पर सेमिनार लखनऊ में
गायब हैं अमर सिंह
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समाजवादी पार्टी से अमर सिंह की रुखसती का अहसास पार्टी को हो न हो कम से कम राज्यसभा में उनकी गैर-मौजूदगी पत्रकारों को अखर रही है। गुलजार रहने वाली तीन नंबर की बेंच खाली, उदास और उजास सी रहती है। न जया बच्चन आ रही हैं और न ही अमर सिंह। अमर सिंह के बाद सपा की ओर से उठाए जा रहे मुद्दों में न तो सियासी पैनापन है और न ही सरकार को देख लेने की घुड़की देने का नेतृत्व दिखाई दे रहा है।
फोन टैपिंग के मुद्दे पर अमर सिंह संसद में बोलते तो उसे मीडिया में उतनी ही तरजीह मिलती जितना उनके ब्लॉग को पढ़ने के लिए धड़ाधड़ हिट किया जा रहा है। संसदीय दल के नेता बृजभूषण तिवारी इस विषय पर क्या बोल गए उस पर खबर बनना तो दूर किसी को पता भी नहीं लग सका। अब तो भाई रामगोपाल यादव के एक तरफ बसपा के बृजेश पाठक तो दूसरी तरफ अखिलेश दास बैठते हैं और देर तलक गप का सिलसिला चलता है।
1 टिप्पणी:
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PAR JARUR AAYE
SHEKHAR KUMAWAT
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