18 नव॰ 2014

महाप्रतापी यादव राजा "महिषासुर"


नए शोधों के आधार पर ये बात सामने आयी है की हजारों सालों से एक महाप्रतापी यादव राजा "महिषासुर" को राक्षस के रूप में दिखाकर हर वर्ष दलितों पिछड़ों और यहाँ तक कि यादवों से भी 'उनकी' हत्यारिन को महिमामंडित कर "पूजा" करवाते आ रहे हैं. युवा जीतेन्द्र कुमार यादव के साहस और 'शोध' का परिणाम है की उन्हें पुनः राजा के रूप में प्रतिस्थापित किया और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से इस आंदोलन को आरम्भकर समाज को जागृत करने का कार्य किया है, संयोग ही है कि उन्हें 'चित्रित'(जैसा उन्होंने बताया महिषासुर के बारे में) करने का सौभाग्य मुझे मिला, यह कोई अनहोनी नहीं है, सदियों के जातीय अपमान की अनेक झूठी और थोथी कथाएं "यादवों" के लिए प्रचारित हैं।  मैं आये दिन देखता हूँ की हर अपराधी नुमा व्यक्ति इस जाती को निचा दिखने का प्रयास करता रहता है।  
मेरा मानना है की समाज हमेशा से वर्चस्व की लड़ाई लड़ता रहा है. कौन कैसे सफल हुआ उसका लेखा जोखा किया जाना ही चाहिए। 

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

TERI MAA KA BHOSDA MARU BHEMTE SALE TERA BAP HOGA MAHISHASHUR YADAVO SE NAT JOD ISKO BHEMTO MAA CHOD DENGE TUMHARI AGAR YADAV ITHASH KE SHAT CHED CHAD KIYA TO MC BHEEMTA

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