डॉ.लाल रत्नाकर
आज हमारे देश के वो लोग जिन्हें हम सामन्यतय लोक से सम्बोद्धित करते है लोक पूरे देश में अनेकों प्रकार से विविध प्रकार की कलाओं एवं संस्कृति से परिपूर्ण रहा है, जिसे आज हम जाने या अनजाने तरीके से बिना किसी समझ के रोज किसी न किसी रूप में नष्ट करते जा रहे है.
परन्तु कुछ ऐसे क्षेत्र भी है जहाँ आज भी इस तरह की रचनाएँ हो रही है पर व्यापारिक गतिविधियों के कारण उनकी स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती क्योंकि बाज़ार ने लगभग सबकुछ बिगाड़ कर रख दिया है .
2 टिप्पणियां:
nice
Thanks
एक टिप्पणी भेजें