6 मई 2010

साभार BBC HINDI से -

जनगणना पर लालू-अनंत भिड़े

जनगणना
भारत में जनगणना की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है
बुधवार को लोकसभा में जाति आधारित जनगणना को लेकर भारी हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही पहले दो बार स्थगित करने बाद दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी.
जनगणना-2011 पर बहस की शुरुआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अनंत कुमार ने अवैध बांग्लादेशी घुसपैठी का सवाल उठाया, जिस पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने जाति आधारित जनगणना के मुद्दे से ध्यान हटाने का आरोप लगाया.
लालू प्रसाद और अंनत कुमार में वाक् युद्ध के बीच जो हंगामा शुरु हुआ उसकी वजह से जाति आधरित जनगणना पर चर्चा नहीं हो सकी.
इससे पहले मंगलवार को भी जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर लोकसभा में ख़ासा हंगामा हुआ था.
केंद्र में कांग्रेस गठबंधन सरकार जाति आधारित जनगणना के ख़िलाफ़ है, हालांकि कैबिनेट में इस मुद्दे पर एक राय नहीं है.

तकरार

बुधवार को लोकसभा में जाति आधारित चर्चा के दौरान भाजपा ने उन अवैध बांग्लादेशी घुसपैठी का सवाल उठाया, जो भारत के नागरिक के तौर पर पंजीकृत हैं.
अनंत कुमार ने लोकसभा में कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठी का मामला आंतरिक अशांति और बाहरी आक्रमण से जुड़ा हुआ है.
जबकि लालू प्रसाद यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा बार-बार बांग्लादेश और पाकिस्तान की बात करके जाति आधारित जनगणना से जुड़े मुद्दे से ध्यान हटाना चाहती है.
अवैध घुसपैठ के मुद्दे पर लालू प्रसाद के बार-बार के हस्तक्षेप से आहत अंनत कुमार ने लालू प्रसाद के लिए कड़े शब्दों का भी प्रयोग किया. जिससे लेकर लोकसभा में भारी हंगामा हुआ.
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष शरद यादव ने कहा, "यह चर्चा जाति आधारित जनगणना के विषय पर होनी थी, लेकिन जिस तरह से यह बहस चली, उससे तनाव पैदा हुआ."
ग़ौरतलब है कि भारत में जनगणना की शुरुआत वर्ष 1881 में हुई थी और इसमें जाति से संबंधित भी सवाल पूछे जाते थे, लेकिन वर्ष 1931 की जनगणना में जाति के बारे में सवाल पूछे जाने पर रोक लगा दी गई और तब से ही जाति से संबंधित सवाल नहीं पूछे जाते.
जनगणना-2011 की औपचारिक शुरुआत हो चुकी है और जाति आधारित जनगणना की मांग तेज़ हो रही है, लेकिन इसका विरोध भी हो रहा है

2 टिप्‍पणियां:

honesty project democracy ने कहा…

मैंने लालू और अनंत की भीरंत देखि थी / मेरे ख्याल से संसद अब वैचारिक मंच की जगह पहलवानी अखारा बन गया है ?

Dr.Lal Ratnakar ने कहा…

भाई,सांसद और संसद के यह रूप आपको बहुत देर से दिखाई दे रहा है जबकि जितने भी मसले यैसे होते है जिन्हें अखाड़े की तरह ही इस्तेमाल करना पड़ता है, अन्यथा आपके भाई बंधू बौद्धिक चतुराई से पूरे देश को ही चुशते रहेगे औरों को सिख देते रहेंगे.इसीलिए अखाड़े बाज़ बधाई के पात्र है,बिरोध दिखाई ना दे तो विरोध कैसा.

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