगंज डिग्री कॉलेज के लिए प्रिंसिपल की पोस्ट विज्ञापित हुई तो उसके लिए इन्होंने विज्ञापन भरा और इनका चयन हो गया लम्बे समय तक इन्होंने गन्ना कृषक महाविद्यालय शाहगंज में प्रिंसपल के रूप में कार्य किये। 
ज्ञातव्य है कि शास्त्री जी जब विद्यार्थी थे तभी यह सामाजिक विचारधारा को लेकर के बहुत सशक्त और आने वाले दिनों में चौधरी चरण जैसे किसान नेता के संपर्क में आए और उनके सिद्धांतों को इन्होंने अपने जीवन में उतारने का प्रयास किया। इसी समय वह श्री रामस्वरूप वर्मा के संपर्क में आए। बाबू जगदेव प्रसाद कुशवाहा के संपर्क में आए। इन सब के संपर्क में आने की वजह से वह अर्जक संघ के प्रचारक के रूप में भी कार्य करने लगे। संस्कृत के विद्वान होने के नाते पाखंड अंधविश्वास और चमत्कार के खिलाफ तमाम शादी विवाह वह अर्जक पद्धति से संपन्न कराए।
लंबे समय तक अखिल भारतीय यादव महासभा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रहे और समाज के लिए बहुत बड़ा काम समाज में जागरूकता फैलाकर के किया । 
सेवा निवृत्ति के उपरांत वह निरंतर शिक्षा के प्रचार प्रसार में लगे रहे और सांस्कृतिक साम्राज्यवाद के खिलाफ अभियान में बढ़-चढ़कर सहयोग ही नहीं करते रहे पूरे देश में चल रहे आंदोलन में आगे बढ़कर हिस्सेदारी करते रहे।
दिनांक 16 अप्रैल 2021को एकाएक वह है करोना की चपेट से बच नहीं पाए और सायं 5:00 बजे उनका देहावसान हो गया।
पिछले दिनों फरवरी माह में उनकी श्रीमति जी का निधन हो गया तब से वह उनकी कमी महसूस करते रहे, अपने पीछे एक पुत्र श्री राजेश कुमार यादव बहू श्रीमती सीमा यादव और तीन पोतिया छोड़ गए हैं।
दो बड़ी बेटियां जिनमें दुलारी और मुकुल जिनका अपना खुशहाल परिवार है उनका नाती नीरज जो उनके साथ हमेशा रहा जिसको घर के नाम से चिंटू कहते हैं और एक तरह से समाज ही उनका पूरा परिवार था अपने भाइयों के बच्चे जो गांव में रहते हैं सब उनसे जुड़े हुए थे।
विद्यार्थी जीवन से ही छात्र राजनीति में समाजवादी विचारधारा के प्रबल समर्थक के रूप में शोषित और दलितों और पिछड़ों के हितों के लिए हमेशा संघर्ष करते रहे और शिक्षा के क्षेत्र में उनको आगे आने की हमेशा बात करते रहे।
राष्ट्रीय स्तर पर इस समाज का सुधार कैसे हो उसके लिए बहुत सारे संगठनों में वह समय-समय पर अपना सुझाव देते रहे पिछले दिनों गुजरात जाकर के मनानी साहब की आने वाली किताब का पूरा स्वरूप तैयार करने का जो काम उन्होंने किया था वह पुस्तक भी मनमानी साहब के आकस्मिक निधन की वजह से नहीं आ पाई।
माननीय मुलायम सिंह यादव जब राजनीति में शुरुआत कर रहे थे तो उन दिनों यह सारे लोग इलाहाबाद विश्वविद्यालय और शिक्षा जगत में समाजवादी आंदोलन को गति दे रहे थे जिससे माननीय मुलायम सिंह जी की विचारधारा के समर्थक होने के साथ-साथ उनके राजनीतिक आंदोलन में अनेकों तरह से सहयोग किए।
हालांकि इनके बहुत सारे साथी सपा सरकार के विभिन्न पदों पर विराजमान रहे लेकिन इन्होंने कभी भी किसी पद को हासिल करने की इच्छा जाहिर नहीं की और वह निरंतर निरपेक्ष भाव से समाजवादी आंदोलन के हिमायती बने रहे यहां तक की जब से श्री अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं तो उनके कामों की प्रशंसा और उसके प्रचार-प्रसार की हमेशा बात करते रहते रहे हैं, श्री अखिलेश यादव से भविष्य की राजनीति की उन्हें बहुत बड़ी उम्मीद रही है उम्मीद है कि आने वाले दिनों में उनकी उम्मीद फलीभूत होगी।
यद्यपि राजनीतिक रूप से उन्होंने लंबे समय से किसी खास दल के प्रति वह लगाव नहीं था । लेकिन भाजपा के प्रति उनका बहुत बड़ा प्रतिकार था और वह निरंतर इस बात से बहुजन समाज को समझाने की कोशिश करते रहते थे कि यह दल और इसका मूलभूत संगठन बहुजन समाज के विनाश का बहुत बड़ा जहर अपने अंदर पाले हुए हैं। 
अब जिसका प्रभाव निरंतर दिखाई भी दे रहा है लेकिन बहुजन समाज के भक्त संप्रदाय के लोगों से निरंतर वह अपनी बात कहते रहे और अंतिम समय तक वह यह बात मानते रहे जब तक यह बहुजन भक्त भाजपा नहीं त्यागेंगे तब तक उनका उद्धार नहीं होना है।
आपका चला जाना पूरे समाज के लिए एक बहुत बड़ा गैप हो गया है जिसे पूरा करना बहुत मुश्किल काम है आप का त्याग आपकी समझ आपका ज्ञान और आपकी वैज्ञानिक सोच से समाज लंबे समय तक वंचित रहेगा।
विनम्र श्रद्धांजलि सहित।
साभार

श्री चन्द्र भूषण सिंह यादव की पोस्ट से ;

स्तब्धकारी सूचना-



16 अप्रैल 2021 निधन-सामाजिक न्याय के अनन्यतम प्रहरी डॉ मनराज शास्त्री जी नही रहे......
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     शिक्षाविद,सामाजिक न्याय के अनन्यतम प्रहरी,"यादव शक्ति" पत्रिका के व्यवस्थापक मण्डल के मार्गदर्शक, उत्तरप्रदेश यादव महासभा के लंबे समय तक प्रदेश अध्यक्ष रह चुके एवं वीपीएसएस के जन्मदाताओं में से एक डॉ मनराज शास्त्री जी के निधन की बेहद स्तब्धकारी सूचना प्राप्त हुई है।
      मैं डॉ मनराज शास्त्री जी को अपना आदर्श,प्रेरणास्रोतव व अपने विचारधारा का मजबूत स्तम्भ मानता रहा हूँ।उनकी मृत्यु ने मुझे अंदर तक हिला कर रख दिया है।अभी कुछ ही दिनों पूर्व शास्त्री जी की पत्नी का निधन हुआ था जिसके बाद उन्होंने सारे पाखण्ड आदि का परित्याग कर जौनपुर जनपद के शाहगंज स्थित अपने आवास पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया था।शास्त्री जी ने किसी तरह के मनुवादी टोटकों को करने की बजाय अपने पत्नी का चित्र रख बिना मृत्युभोज किये श्रद्धांजलि सभा कर एक नई राह समाज को दिखाई थी।
      डॉ मनराज शास्त्री जी "यादव" पत्रिका के सम्पादक व यादव महासभा के संस्थापक रहे "यादव गांधी" राजित बाबू के अति निकटस्थ लोगों में से एक थे।लम्बी अवधि तक यादव महासभा का प्रदेश अध्यक्ष रहते हुये डॉ मनराज शास्त्री जी ने पिछड़े समाज को जगाने व उन्हें एक जुट करने में महती भूमिका निभाई थी।चौधरी चरण सिंह जी से लेकर मुलायम सिंह यादव जी तक के अति निकट रहे डॉ मनराज शास्त्री जी का यूं चले जाना अत्यंत दुखदायी है।
      1989-90 के दौर में मैं डॉ मनराज शास्त्री जी जुड़ा था जब मण्डल आंदोलन अपने शबाब पर था।मण्डल आंदोलन के बाद सामाजिक जागृति के अभियान में हम डॉ मनराज शास्त्री जी के साथ हो गए थे और उन्हें मेरे क्रियाकलापों से इतनी न  प्रसन्नता होती थी कि वे अक्सर कह दिया करते थे कि चन्द्रभूषण के आ जाने से मैं निश्चिंत हूँ कि हम लोगो के कारवां को ये आगे ले जाने मे कोई कोताही नही बरतेंगे। दिल्ली,लखनऊ,आगरा,हैदराबाद,नांदेड़,पटना सहित देश भर के विभिन्न तरह की वैचारिक गोष्ठियों में डॉ मनराज शास्त्री जी का उद्बोधन प्रेरणादायी तो "यादव शक्ति" में आपका लेखन मनुवाद पर अति मारक होता था।"यादव शक्ति" पत्रिका के तेवर व कलेवर को सजाने-संवारने में डॉ मनराज शास्त्री जी के योगदान को भुलाया नही जा सकता है।
      संस्कृत से पीएचडी डॉ मनराज शास्त्री जी ताखा डिग्री कालेज के प्रिंसिपल रहे व जौनपुर जनपद में सामाजिक न्याय,सेक्युलरिज्म,रुढ़िवादी संस्कारो,वंचितों के सामाजिक उन्नयन आदि के लिए जीवन पर्यंत संघर्षरत रहे।मुझे जब से आदरणीय शास्त्री जी के निधन की सूचना मिली है मैं स्तब्ध हूँ,निःशब्द हूँ क्योंकि वे मेरे मन-मस्तिष्क में बसते थे।मृत्यु सबकी होनी है,यह अटल सत्य है जिसे स्वीकार करते हुये हम सबको दुनिया में अपने ऐसे प्रियजनों के विचारों को आगे बढ़ाने का संकल्प लेना होगा,यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।डॉ मनराज शास्त्री जी के निधन पर मैं हृदय की गहराइयों से शोक जताते हुये उनके वैचारिक कारवां को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हुये श्रद्धासुमन समर्पित करता हूँ।

-चंद्रभूषण सिंह यादव


प्रधान संपादक-"यादव शक्ति"
लंबे समय से शास्त्री जी अपनी धर्म पत्नी के चले जाने के बाद काफी एकाकी महसूस कर रहे थे जैसा कि जीवन में होता है की महिलाएं होते हुए भी अपनी उपस्थिति उस तरह से उजागर नहीं करती जिस तरह से तमाम अन्य परिवारों में या नए आधुनिक युग की स्त्रियां अपने को आगे रखती हैं।
निश्चित तौर पर माताजी का चला जाना उनके लिए एक तरह का अंदर से कमजोर करने वाला कष्ट था हालांकि परिवार में किसी तरह की भी कमी नहीं थी।
उन्होंने अलग-अलग समय पर बहुत सारी कविताएं लिखी हैं मैं कोशिश कर रहा हूं कि उनको एक जगह ले आया जाए।
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(1)
कितना नीरस लगता है
बिना कुछ किये घर में
अकेले बैठे रहना
सुबह उठे
बाउंड्री के भीतर
पेड़ की सूखी ,गिरी
पत्तियां बुहारी
आधा घंटा घूमे
चाय पी चुके थे 
घूमकर शौच गये
हाथ धुले,ब्रश किये
इंसुलिन निकाल कर
लगाने के समय का
इंतजार किया
समाचार पढ़ते हुये
मन में आते,चलते
विचार टंकित  किये
स्मार्टफोन पर
इंसुलिन सिरिंज में
उदर में लगा
आधा घंटा बेसब्री से
नाश्ते के आने की
मधुर प्रतीक्षा की
डायटीशियन के निर्देश का
 पालन करते हुये
दो रोटी और सब्जी
पेट में ठूंस लिया
फिर एक कप दूध ले
नौ बजे तक का समय
यों ही गुज़ार दिया
न कहीं आना
न कहीं जाना
बैठे- बैठे
फेसबुक चलाना
यह भी कोई जीवन है।
(आगे की करनी फिर)।।



(2)
एक थी निर्भया
और एक थी मनीषा
कितना फर्क होता है
सवर्ण और दलित की
सुंदर,सलोनी बेटी होने में
अलग- अलग होते हैं
सुख -दु: ख,दर्द और खुशी के
समाज द्वारा गढ़े गये मानक
लालन- पालन और घटनायें
एक सी होने पर भी लोगों की
प्रतिक्रियायें जुदा- जुदा होती हैं
निर्भयास़ंग होती है दरिंदगी
गुप्तांग में उसके शैतानों ने
घुसेड़ दीं लोहे की राड
चीखी,चिल्लाई छोड़ने बचाने की
पुरजोर की गुजारिश और कोशिश
लेकिन हैवानियत रुकी नहीं
फेंक दी गई लावारिस,साथी चोटिल
खबर छपी अखबारों में
सारा भारत विचलित,विगलित हो गया
शहर दर शहर कैंडिल जला कर प्रदर्शन हुये
उत्तर से दक्षिण,पूरब से पश्चिम
संस्कृति के रखवालों का शोर
सरकार पर निशाना,शैतानों पर चीत्कार
फांसी  दो,फांसी दो की चतुर्दिक ललकार
उसके दर्द की अनुभूति हर दिल हर ओर
संवेदना,सहृदयता का गगनभेदी स्वर
भारत से सिंगापुर तक 
उसको बचाने की कोशिश
क्या कुछ नहीं किया,पर रहे नाकाम
ऐसी ही हृदयविदारक घटना घटी
हाथरस में सफाईकर्मी की बेटी संग
नाम था मनीषा,अल्हड़ जवान थी शायद
सवर्ण युवकों की आंखें लगी थीं उस पर
हुआ जोर जुल्म उसके साथ
अंग प्रत्यंग तोड़े गये,राड़ का भी प्रयोग
परिजन रोते,गिड़गिड़ाते
लेकिन थाने में रिपोर्ट तुरत लिखी नहीं
अलीगढ़ में बेमन से अस्पताल में
पुलिस प्रशासन ने भर्ती कराया
बहुत से तथ्य छिपाये गये
न अखबार,न संस्कृतिरक्षक न कै़डिल मार्च
कोई चुप तो कोई शांत ,कोई हलचल नहीं
अपराधियों को बचाने की पूरी कोशिश
परिजन दोषी ठहराये जाने‌ लगे
आनर किलिंग का मामला बनाया जाने‌ लगा
आखिर अस्पताल में हालत बिगड़ने‌ लगी
उसे दिल्ली भेजा गया पर‌ वह न बची
उसका शव घर लाया गया
पर घरवालों को नहीं दिखाया गया
रात के अंधेरे में उसको जलाया गया
न पिता ने‌ देखा,न माता ने ,न भाई ने
तरह- तरह के दबाव,धमकियां आने लगीं
गुनहगारों की जातीय पंचायतें होने लगीं
सभी सवर्णों में मच गई खलबली
मूंछों की इज्जत बलबलाने‌ लगी
प्रदेश के मुखिया बहुत तमतमाये
तुरत जांच कमेटी बनायें और  उलझाये 
एसआईटी से सीबीआई तक जांच कर चुके
परिणाम आजतक कुछ मालूम नहीं
बेटियां बेटियां हैं मगर

जातियां ऐसा मानती नहीं
कोई बेटी है  इज्जत मां- बाप की
कोई बेटी खिलौना है बडी जाति की
देखिये आप अपनी आंखें खोल कर 
पैदा इसी देश में  हुई निर्भया
मनीषा भी पैदा इसी देश में।

नमन।


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