10 नव॰ 2015

खुला खत मुख्यमंत्री के नाम !


सुप्रिय
श्री अखिलेश यादव
मुख्यमंत्री जी
शुभाशीष

प्रियवर
      बहुत दिनों के बाद आपको यह खुला पत्र लिख रहा हूं, मुझे याद है मैंने पहला पत्र जब आपको लिखा था तो उसमें अपने पुराने शिष्य को मन्त्रिमंडल में लिए जाने के लिए लिखा था। जिसके लिए मेरे अमेठी प्रवास के शिष्यों ने आग्रह किया था।

      यद्यपि आप मुझे नहीं जानते होंगे पर मेरी मुलाकात आपसे बहुत ही योग्य लोगों ने करायी थी जब आप केवल सांसद थे। 2012 की अभूतपूर्व सफलता के लिये मैं भी अपना योगदान समझता हूं क्योंकि वर्चुअल दुनिया में मैं कट्टर समाजवादी चिन्हित हूं।

    अब जिन बातों के लिये मैं लिख रहा हूं उसमें समाज और बेरोजगारों के प्रति चिन्ता के अलावा सबसे महत्व के कार्य शिक्षा की चिन्ता है। स्कूलों, माध्यमिक विद्यालयों, कालेजों, विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों की व्यवस्थाओं की तरफ आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूं।

     मान्यवर उक्त संस्थानों में शिक्षा के स्तर को उन्नत किए रखने के लिए प्राध्यापकों की नियुक्तियां लम्बे समय से लम्बित हैं, बल्कि उनकी नियुक्ति न होने के कारण कई कई विभाग तो शिक्षक विहीन हैं। कारण जो भी हों पर असर तो वर्तमान पीढ़ी की शिक्षा व्यवस्था पर ही पड़ रहा है। सरकार के दायित्व का यह प्रमुख हिस्सा है।

      सजग और जागरूक समाजवादी होने के नाते यह चिन्ता निरन्तर सताती है कि अब वह कौन सी घड़ी आयेगी जब सामाजिक न्याययुक्त राज्य की अवधारणा खड़ी होगी और उनको न्याय मिलेगा ? इतने सवाल हैं जिन्हें इस खुले खत में उठाना उचित नहीं समझ रहा हूं।

       सम्भव है आपके चारो तरफ चापलूसों का साम्राज्य हो जो यथार्थ को समझने और आप तक न आने दे रहा हो, पर यह चमचे वोटर नहीं होते केवल चमचे होते हैं, जो जिसकी सत्ता होती है उसी की बटलोई के हिस्से हो जाते हैं। जैसा कि संज्ञान में आया है कि चारों तरफ आपके विरोधियों अर्थात समाजवादी विचारों के विरोधियों की तैनाती है, जो प्रदेश को लूट भी रहे हैं और बदनाम भी कर रहे हैं।

        अन्त में आपको आपके आवाहन पर आगाह करने का प्रयास किया हूं, यदि उचित लगे तो विचार करियेगा अन्यथा आप सरकार के मुखिया तो हैं ही।

सादर।

दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ।

डा.लाल रत्नाकर
09810566808

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