25 मार्च 2010

महिलाएं सीटियों से इतना बिलबिला गयीं .........
कांग्रेसियों को क्या हो गया है ?
डॉ. लाल  रत्नाकर 
वाह आखिर मुलायम सिंह की जुबान भी पकड़ने की आदत डालनी पड़ गयी है या देश भर की महिलाएं सीटियों से घबरा गयी है, किलकारियों की आदत से शुरु हुयी कन्यायों के स्वाभाव पर इतना बवेला, मुलायम सिंह ने तो कम ही कहा है, जब वे आएँगी तो न जाने क्या क्या होगा फिर भी सीटियाँ बजाना संसद का स्वभाव ही नहीं वातावरण भी ख़राब करेगा, बिंदा करात की चिंता भी जायज है आखिर जब ये वामपंथ के गले में पूंजीपतियों की हीरे मोती जवाहरात की मालायों से सुसज्जित होंगी और धर्मनिरपेक्षों पर साम्प्रदायिकों की मुहब्बत और सजातीय आकर्षण से कैसे अलग हो सकती है |
वाह रे कांग्रेसियों मुंबई सी बीच पर अमिताभ बच्चन को देख कर बिलबिला गए आकाओं को दिखाने के लिए 'कांग्रेसी' कार्यकर्ता कुछ भी करते घबराते नहीं यही जूनून उन्हें देशद्रोह और सांप्रदायिक होने से नहीं रोक पाता क्यों जब महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में आया तो उन्ही "भाजपों" के साथ चिल्ला चिल्ला कर एक होते देख उनकी 'सम्राज्ञी' भी मुस्कुरा रही थी,'तब नरेन्द्र मोदी याद नहीं आ रहे होंगे'.
भला हो इन विरोधियों का 'जो टुकड़ों में सामाजिक न्याय के नाम पर मोटी रोटी सेक रहे है, जिसका मोटा हिस्सा यही नरेन्द्र मोदी विरोधियों मगर जोशियों के आका खा जा रहे है' एक हो जाये ये भले मानस तो भला हो 'मानुष' का भारतीय मानुष - कहीं गुजरात में , महाराष्ट्र में , बिहार में , यू.पी. में , एम् .पी .में और साऊथ में धक्के खा रहा है पर इसके आका बटे हुए है, टुकड़ों में .
जन जन के मन में बिग बी 'बड़े' अपने अभिनय से हुए है पर 'दल्लुओं' से उन्हें कौन बचाए, कब ये समझ देश को आएगी -
          कलाकार  देता नहीं युग- धरा का साथ ,
          बहती गंगा में नहीं धोता है वह हाथ .
काश कोई कलाकार यह बात समझ पाता, अभी यही देश मौन था जब हुसेन ने भारत छोड़ा "वामपंथियों की सरस्वती,लक्ष्मी,सीता और राम को नंगा कर दिया था, जब ये 'द्रोपदी' को नंगा कर रहे थे तब किसे देश निकाला मिला था उन्ही के पतियों को .
अमिताभ जी इन राजनीतिज्ञों से दूर रहिये, मोदी के साथ खड़े होंगे तो कंग्रेस्सी बिल्बिलायेंगे, इन कांग्रेसियों के साथ होंगे तो भाजप वाले गरियायेंगे, मुलायम के साथ होंगे तो अब अमर को राश नहीं आयेंगे, अमर के साथ होंगे तो मुलायम को नहीं भाएंगे. यदि आप के दर्शक आपके साथ होंगे तो ऊपर वाले सारे कभी न कभी आपको गले लगायेंगे .
मुझे  लगता है किसी कलाकार को इन राजनेताओं के साथ खड़ा नहीं होना चहिये .


1 टिप्पणी:

Jandunia ने कहा…

सीटी बजने दो न, तभी तो लगेगा विकास की गाड़ी बुला रही है। आधुनिक होना है कि नहीं। यदि संसद में पुरुष सीटी बजाएंगे तो महिलाएं क्यों पीछे रहेंगी वो भी पुरुषों को देखकर सीटी बजाएंगी।

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