देखो भैया ये डोरे डाल रहा है ; जरा बची के रहिओ !
धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का
(अमर उजाला से साभार khabar के आधार पर)
डॉ.लाल रत्नाकर
धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का
(अमर उजाला से साभार khabar के आधार पर)
डॉ.लाल रत्नाकर
अमर के दिल की कसक मानों चोट में बदलने लगी | |||
नई दिल्ली/अमर उजाला ब्यूरो। | |||
Story Update : Tuesday, March 13, 2012 1:19 AM | |||
सपा के पूर्व महासचिव अमर सिंह यह मान चुके हैं कि सपा में उनकी वापसी का रास्ता बंद हो गया है। उत्तर प्रदेश चुनाव में परचम लहराने के बाद सोमवार को संसद पहुंचे सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को कैमरों के चमचमाते फ्लैश के सामने देखते-देखते अमर सिंह के दिल की कसक मानों चोट में बदलने लगी जिसे आखिर उन्होंने बयां कर ही दिया।
गुजरा हुआ जमाना आता नहीं दोबारा बजट सत्र के पहले दिन भीतर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का अभिभाषण चल रहा था और बाहर अकेले घूम रहे अमर सिंह मीडिया से कहते फिर रहे थे कि ... गुजरा हुआ जमाना आता नहीं दोबारा, हाफिज खुदा तुम्हारा ....। अमर सिंह ने कहा कि उन्होंने ही कभी सपा सुप्रीमो नेता जी से कहा था कि अखिलेश का नाम मुख्यमंत्री के तौर पर आगे बढ़ाना चाहिए और युवाओं को पार्टी में जगह देनी चाहिए। जनता ने परिवारवाद पर मुहर लगा दी अमर सिंह के मुताबिक उस वक्त मुलायम का कहना था कि इससे परिवारवाद को बढ़ावा मिलेगा। अब उत्तर प्रदेश की जनता ने इस परिवारवाद पर मुहर लगा दिया है। नेता जी से मनमुटाव पर कहा कि उन्होंने सपा के लिए खून और गुर्दा कुर्बान किया है। नेता जी के साथ उनका रिश्ता दिल का है राजनीति का नहीं। सपा में वापसी की गुंजाइश के सवाल पर कहा कि वह राजनीति में पैसा कमाने नहीं आए थे। राजनीति उनका शौक है और वह किसी भी हालत में राजनीति नहीं छोड़ेंगे। सपा से निकाले जाने के बाद कांग्रेस के मंच पर लगातार अपनी जगह तलाश रहे अमर सिंह राहुल गांधी की मेहनत की तारीफ करना नहीं भूले। कहा, राहुल ने कोशिश की लेकिन परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं आए। राजनीति में ऐसा होता रहता है।
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यह उदारवादी रवैया अपना कर चारों तरफ नेता जी के गुणगान करेगा, नेताजी इसके इन्ही नौटंकियों पर रीझ जायेगे और यह अपनी 'दुकान' इधर लगा लेगा , फिर तो दूकान चलने में तो कोई अड़चन ही नहीं इसके पुराने ग्राहक तो हैं ही , नए 'मुख्यमंत्री' को यह भी देखना है. की ऐसी दुकानें न लगाने पायें.
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