26 मई 2010


साभार BBC से -

जाति जनगणना पर फ़ैसला टला

भारतीय
जाति के आधार पर जनगणना आख़िरी बार 1931 में हुई थी
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में जाति आधारित जनगणना के विवादित मसले पर कोई फ़ैसला नहीं हो सका और यह तय किया गया कि अब इस पर मंत्रिमंडलीय समूह विचार करेगा.
वित्तमंत्री और लोकसभा में सदन के नेता प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाला मंत्रिमंडलीय समूह इस पर फ़ैसला करेगा.
ख़बरें हैं कि मंत्रिमंडल के सदस्यों के बीच गहरे मतभेद होने की वजह से इस पर फ़ैसला नहीं हो सका.
भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी ने आरोप लगाया है कि इस मुद्दे को मंत्रिमंडलीय समिति को भेजने का फ़ैसला इसे ठंडे बस्ते में डालने के लिए किया गया है.
लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा है कि इस मुद्दे पर पार्टियों के भीतर भी जितने मतभेद हैं उसमें यह ज़रुरी है कि इस संवेदनशील मसले पर फ़ैसला सोच-समझकर किया जाए.
उल्लेखनीय है कि संसद में जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर हुई बहस के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आश्वासन दिया था कि विभिन्न दलों की राय को ध्यान में रखते हुए वे इसे मंत्रिमंडल के समक्ष रखेंगे.
सोमवार को पत्रकारवार्ता में उन्होंने इस आश्वासन को दोहराया था.
उल्लेखनीय है कि भारत में हर दस साल में एक बार जनगणना होती है. वर्ष 2011 के लिए जनगणना का काम शुरु हो चुका है.

मतभेद

जाति आधारित जनगणना हो या न हो इस मुद्दे पर कई वरिष्ठ मंत्रियों के बीच गंभीर मतभेद हैं.
वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी और क़ानून मंत्री वीरप्पा मोइली जहाँ जाति आधारित जनगणना के पक्ष में हैं वहीं गृहमंत्री पी चिदंबरम इसके ख़िलाफ़ हैं.
जाति आधारित जनगणना का विरोध करने वालों का कहना है कि जब भारत को जाति-विहीन समाज बनाने की बात कही जाती है तब फिर जाति के आधार पर जनगणना क्यों होनी चाहिए.
लेकिन इसका समर्थन करने वालों का कहना है कि अगर जातियाँ हैं तो उनकी जानकारी हासिल करने में आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
वहीं संसद में भी इस पर अलग-अलग तरह की राय है.
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), समाजवादी पार्टी (एसपी) और जनता दल यूनाइडेट (जेडीयू) जाति आधारित जनगणना की वकालत कर रहे हैं और भाजपा भी इस मांग का समर्थन कर रही है.
लेकिन सत्तारूढ़ गठबंधन यूपीए का नेतृत्व कर रही कांग्रेस के भीतर इस मुद्दे पर मतभेद हैं.

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