8 जन॰ 2010


नेता जी मान जाओ - अमर को जाने दो  

अमर ने सिर्फ पद छोड़े हैं : मुलायम

Jan 07, 02:44 am


"इटावा। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने महासचिव अमर सिंह के पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देने को अंदरूनी मामला बताया। उन्होंने कहा कि अमर ने पार्टी के पदों से इस्तीफा दिया है, न कि पार्टी से। हालांकि उनका कहना था कि इस्तीफे की अधिकृत जानकारी उन्हें नहीं मिली है, मीडिया से पता चला है। दिल्ली जाकर मामला सुलझा लिया जायेगा।
बुधवार को मुलायम सिंह यादव सिविल लाइंस स्थित अपने आवास पर थे। दोपहर में अमर सिंह के इस्तीफे की खबर पर प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि पूरी पार्टी एक परिवार है, इसमें कोई विवाद नहीं है। हर घर में मामले होते हैं, जो मिल-बैठकर सुलझाये जाते हैं। दिल्ली जाकर यह मामला भी सुलझा लिया जायेगा। वैसे उनका मानना है कि अमर सिंह ने स्वास्थ्य कारणों के चलते पदों से इस्तीफा दिया होगा। गुर्दा प्रत्यारोपण के बाद डाक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है। इससे पूर्व वे स्वास्थ्य कारणों से तीन बार इस्तीफा देने की पेशकश कर चुके थे। फिलहाल पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और संसदीय दल की बैठक कर इस विषय पर विचार किया जायेगा। सपा महासचिव प्रो. रामगोपाल से उनकी अनबन होने के संबंध व अन्य मामलों के सवालों को भी उन्होंने घरेलू मामला बताकर टाल दिया।"
(साभार - दैनिक जागरण )
नेता जी के नाम खुला पत्र 

आदरणीय नेता जी 
'१९९२ के बाद आपसे मुखातिब हूँ इस बीच परछाई की तरह आपकी तस्वीर और राजनीत की शक्ल लिए चलता और लड़ता रहा हूँ सोचा था एक यैसे ईमानदार और इज्जतदार शख्स के पीछे खड़ा हूँ जहाँ से 'देश की शक्ल' बदल देने की हिम्मत , ताकत और जज्बा दिखाई दे रहा था' 
"मुलायम सिंह जी मान जाओ  जिनके दिल यह कहने को तैयार बैठे है की सपा में सुधार हो जायेगा अमर सिंह के जाने से.अमर को अगर फिर मनाया तो वह निराश होंगे |"
अमर सिंह आपको लगता है की नेता है पर येसा नहीं है आपके पास आने से पहले अमर सिंह को कौन जानता था उनकी हैशियत 'मुलायम की वजह से बनी है' पर आपके समझ में यह क्यों नहीं आता की आपकी राजनैतिक दुर्दशा अमर सिंह की वजह से हुई है "सितारे और पूंजीपति तो मड्राते ही उसी पर या वही है जहाँ संभावनाएं होती है " जयाप्रदा , जया बच्चन या न जाने कितनी सिने तारिकाओं से काबिल सक्षम महिलाएं पिछड़ों और मुसलमानों तथा दलितों के परिवारों में तब भी थी और आज भी है "जिनके आरक्षण के लिए आज आप लडाई कर रहे हो महिला आरक्षण में हिस्सेदारी के लिए" पर क्या उक्त प्रकार की नारी को - राज्य सभा , लोक सभा या अपनी सरकार में किसी काबिल पद पर आपने बैठाया , जरा सोचिये उन्ही के पतियों, पिताओ, भाईओं ने लड़ - लड़ कर आपको बुलंद किया था, पर उस सारी बुलंदी की मलाई अमर की मंडली चट कर गयी , अब देखना ये है की उस मंडली के लोग कहाँ जाते है . एक बात और है नेता जी "सदियाँ लग जाती है किसी आन्दोलन को खड़ा करने में पर पल भर की बेरुखी ध्वस्त कर देती है क्या आपको याद है इसी अमर के चलते कितने यादवों को आपने दण्डित किया था, यदि कहें तो सूचि संलग्न कर दूँ पर उनका नाम लिखना भी ना इंसाफी ही होगी, निठारी से लेकर आपकी चारदीवारी तक के लोंगों ने अमर की वजह से कोसा था आपको "राजनीति में कोई आये कोई जाये पर इमान और इज्जत से राजनीति में रहना आपसे सिखा था फूलन को भी आप पर ही भरोसा था  - पर इस अमर ने इज्जत और इमान का सौदा ही नहीं इतने घटिया तरीके से बेचा है, वैसे तो कोई बेसहारा माँ भी अपने औलाद को न बेचती इन्हें क्या पता "कितनों के पिताओं ने अपने बच्चों के होम वर्क भी नहीं देखे होंगे और पागलों के तरह पार्टी के लिए जान तक दे दिये, दलालों की सूचि में नाम आ जाये इसलिए अमर के चक्कर काटने और कटाने वालों को हमने भी देखा है . "लोहिया के कितने यैसे चेले थे .

अतः नेताजी वक्त आ गया है अमर सिंह के सपा से चले जाने का आप विश्वाश करो अभी इनको जाने दो,यह फिर लौट कर आपके पास ही आयेंगे जब आप की शक्ति लौट आएगी 'वह समझदार है आपको यैसे ही नहीं छोड़ के जा रहे है वह जानते है अब उनका काम ख़तम हो गया है हिसाब किताब यैसे लोग नहीं करते है देते भी खूब है लेते भी खूब है |
सादर |
(- चित्रकला जैसे कम लोकप्रिय विषय में पढाई करने के उपरांत जब कला कुल स्वर्गीय राय कृष्णदास के सुझाये "पूर्वी उत्तर प्रदेश की लोक कला" पर प्रोफ.आनंद कृष्ण के निर्देशकत्व में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से शोध किया था. इस कम के लिए जब मै पूर्वी उत्तर प्रदेश का सर्वे किया था और उस समय जो 'सामाजिक सरोकार - सामाजिक भेदभाव नज़र आया था' लगा था यह शायद राजनीति से दूर हो जायेगा उसी जज्बे के साथ राजनीति के करीब आया था १९९१ का गड्वारा, जौनपुर से विधान सभा का चुनाव समाजवादी जनता पार्टी (सजपा) से पर जल्दी ही मोह भंग हो गया था, पर आज इसलिए यह लिख रहा हूँ की एक डरपोक से ताकतवर कैसे डरता है -?)
-डॉ.लाल रत्नाकर      

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