9 जुल॰ 2009

अच्छी परंपरा की शुरुआत होनी चाहिए थी.....!

अच्छी परंपरा की शुरुआत होनी चाहिए थी पर जो कुछ हो रहा है वह विगत से कई गुना ख़राब है इसमे कोई संदेह नहीं की विगत के हालात के चलते ही वर्त्तमान है,यदि वर्तमान ने अपनी यही छवि रखी तो उत्तर प्रदेश की जनता जिसे दलित और पिछडा मतदाता कहकर पुकारा जाता है सीधे सीधे अपने को लुटाना पसंद करेगी क्योंकि, यह काम दलित और पिछडों के राज्य में द्विजों द्वारा अधिक हो रहा है शायद इतनी लूट उनके अपने राज में न हों.
बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और भी कई प्रदेश जहाँ पिछडे और दलित सत्ता संभाल चुके है, वहां की यही दशा रही है. फिर भी एसा नहीं है की पिछडों और दलितों को सत्ता संभालना नहीं आता शायद यह ज्यादा अच्छा कर सकते है लेकिन प्रोसेस की गलती नाकाबिल नेता के बौद्धिक सोच को ही सारा का सारा आरोप बनता है. एसे में उसे अपने कुल के सबसे नाकाबिल और ख़राब ही को सब कुछ सौपने में अपनी रक्षा दिखाई देती है . कौन नेता इनका है जो सबसे उत्तम का वरन किया हो ?
एसा व्यक्ति है एसा उसे पता न हो.

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