राजेंद्र यादव हुसेन पर -
आज मई२६,२०१० तक की टिप्पड़ियां इस ब्लॉग पर -
विवेक सिंह ने कहा…
Arvind Mishra ने कहा…मन प्रफुल्लित हो गया -हाँ आपका यह कहना ठीक है कि विषय के साथ उसका कोई तारतम्य नहीं पर विश्यास्कती के साथ तो है मेरे भायी ?
रचना ने कहा…
रेखा श्रीवास्तव ने कहा…@अरविन्द मिश्रा जी,
वह अच्छा चेहरा जो किसी कि बहन और बेटी है, आपके लिए विषयासक्ति का साधन बन रही है. ये ब्लॉग और इसपर प्रस्तुत सामग्री बाजार में बेचने वाली सामग्री नहीं है कि हम ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए खूबसूरत चेहरों का इस्तेमाल करें. विषय से असंबंधित महिलाओं के चित्रों के प्रदर्शन का मैं विरोध करती हूँ.
आर. अनुराधा ने कहा…- विवेक सिंह ने कहा…
हमें चित्र से कोई आपत्ति नहीं, बल्कि हमें और अच्छा लगा चित्र देखकर ।
- Arvind Mishra ने कहा…
आपको सुन्दरता से एलर्जी क्यों है ?क्या ताजगी भरा सौदर्य है!
मन प्रफुल्लित हो गया -हाँ आपका यह कहना ठीक है कि विषय के साथ उसका कोई तारतम्य नहीं पर विश्यास्कती के साथ तो है मेरे भायी?"
- आप दोनों और आपसे सहमत होने वालों से सरल सा सवाल है कि इस 'ताजगी' इत्यादि से भरी एक तसवीर आपके घर-परिवार की किसी महिला की लगाई जाए, तो कैसा रहे?!!
-वैसे, इन दो टिप्पणियों से तो साफ हो गया (तीन में से दो सहमत हैं कि लड़कियों की तसवीरें इस तरह लगानी चाहिए) ऐसी तसवीरें देखकर 'लोगों' का 'दिल खुश हो जाता है'। पर क्या ऐसे बेशर्मों के दिलों की खुशी के लिए किसी महिला को वस्तु की तरह प्रदर्शित करना ठीक है?
विषय के तारतम्य को तो किनारे रखिए। पहले ये सोचिए कि किसी की तसवीर लगाना कहीं कानूनन भारी न पड़ जाए।
वैसे शर्मनाक है कि महिला को किसी सुंदर चित्र या फूल के बराबर रखा गया है। क्या हम इस हद तक नीचे गिर चुके हैं कि महिलाओं के, बिना उनकी इजाजत के, चित्र इस्तेमाल करना 'अच्छा' लग रहा है, मन में कोई दुनिधा तक नहीं है?!!!
शर्म-शर्म-शर्म-शर्म-शर्म-शर्म-शर्म!!!
Mithilesh dubey ने कहा…@रेखा, आर अनुराधा जी
अब क्या कहूँ , इन्होनें तो नासमंझी वाली बात कह दी , इनका कहना है कि वह लड़की किसी की माँ बहन और बेटी हो सकती है , मुझे तो बड़ी हसी आ रही है इनकी बांतो पर , मैं मानता हूं कि जरुर ही ये किसी की माँ बहन , और बेटी होंगी , लेकिन तब आप कहा होती है जब ये अर्धनग्न अवस्था में नाँच रही होती हैं , आप तब कहाँ होती है जब कुछ ऐसे ही दृश्य हमें रोज ही देखने को मिला जाते है सामान्य बाजारो में , आप तब आवाज नहीं उठाती नब इन्ही माँ बहनो को छोटे कपड़ो में दिखा कर इनकी मार्केटिंग की जाती है , सोचियेगा जरुर रेखा जी ।
विवेक सिंह ने कहा…
mukti ने कहा…@मिथिलेश,
आप बाज़ार से ब्लॉगजगत की तुलना न करें. बाज़ार का एक अलग अर्थशास्त्र होता है, अलग नैतिकता होती है. वहाँ स्त्रियाँ ही नहीं पुरुष भी नग्न होकर तस्वीरें खिंचाते हैं. टी.वी. पर महिला अन्तःवस्त्रों के विज्ञापन नहीं दिखते, जबकि पुरुष सूक्ष्म वस्त्र पहनकर बेहिचक अंग-प्रदर्शन करते हैं. ब्लॉगजगत की तुलना बाज़ार से नहीं हो सकती और अगर वास्तव में आपलोग ब्लॉगजगत को बाज़ार बना देना चाहते हैं, तो पहले से बता दीजियेगा, जिससे आपकी बहनें रास्ते से हट जायें.
@विवेक सिंह,
पितृसत्तात्मक मानसिकता की झलक मात्र आपके इस वाक्य से मिल रही है--"औरतों के पास दिमाग नहीं होता, सिर्फ़ शरीर होता है. जो कि वस्तु की तरह प्रदर्शन और आनंद लेने की चीज़ है."
Arvind Mishra ने कहा…अब सुन्दरता को सुन्दर भी कहना बैन हो गया है,क्या ?
Mithilesh dubey ने कहा…आप लोग सच में पूर्वाग्रह से इतनी ज्यादा ग्रसीत हो चूकी है कि आपको हर जगह बस नारी अपमान ही दिखता है, क्या महिलाओं को सुन्दर पुरुष अच्छे नहीं लगते , अगर नहीं तो कुछ दिक्कत होगी , डाक्टर से सलाह लें , उसी तरह से पुरुषों को भी सुन्दर स्त्रीया अच्छी लगती है , फिर ये जरुरी नहीं की महिला ही हो , सुन्दर तो कुछ भी हो सकता है , अब उसकी सुन्दरता को देखने के लिए उससे इजाजत लेनी पड़ेगी , क्या बात है, मैं कहता हूँ कि वह ब्लोग जिसका है वह जो चाहे अपने ब्लोग पर लगा सकता है,,,,,,, अब इसपर ये कहकर आपत्तओ जताना कि वह नारी अपमान है ये तो सरासर दकियानूसी बातें है।
Arvind Mishra ने कहा…बात केवल इतनी सी थी की एक सुन्दर तस्वीर विषयगत प्रविष्टि से सम्बद्ध न होकर भी इंगित स्थल पर लगाई गयी है -यह उचित है या नहीं -
बिलकुल उचित नहीं है -मगर प्रश्नगत फोटो निश्चय ही सुन्दर है -सुन्दरता को सुन्दर कहना कहीं भी गुनाह नहीं है .
यहाँ असंगत यह अवश्य है कि इसे लेकर मां बहन बेटी के घिसे पिटे पिटाए प्रायोजित प्रलाप शुरू कर दिए गए हैं !
अधिसंख्य भारतीयों के साथ यही सबसे बड़ी मुश्किल है वे किसी भी मामले पर सहज और स्पष्ट दृष्टि नहीं रख पाते -सामाजिक वर्जनाओं और आधुनिकता के खोखलेपन ने उनका विवेक छीन लिया है -आज ही किसी अभिनेत्री का बयान है की उसे सेक्सी कहा जाना अच्छा लगता है -और वह सही है मगर अब उसके पीछे शुचितावादी कुत्तों की तरह पड गए हैं -
वी आर अ कन्फ्यूज्ड लाट !
रेखा श्रीवास्तव ने कहा…वैसे कुछ तथाकथित सुधिजन इसी लिए कुछ आपतिजनक टिपण्णी देकर अपने को बड़ा साहित्यकार साबित कर देते हैं. सुन्दरता का वर्णन करना अपराध नहीं है उसके लिए बहुत सारी जगहें हैं. आप वहाँ जाकर वाह! वाह! करिए किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी. अप किसी को भी खूबसूरत कहिये लेकिन विषय से भटकिये मत. हर वस्तु अपने नियत स्थान पर ही अच्छी लगती है.
@मिथलेश, अरविन्दजी
मेरी इन पंक्तियों को पढ़ा होता ध्यान से तो आगे आपकी बहस इतनी लम्बी न होती.
ये ब्लॉग और इसपर प्रस्तुत सामग्री बाजार में बेचने वाली सामग्री नहीं है कि हम ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए खूबसूरत चेहरों का इस्तेमाल करें. विषय से असंबंधित महिलाओं के चित्रों के प्रदर्शन का मैं विरोध करती हूँ.
Mithilesh dubey ने कहा…
रेखा श्रीवास्तव ने कहा…
बेनामी ने कहा…
बेनामी ने कहा…लोग पार्वती (कालिदास )और सीता (बाल्मीकि ) के श्रृंगारिक(अश्लील ) वर्णन पर अंगुली नही उठाते|राजा रवि वर्मा की नग्न पेंटिंग्स पर आपत्ति नही दर्ज करते|पौराणिक नग्नता को तर्क दे दे कर ढंकते हैं|उन्हें ही हुसैन पर आपत्ति होती है|लोग गाँधी के ब्रह्मचर्य के प्रयोग की प्रशंसा करते हैं उन्हें किसी चित्रकार द्वारा सर कटा चित्रित करने पर आपति है|मुझे किसी कुंठित चित्रकार से सहानूभूति नही है,पर दोगलेपन की हद दिखाना जरुरी है,अगर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है तब हर आयाम में होनी चाहिए.अगर नही है स्त्रियों का उपयोग और उनपर राजनीती करना छोडो.
Mithilesh dubey ने कहा…जब इतनी ही आग है जिगर तो सामने कयो नहीं आते , ये नामर्दो की तरह बेनामी से क्यों टिप्पणी करते हो ।
बेनामी ने कहा…
बेनामी ने कहा…
तनु श्री ने कहा…२- ऊपर किसी की टीप्पदी ऐसी नहीं है जिस पर नारीवाद-और पुरुषवाद का बिगुल बजाय जाय---
३-ऐसी पोस्ट को नजर अंदाज़ भी कर देना चाहिए,तिल का ताड़ बनाने की कोई आवश्यकता नही है----
४- विरोध का यह तरीका नहीं होता,हम सब को अश्लीलता का साथ-साथ मुकाबला करना होगा--
५- यह बेनामी जी तो आग में घी का काम कर रहे हैं,असली दुश्मन तो ये हैं पता नही ये नर है या नारी---इनका काम है फूट डालो और राज करो ,उह कुंठित मानसिकता है ,असल में इसका विरोध होना चाहिए-
६-और अंत में एक निवेदान इस ब्लॉग के स्वामी से कृपया तुरंत बेनामी टिप्पड़ी वाला आप्सन बंद कर दें -
७-जिसको भडास निकलना है वह सामने से निकाले--
८-यदि इसके बाद भी यह बेनामी टिप्पड़ी वाला आप्सन बंद नहीं होता तो यह माना जाय कि इस तरह की पोस्ट केवल और केवल चर्चा में आने के लिए दी जा रही है---
और मुझे कुछ नही कहना है-------------------
बेनामी ने कहा…आप को ऐसा क्यूँ लगता हैं कि कोई नहीं बोलता । वेब साईट तक बैन हो गयी हैं तमाम जगह और हिंदी मे भी हुआ हैं पर तब तक आप ब्लोगिंग मे नहीं थी ।
बेनामी ने कहा…
Mithilesh dubey ने कहा…क्या कहूँ मैं आपको , आप तो उसे भी शर्मिन्दा कर रहें कर// रही है जिसने आपको जन्म दिया ,जन्म देंने वाली माँ भी हैरान होगी कैसे हिजड़े को जन्म दिया , उस बाप को भी शक हो रहा होगा कि यह मेरी ही औलाद या मैं किसी गलत फैमी में हूँ ।
तनु श्री ने कहा…
बेनामी ने कहा…तनुश्री जी चर्चा में आने के लिए ऐसी नैतिकता पर सवाल उठती पोस्ट लिखने की जरुरत क्या है?ऐसी पोस्टें भी खासा ट्रैफिक देती हैं जिनमे लिखा होता है
रिटर्न टू अल्मोड़ा से ....कृपया ध्यान दें , वयस्क सामग्री है !
बेनामी ने कहा…
तनु श्री ने कहा…---- मैं क्षमा चाहती हूँ ,आपको पहचान न पाई,अभी जाना है- -
आपसे मैं भला कैसे सम्वाद मैं जीत सकती हूँ--
आप जैसा वरिष्ठ ब्लागर जब गुमनाम-बेनाम बन कर टिप्पड़ी करे तो सहसा समझ में नहीं आता-
मैं तो ऐसे ही किसी को सोच रही थी -
आपको नमन करते हुए,छमा चाहूंगी-
चूँकि अब मैंने आपको जान लिया है,आप मुझसे बहुत वरिष्ठ है ,मै आपसे अब तर्क नही करूंगी-
लेकिन एक सवाल लिए मैं जा रही हूँ की ब्लाग जगत के इतने सम्मानित होते हुए भी ,आप इस तरह क्यों टिप्पड़ी कर रहे है---
Arvind Mishra ने कहा…मिथिलेश भाई इन जाहिलों से बचो वर्ना ये तुम्हे भी परवर्ट बनाए की राह पर हैं -
अब और मसीहा आते होगें मीमांसा करने -काक दृष्टि -जयंत सी रखते हैं वे या सूअर सी जो विष्ठा की खोज मे दर दर भटकता रहता है -अब यहाँ पर्याप्त है !
तनु जी आप इसमें मत उलझिए ये पर्वर्तों की जमात है -समाज से कटे और धकियाये लोगों की -थू !
बेनामी ने कहा…
बेनामी ने कहा…
Arvind Mishra ने कहा…इस चित्र में अश्लीलता -फूहड़पन किसे दिख रहा है ?-
कितना ताजगी भरा सौन्दर्य है -स्निग्ध और सद्यस्नाता सौन्दर्य !
लीजिये और भी स्पष्ट तरीके से मन की बात कह दी है -अब अगर यह सौन्दर्य टिप्पणी
अश्लील लग रही हो जिन जिन लोगों को तो उन्हें अपने ब्रेन के यौनिक क्षेत्र की सर्जरी करा लेनी चाहिए
वह सड गल गया है -और जल्दी आपरेट नहीं हुआ तो पूरा दिमाग ही बदबू से भर जाएगा !
बेनामी ने कहा…
बेनामी ने कहा…
बेनामी ने कहा…
Mithilesh dubey ने कहा…अब आप हद कर दी है , अब तो ये भी पता चलने लगा है आप है कौन, अगर तुम्हे लगता है कि आप अपनी माँ की नाजायज अवलाद नहीं हो तो अपना नाम बताकर तर्क और कुतर्क कर , और कुछ ज्यादा नहीं बोलना चाहूंगा , उम्मिद है कि आप जो भी हो निहायत ही घटिया और अपनी माँ का दूध भी नहीं पिया , नहीं तो कम से कम नाम से ब्लोगिंग करता ।
Mithilesh dubey ने कहा…
Arvind Mishra ने कहा…ये ऐसे लोग है जो खुले आम तो शुचिता और नैतिकता की दुहाईयाँ देते हैं और बंद कमरें में अपने यौन विकृतियों का खुला खेल खेलते/खेलती हैं -
kumarendra singh sengar ने कहा…आप आशय समझ गए होंगे कि हम इसके समर्थन में हैं या नहीं?
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
venus kesari ने कहा…बड़ी अजीब स्थिति है लोग दिल की बात कह रहे है तो उन्हें दुत्कारा जा रहा है ये कहा तक सही है
अगर हमेशा खुद को सही कहना है तो ब्लॉग लिखना छोड़ दीजिए :)
वो चित्र सुंदर है मगर उस पोस्ट के साथ नहीं होनी चाहिए थी ये मेरा मत है
काजल कुमार Kajal Kumar ने कहा…महिला सुंदर है
रंजन ने कहा…
Aavaj ने कहा…एक बार दुबारा पोस्ट को तो पढ़ लेते रही बात एक खुबसूरत महिला कि तस्वीर का तो बदसूरत पर कोई विवाद नहीं है यद्यपि दोनों ही किसी न किसी कि 'बहन बेटी माँ जरुर होगी " पर इन दोनों को मैंने अंतर्जाल से ही ढूढा है, उनकी तस्वीर खींच कर बेजा इस्तेमाल नहीं किया है जो भी आज के वैश्विक संसाधनों के उपयोग का अधिकार फेंकते चल रहे है उन्हें एक प्रासंगिक जगह पर लगा देना उनकी गरिमा को बढ़ाता है, 'सौन्दर्य कि अभिव्यक्ति के लिए तमाम सुंदर चीजें 'वस्तु' नहीं हो जाती है, वह स्त्री और पुरुष गौरवान्वित होते है जिनके स्वरुप और उसके अंग प्रत्यंग सदियों से सृंगारिक प्रतीक और मोटिफ के रूप में प्रयुक्त किये जाते रहे है, और यही सन्दर्भ था इनको लगाने का क्योंकि दोनों की तुलनात्मक स्थिति का और क्या प्रतीक हो सकता है यथा-
"कल सरकारजब महिला आरक्षण विधेयक संसद में लाने जा रही है जहाँ उसे पास कराया जाना है, उस महिला की शक्ल क्या होगी, वैसे भी प्रधानमंत्री जी 'महिला सशक्तिकरण के प्रति कटिबद्ध है' मैला धोने और ढोने वाली महिला से लेकर खेत खलिहानों की और मजदूर महिलाएं या पर्दानसिनों की जमात से लेकर अर्धनग्न सरीखे वह चंद नारियां किनको आरक्षण दिया जा रहा है, लगता है देश भर से आ रहे सासदों की जमात में से उन्हें उन्हें छांटना है जिन्हें संसद की गरिमा का पता नहीं है या और कुछ , संभवतः यहाँ भी वही होना है. जो अब तक के सारे आरक्षणों के बदले हो रहा है "दयनीय" बनाकर |
"यथा महिलाएं आरक्षित तरीके से सुविधा का अवसर प्राप्त करेंगी पर कौन सी महिला"
अतः दोनों को यहाँ लगाया गया है .



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