6 जन॰ 2010

देखा शर्म तो आई,आखिर अमर सिंह को ? 
अब अमर सिंह को निकाल देना चाहिए ? जब यह लिखा था तब ................?
आज हमारे नेता मुलायम सिंह जिस तरह धक्के खा रहे है , उसके लिए सारे लोग अमर सिंह को जिम्मेदार मानते है और लगता भी ही है की अमर सिंह अकल से नहीं दलाली से देश बदलना चाहते है, दलाल का काम दलाली से जीवन चलाना होता है देश नहीं ! अमर सिंह जिस तरह से सपा की राजनीति में उभरकर आये वह सपा के लिए अपसकुन ही साबित हुआ है कोई भी तो अच्छा कहता? ऐसे ही एक समजवादी के परिचय  नाम का मोहताज़ नहीं है. 



                        अमर सिंह समाजवादी नहीं थे '' सब जानते है की वह क्या है ?" पर मुलायम सिंह जी- जो भागता है उसके लिए यही कहते है उनके बहुत पुराने - पुराने दोस्त जब उन्हें छोड़ कर गए थे तब भी वह यही कह रहे थे - यथा मोह्हम्मद आज़म का मामला हो, बेनी का मामला हो, राज बब्बर का मामला हो हमेशा नेता जी ने यही कहा था वह पार्टी से नहीं जायेंगे , पर सब चले गए . वैसे ही अमर  सिंह जी का मामला है, यदि कहीं जगह मिल गयी तो तो अब सपा में क्या रक्खा है? मुझे तो लगता है बसपा में जायेंगे यदि जगह मिली, यदि ठाकुर को कांग्रेस की जरुरत हो तो ठाकुर अमर सिंह क्या भर्ती हो पायेगी, कांग्रेसी जानते है अमर सिंह की औकात.
                        "यदुबंश का नाश रघुबंश का खास" का न्यारा आखिर कहाँ गया , क्यों गया क्या उसे पता है की अब आगे समाजवादी पार्टी सत्ता में नहीं आने जा रही है , बर्मा जी आजम खान राज बब्बर शायद इनकी वापसी हो पर अमर सिंह के जाने से "उत्तर प्रदेश में सपा की वापसी तय है "मुलायम सिंह जी को अब यह तय करना चहिये की "पिछड़ों की राजनीति दिशाहीन है उसे इंतजार है दिशा देने वाले नेता की" यदि इस दायित्व का निर्वहन वो न किये तो आने वाला वक्त उन्हें माफ़ नहीं करेगा" वक्त आ गया है की अमर का पीछा अब छोड़ देना चहिये ? पिछड़ों का पीछा करना चहिये |


उम्र भर पहलू में रखा और हम कोई नहीं |
एक नज़र भर उसने देखा दिल उसी का हो गया ||


क्या मेरी जुबा पर भी जादू तेरा चलता है |
क्या सोच के आया था क्या मुंह से निकलता है||


जो दीप हवाओं की आगोश में पलता है |
ओ दीप अँधेरे का माहाओल बदलता है ||  


डॉ. लाल रत्नाकर

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