12 सित॰ 2010

कपिल सिब्बल क्या करें ?

दुनिया की 300 टॉप यूनिवर्सिटीज में भारत फिर पिछड़ा

उच्च शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए केंद्र सरकार चाहे कुछ भी और कैसी भी योजना बना रही हो, लेकिन इसकी हकीकत सामने आ चुकी है। इस साल क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग द्वारा किए गए सर्वे में भारत की कोई भी यूनिवर्सिटी शीर्ष 300 में अपना स्थान नहीं बना पाई है। हालांकि आईआईटी, मुंबई ने कुछ लाज बचाते हुए 187वां स्थान पाया है। जबकि यह संस्थान पिछले वर्ष 163वें स्थान पर था। इस संस्थान को 100 में से 48.79 अंक मिले हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी को 371वां स्थान मिला है, जबकि यह यूनिवर्सिटी पिछले वर्ष 291वें स्थान पर थी।


दुनियाभर के ५क्क् शैक्षिक संस्थानों में हुई रैंकिंग में इस वर्ष पिछले सात सालों से पूरी दुनिया में शीर्ष पर कायम हॉवर्ड यूनिवर्सिटी को कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी ने पीछे छोड़ नबंर एक का ताज अपने नाम कर लिया है। सात साल बाद नंबर एक का ताज पहनने वाली ब्रिटिश यूनिवर्सिटी पहली गैर ब्रिटिश यूनिवर्सिटी है। रैंकिंग में ब्रिटिश यूनिवर्सिटी ने १क्क् में से 100 अंक लेकर हॉवर्ड यूनिवर्सिटी (99.18 अंक) को दूसरे स्थान पर धकेल दिया। इसके अतिरिक्त शीर्ष 100 में एशिया की 15 यूनिवर्सिटीज ने जगह पाई है, जिसमें हांगकांग यूनिवर्सिटी शीर्ष पर है। हांगकांग यूनिवर्सिटी 87.28 अंकों के साथ 23वें स्थान पर रही।


आईआईटी की स्थिति : इस सर्वे में आईआईटी, मुंबई को 187वां, आईआईटी, दिल्ली को 202वां, आईआईटी, कानपुर को 249वां, आईआईटी, चैन्नई को 262वां, आईआईटी, खड़गपुर को 311वां, आईआईटी, गुवाहाटी और आईआईटी, रूड़की को संयुक्त रूप से 401वां स्थान मिला है।
(साभार दैनिक भाष्कर १२ सितम्बर २०१० )

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