16 जून 2011

भ्रष्टाचार और बाबा रामदेव 
डॉ.लाल रत्नाकर
आपको याद होगा मैंने बहुत पहले इस पर चर्चा किया था की बाबा को जल्दी ही इस देश की असलियत से रूबरू होना पड़ेगा, इनके सरे समर्थक अपने मतलब और लाभ के लिए इन्हें सुनते हैं, जबकि वह सब भ्रष्टाचार के उत्पाद  हैं मैंने उस समय इस बात को भी काफी गंभीरता से उठाया है की सब के भ्रष्टाचार के खाने अलग अलग हैं, किसका भ्रष्टाचार कितना महत्त्व का है उतना इस्तेमाल वह अपनी सुबिधा से कर लेता है अब उसे बाबा 'भ्रष्टाचार बता रहे हैं .
राष्ट्र की पूंजीवादी और ब्राह्मिनवादी (सभी तरह के जातियों से इकट्ठे हुए नव सृजित)  ताकतें एन केन प्रकारेंन सत्ता पर काबिज हैं एसी अवस्था में 'भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की बात' बाबा को कटघरे में लाकर खड़ी कर दी, एसा नहीं की बाबा रामदेव इस मुल्क के पहले बाबा हैं और राष्ट्र स्वाभिमान की बात करने वाले अकेले व्यक्ति हैं दुखद है की बाबा की असलियत और 'व्यवसायिक विस्तार के लेखा जोखा सरकार की मर्ज़ी पर है, आज टाटा बिरला अम्बानी सब के अब सत्ता में बैठे महाभ्रष्टों के निशाने पर हैं बाबा की क्या बिसात है जो उनके 'भ्रष्टाचार और धूर्तता के सामराज्य पर निशाना साधें.
मुझे पहले भी आशंका थी की बाबा निश्चित रूप से राष्ट्र स्वाभिमान की बात कर रहे हैं पर कौन जानता था की 'राष्ट्र स्वाभिमान कोई बाबा कैसे तय करेगा ओ भी जो संयोग से यादव हो. लालू और मुलायम ने क्या किया क्या नहीं यह तो छोडिये इसी 'भ्रष्ट कांग्रेस को कितनी बार बचाया इसे भी छोडिये आज उनकी स्थिति क्या है केवल 'बकवास' करते मसखरे नज़र आते हैं सत्ता पाने के बाद भी सत्ता के भूखे नज़र आते हैं, जनता का विश्वास भी जाता रहा है, समाज को बांटने का कलंक भी इन्हें ही झेलना पड रहा है जबकि ये स्वजाति प्रेम से हजारों हज़ार मील दूर रहे हैं साजिशों की इनकी नियति नहीं थी पर इन्हें जातिवादी और भ्रष्ट बना दिया गया, क्योंकि ये साजिशें नहीं रच रहे थे आम आदमी की सोच रहे थे, पर उस साममी इनके पीछे दलालों पूंजीपतियों की फौज लगाने वालों को ये भी नहीं पहचाने समय रहते. आज ये जहाँ हैं आप देख रहे हैं सो बाबा जी को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह आज कि पिछड़ी और समाज की उस जाती से आते हैं जो वीर रही है, गौरवशाली रही है पर उसकी पहचान 'गाय भैंस चराने वाले से ऊपर नहीं आने दी गयी' है जबकि 'भिखारी' कि पहचान आज गायब हो चुकी है जबकि ''भ्रष्टाचार'' कि हर इंडस्ट्री में उसका बड़ा हिस्सा है' .
अब वक्त आ गया है बदलाव का और समग्र बदलाव के लिए ईमानदार पर समझदार पहल की आवश्यकता है, जिससे बदलाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है .
जकडन कहाँ है-
हम इतिहास के पटल पर जाएँ तो पाएंगे की नव इतिहास की प्रक्रिया चल रही है, जिसमे बदलाव और व्यवस्था पर काबिज रहने के चक्कर में सभी मदांध हो गए हैं क्या राजनीतिज्ञ, क्या व्यवसायी, वकील, डाक्टर,पत्रकारों, प्राध्यापकों व्  चिन्तक,बाबा,जनता व् नवजवान और इन सबको चलाने वाले अफसरों व् कर्मचारियों, न्यायालयों व् सुरक्षा विंगों की सबकी प्राथिमिकतायें बदली हैं वहां भ्रष्टाचार ने घर किया है.
(मुख्य रूप से बाबा रामदेव ने भी वही किया है जो तमाम कार्पोरेट घराने के लोग करते हैं, इन्होने महत्वपूर्ण यह किया है की अपना सबकुछ 'बालकृष्ण द्विवेदी' को सौंप दिया है, क्योंकि त्याग पर भाषण करना है यह तभी हो सकता है जब आप सब कुछ ब्रह्मिन को सौंप चुके हों')   

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