13 जुल॰ 2015

नेता जी के नाम !

आदरणीय नेता जी
हमलोग आपका इतना आदर करते हैं और आप हैं कि अमर सिंहो गायत्री प्रजापतियों के चक्कर में आ जाते हैं, अमर सिंह पर तो बहुत कुछ लिखा जा चुका है पर ये गायत्री प्रजापति क्या है? ये तो अमेठी में मेरा विद्यार्थी रहा है नेता जी मुझे अच्छी तरह याद है यह उनदिनों यह सफेदी आदि करता था और अमूमन विद्यालय न के बराबर ही आता था, उनदिनों मैं भी आप से मिलता रहता था जब मेरे साथ अमेठी के बहुतेरे युवा भी होते थे जबकि यह उस अभियान में कहीं था ही नहीं जिसे राजनीति का अ ब स आता रहा हो और ये दिन गायत्री और आपका समाजवाद कहां आ गया है।
राजनीति पर बात करते समय यह विस्मृत नहीं होता कि यह वही नेताजी हैं जो अच्छे बुरे की बात तो करते थे, कौन भला है कौन बुरा है, आज यह स्थिति हो गयी है कि गायत्री नुमा लोगों के लिये आपका यह स्टैंड । मुझे अच्छी तरह यह समझ आ गया था कि आप राजनैतिक तौर पर ऐसे युवाओं को बढ़ा रहे थे जिसकी कोई रीढ़ न हो।
जिस अमेठी से यह चुनाव जीता है और जिससे जीता है वह भले ही जनता की नजर में जैसे भी हों पर आप तो उस जगह और हरिचरन यादव को जानते ही हैं जो बहुत पहले ही वहां से चुनाव जीत चुके हैं। मुझे इनदिनों का नहीं पता पर गायत्रीनुमा लोग अर्थउपार्जन तो कर सकते हैं पर सामाजिक परिवर्तन नहीं।
नेता जी समाजवाद का यह चेहरा समाजवाद के सारे सिद्धान्तों को ठेंगा दिखाता है। जहाँ इस तरह के धन संग्राहक समाजवादी सरकार के काबिना मंत्री बना दिये जायं।
माना कि ये अफसर देश की वह परीक्षा पासकर आते हैं जिनसे अपेक्षा होती है कि ये सरकारों के प्रति वफादार होगे निरंकुश नहीं। पर अब जब ये इस स्थिति में आकर आपको चुनौती दे रहे हैं तब यह आभास होने लगता है कि दाल में नमक नहीं नमक में दाल डाली जाने लगी है।
ये माना कि नौकरशाही सेवक न होकर अपने में सामन्ती चरित्र का असर आ जाता है, लेकिन मायावती जी के जमाने में
इनकी घिघ्घी बध जाती रही है।नौकरशाह को तब लगता है कि वह वास्तव में नौकर / सेवक है।
यह तो नेता जी है जो इतने सरल और उदार है उन्होंने यदि फ़ोन किया और इनके कुकर्मों की याद ही दिलाई है, यही तो प्यार  से समझाया ही तो है अन्यथा राजा भैया जैसे मंत्री भी तो इनके पास हैं ।
कहीं न कहीं कुछ बहुत गड़बड़ है नेता जी ।

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