9 जून 2010

स्वाभिमान, सम्मान और राजनीति 
डॉ.लाल रत्नाकर
संबंधो में जिसने राजनीति को इन्वाल्व किया वह सम्बन्ध नहीं रहता यही कारण है कि आज सम्बन्ध टूट रहे है और हर व्यक्ति राजनीति का शिकार हो रहा है, जब व्यक्ति अपने स्वाभिमान और सम्मान को खो देता है तब वह राजनीति का हिस्सा हो जाता है उसे लगता है कि उसका सम्मान बढ़ रहा है और वह स्वाभिमानी है पर होता बिलकुल इसके उलट है स्वाभिमान तो थोथा है उसका कद इतना बौना हो जाता है कि वह सच से कोसों दूर 'झूठे स्वाभिमान' में भटकता रहता है तमाम तिकड़म कराता है करता है क्योंकि उसे सम्मान कि भूख है जिससे वह स्वाभिमानी दिखे.
जीवन में एक सफल राजनितिक जिसकी निन्दा न हुई हो, हत्या न हुयी हो, जेल न हुई हो, बंदी ना बनाया गया हो, या जूते चप्पल न खाया हो या उसकी औलादों ने उसे बंदी न बनाया हो. क्योंकि ये जब राज कर रहे होते है तब इन्हें यह पता नहीं होता कि वह क्या कर रहे होते.  

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