(वाह नेता जी
पर उपदेश बहुत निक लागे अपना मुहँ तो बन्दर चाटे - सरकारें तो आती जाती रहती हैं लूट पाट भी इन्ही के रहमों करम का हिस्सा है, मायावती का भ्रष्टाचार और लूट की छुट ने उन्हें मिले अपार जनसमर्थन को किनारे कर आपकी पार्टी को सत्ता दी, यह जानते हुए की आप का कुनबा उससे कम लूटेगा पर सत्ता की जो गरमाहट मायावती में थी वो आपमें नहीं है, आप की क्षमता की अलग पहचान रही है और अलग चिंतन रहा है, परन्तु यह बहुत ही दुह्खद है की आप के प्रिय पुत्र उन तमाम सद्गुणों को स्वीकार नहीं पा रहे हैं। और इसके लिए आपकी चिंता भी वाजिब है। पर एक बात बोलूं की आपकी भी अनेक कमजोरियां हैं, माना की पार्टी चलाने के लिए दौलत की जरूरत होती है पर क्या सरकार चलाने के लिए - जनता से घुस की जरूरत होती है, आपके इस वाक्य ने बिलकुल साफ़ कर दिया है " मंत्री अपना काम कर रहे हैं। पार्टी का और जनता का नहीं। मुलायम बोले, ‘मैं बता देना चाहता हूं कि बड़े नेताओं और मंत्री बनने वालों की बदौलत हमारी सरकार नहीं बनी। सरकार सड़कों पर संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं की बदौलत बनी है। इनकी उपेक्षा ठीक नहीं है।’ उन्होंने कहा कि जब तक अधिकारियों और मंत्रियों को मुख्यमंत्री का डर नहीं होगा, वे काम नहीं करेंगे।" बिलकुल यही है , नेता जी यदि इसमे एक छोटा सा वाक्य और जोड़ दें तो सन्देश दूर तक जाएगा कि 'सरकार लूट की खुली छूट की वजह से भी बनी है'. आज आपकी सरकार में बहुत सारे अधिकारी उसी दम पर सरकार में विराजमान हैं, उन्हें पता है की सर्कार में कैसे रहा जाता है, यदि पिछली सर्कार की गलतियों से सबक न लिया गया तो ये मंत्री और अधिकारी प्रदेश का खून पी जायेंगे. तो उसके बदले न तो कन्या विद्याधन और न तो अल्पसंख्यकों की भलाई काम आएगी, आज भी आम मुसलमान धर्म के नाम पर आपको भले लगता हो जुड़ जाएगा पर सच इससे अलग है, वह बराबरी चाहता है बराबरी देने के लिए सरकार कुछ कर सकती थी पर अब ओ नहीं हो सकता, इतनी गलतियाँ हो चुकी हैं की उन्हें सुधारना आसान नहीं है, समाजवादी राज्य में जब पूंजीवाद को बढ़ावा दिया जाएगा तो कठिनाइयाँ स्वतः बढती जायेंगी, आज पूरा प्रदेश कई मामलों में पूंजीपतियों के सिकंजे में है उसी तरफ राजनेता भी उन्मुख होता है , थोडा बहुत लेकर थक जाता है .)
विचारणीय है की नेता जी को भाजप क्यों आकर्षित कर रहा है, क्या नेताजी विस्मृत हो गए हैं की उन्होंने ने इन्ही सांप्रदायिक शक्तियों के विपरीत हरबार अवाम को आगाह करके 'वोट' मांगे हैं, ये केंद्र की सत्ता में न आयें इसके लिए कांग्रेस को समर्थन दिया। पर अभी लोग कल्याण सिंह के मिलन को भूले भी नहीं थे की आपकी इनके प्रति नरमी फिर से लोगों में एक भ्रम पैदा करेगा और 2014 में 'अवाम दो खेमों में बंटेगी एक सांप्रदायिक शक्तियों और घोर राष्ट्रवाद की ओर दूसरी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की ओर' आप किसके साथ होंगे वही तय करेगा 'देश की सर्कार बनाने के लिए मतदाता'. यहाँ स्वर्गीय चंद्रजीत जी की याद आ जाती है उन्हें सामाजिक बदलाव की लड़ाई लड़ते हुए अपने नेताओं पर जो चिंता थी, वह अब साफ तौर पर दिखाई देने लगी है कि इस लड़ाई की चिंता अब किसी को नहीं है।
मुलायम ने दिखाई भाजपा से और नजदीकी
लखनऊ/ब्यूरो/एजेंसी | Last updated on: March 23, 2013 11:34 PM IST
समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव लगातार भाजपा के साथ अपनी बढ़ती नजदीकी के संकेत दे रहे हैं।संसद में भाजपा की कई नीतियों को ‘अपने नजदीक’ बताने और बेनी प्रकरण में भाजपा की शह के बाद केंद्र सरकार को मुश्किल में डालने के बाद उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी की प्रशंसा के पुल बांधे हैं।
मुलायम ने भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवाणी की प्रशंसा करते हुए अपने बेटे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को नसीहत दी है कि राज्य का प्रशासन दुरुस्त करें।
उन्होंने यह भी कहा, ‘ भाजपा के लोग चाहते हैं कि प्रदेश में हमारी सरकार अच्छी तरह से चले। यह पूरी तरह से सच्चाई है।’
मुलायम ने शनिवार को यहां डॉ. राममनोहर लोहिया की 103वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘आडवाणी साहब कहते हैं कि यूपी की हालत बहुत खराब है और वहां भ्रष्टाचार आम है...।
जब आडवाणीजी जैसा सीनियर लीडर ऐसी बात कहता है तो मेरे लिए यह विचारणीय है। वह कभी झूठ नहीं बोलते। वह हमेशा सच कहते हैं... मैंने कई बार यह बात कही है। अब मैं दिल्ली जाकर उनसे मिलूंगा।’
आडवाणी के विचारों को सामने रखते हुए मुलायम ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री प्रदेश की कानून व्यवस्था और प्रशासन को संभालने में नाकाम होता है तो सब उसे कमजोर शासक कहेंगे।
उन्होंने अखिलेश से कहा, ‘ऐसे सरकार नहीं चलती। कड़ाई करो। राज का काज सीधेपन से नहीं होता। कोई अधिकारी अपना नहीं। शासन में रहोगे तो यह चापलूसी करेंगे। नहीं रहोगे तो जानते ही हो क्या होता है।’
मुलायम ने अखिलेश से कहा कि अधिकारियों को जिम्मेदार बनाओ। काम न करें तो इनसे सख्ती करो। मुख्यमंत्री का काम नीति बनाना है। लागू करने की जिम्मेदारी अधिकारियों की है। जो नतीजा न दे, उसको सजा दो। सब ठीक हो जाएगा।
सपा सुप्रीमो ने सरकार को भी कामकाज सुधारने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि मंत्री अपना काम कर रहे हैं। पार्टी का और जनता का नहीं। मुलायम बोले, ‘मैं बता देना चाहता हूं कि बड़े नेताओं और मंत्री बनने वालों की बदौलत हमारी सरकार नहीं बनी।
सरकार सड़कों पर संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं की बदौलत बनी है। इनकी उपेक्षा ठीक नहीं है।’ उन्होंने कहा कि जब तक अधिकारियों और मंत्रियों को मुख्यमंत्री का डर नहीं होगा, वे काम नहीं करेंगे। मुलायम ने पार्टी नेताओं, मंत्रियों और अधिकारियों को खरी-खरी सुनाई।
भाजपा के प्रति सपा के उदार होते जा रहे विचार और मुलायम द्वारा आडवाणी की तारीफ को देख कर जानकार कह रहे हैं कि आने वाले दिनों में केंद्र की राजनीति के समीकरण बदल भी सकते हैं।
इससे पहले बृहस्पतिवार को सपा के महासचिव राम गोपाल यादव ने भी कहा था कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने सहयोगियों को साथ लेकर चलने के मामले में वर्तमान कांग्रेस-नीत यूपीए से बेहतर थी। उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी के काम करने के ढंग को ज्यादा बेहतर बताया था।
दिल्ली में यूपी से ज्यादा क्राइम
मुलायम सिंह यादव ने अपने भाषण में कांग्रेस पर भी हमला किया और कहा कि दिल्ली में उत्तर प्रदेश की तुलना में 10 गुना ज्यादा अपराध हैं, लेकिन वहां की कोई बात नहीं करता।
यूपीए सरकार को सपा भले ही बाहर से समर्थन दे रही हो, लेकिन नेताजी यह कहने से नहीं चूके कि यह एक कमजोर सरकार है। इसके रहते देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं।
कांग्रेस ने किया किनारा
सपा के बदले रुख पर कांग्रेस ने चुप्पी साध ली है। कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने शनिवार को यहां कहा कि हम इस मामले में कुछ कहना नहीं चाहते। हो सकता है कि सपा की सोच यह हो, लेकिन कांग्रेस के विचार ऐसे नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘क्या कोई किसी को बयान देने से रोक सकता है?’ क्या सपा नेताओं की बातों से मानना चाहिए कि पार्टी का झुकाव भाजपा की ओर बढ़ रहा है, इस पर अल्वी ने कहा, ‘यह जवाब तो सपा को देना है।’
मुलायम ने भाजपा के वरिष्ठ नेता आडवाणी की प्रशंसा करते हुए अपने बेटे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को नसीहत दी है कि राज्य का प्रशासन दुरुस्त करें।
उन्होंने यह भी कहा, ‘ भाजपा के लोग चाहते हैं कि प्रदेश में हमारी सरकार अच्छी तरह से चले। यह पूरी तरह से सच्चाई है।’
मुलायम ने शनिवार को यहां डॉ. राममनोहर लोहिया की 103वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘आडवाणी साहब कहते हैं कि यूपी की हालत बहुत खराब है और वहां भ्रष्टाचार आम है...।
जब आडवाणीजी जैसा सीनियर लीडर ऐसी बात कहता है तो मेरे लिए यह विचारणीय है। वह कभी झूठ नहीं बोलते। वह हमेशा सच कहते हैं... मैंने कई बार यह बात कही है। अब मैं दिल्ली जाकर उनसे मिलूंगा।’
आडवाणी के विचारों को सामने रखते हुए मुलायम ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री प्रदेश की कानून व्यवस्था और प्रशासन को संभालने में नाकाम होता है तो सब उसे कमजोर शासक कहेंगे।
उन्होंने अखिलेश से कहा, ‘ऐसे सरकार नहीं चलती। कड़ाई करो। राज का काज सीधेपन से नहीं होता। कोई अधिकारी अपना नहीं। शासन में रहोगे तो यह चापलूसी करेंगे। नहीं रहोगे तो जानते ही हो क्या होता है।’
मुलायम ने अखिलेश से कहा कि अधिकारियों को जिम्मेदार बनाओ। काम न करें तो इनसे सख्ती करो। मुख्यमंत्री का काम नीति बनाना है। लागू करने की जिम्मेदारी अधिकारियों की है। जो नतीजा न दे, उसको सजा दो। सब ठीक हो जाएगा।
सपा सुप्रीमो ने सरकार को भी कामकाज सुधारने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि मंत्री अपना काम कर रहे हैं। पार्टी का और जनता का नहीं। मुलायम बोले, ‘मैं बता देना चाहता हूं कि बड़े नेताओं और मंत्री बनने वालों की बदौलत हमारी सरकार नहीं बनी।
सरकार सड़कों पर संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं की बदौलत बनी है। इनकी उपेक्षा ठीक नहीं है।’ उन्होंने कहा कि जब तक अधिकारियों और मंत्रियों को मुख्यमंत्री का डर नहीं होगा, वे काम नहीं करेंगे। मुलायम ने पार्टी नेताओं, मंत्रियों और अधिकारियों को खरी-खरी सुनाई।
भाजपा के प्रति सपा के उदार होते जा रहे विचार और मुलायम द्वारा आडवाणी की तारीफ को देख कर जानकार कह रहे हैं कि आने वाले दिनों में केंद्र की राजनीति के समीकरण बदल भी सकते हैं।
इससे पहले बृहस्पतिवार को सपा के महासचिव राम गोपाल यादव ने भी कहा था कि भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने सहयोगियों को साथ लेकर चलने के मामले में वर्तमान कांग्रेस-नीत यूपीए से बेहतर थी। उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी के काम करने के ढंग को ज्यादा बेहतर बताया था।
दिल्ली में यूपी से ज्यादा क्राइम
मुलायम सिंह यादव ने अपने भाषण में कांग्रेस पर भी हमला किया और कहा कि दिल्ली में उत्तर प्रदेश की तुलना में 10 गुना ज्यादा अपराध हैं, लेकिन वहां की कोई बात नहीं करता।
यूपीए सरकार को सपा भले ही बाहर से समर्थन दे रही हो, लेकिन नेताजी यह कहने से नहीं चूके कि यह एक कमजोर सरकार है। इसके रहते देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं हैं।
कांग्रेस ने किया किनारा
सपा के बदले रुख पर कांग्रेस ने चुप्पी साध ली है। कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने शनिवार को यहां कहा कि हम इस मामले में कुछ कहना नहीं चाहते। हो सकता है कि सपा की सोच यह हो, लेकिन कांग्रेस के विचार ऐसे नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘क्या कोई किसी को बयान देने से रोक सकता है?’ क्या सपा नेताओं की बातों से मानना चाहिए कि पार्टी का झुकाव भाजपा की ओर बढ़ रहा है, इस पर अल्वी ने कहा, ‘यह जवाब तो सपा को देना है।’
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