23 जुल॰ 2009

अब पछताए होत क्या ? जब खाली हो गयो हाथ !



श्रीमती केशा यादव
माननीय नेताजी अब समझ आया कि समर्थन और विरोध क्या होता है न तब समर्थन गलत था न अब विरोध ठीक है, यही समय है विरोधी को ठीक से समझने का अब अमर सिंह को समझाईये कि आराम करे यह समय नहीं है समर्थन वापस करने का, आपके सामने वाली गरिया भी रही है धमका भी रही है और समर्थन भी वापस नहीं ले रही है, और आप है कि समर्थन बिना मांगे देते है और दे दिया तो पछताते क्यों है, आराम से देखते जाईये आप ये आगे आगे करते है क्या? ये जरुरत पड़ी तो आपको बहलाएँगे फुसलायेंगे और यही अमर सिंह आपसे समर्थन भी दिलवाएंगे, क्योंकि वे जानते हैं समाजवाद का दोहन करना और कराना. वैसे देखा जाय तो आपको क्या खतरा है आपके साथ तो जनता है ओ जिन्हें जनता मरना चाहती है रक्षा तो उनकी करनी चाहिए या होनी चाहिए ! अभी भी समय है? यदि जनता फिर से आप के करीब आ गयी तो अमर सिंह के भी काम बढ़ जायेंगे और आपकी रक्षा कि कवायद भी. वैसे तो इतने समाजवादी देश में है पर समाजवाद का रंग जैसा आप पर चढा वैसा किसी पर नहीं जनेश्वर जी को तो आपने इतना चढा रखा था नहीं तो लोहिया के पतंग कि डोर के अलावा कैसा समाजवाद इनकी चर्चा में समाजवाद का जो रूप होता है वो कुटिल पूंजीवाद होता है, और यह अधिक खतरनाक होता है इनको दवाई और कमाई के लिए पार्लियामेंट में रखना या मंत्री बनाना, यह हमारे नेता जी ही कर सकते हैं ! अब वह क्यों नहीं बोल रहे हैं ?
लालू जी और नेताजी जब यह सब मिल कर आम आदमी के लिए कुछ बड़ा कर सकते थे तब तो इनकी तलवारें तनी थी. एक दुसरे को बर्दाश्त तक करने को तैयार नहीं थे. यह सब हर समझदार समझ रहा होता है पर ये सब न जाने क्यों नहीं समझते ? या समझते है और जान बूझकर अनजान बनते है ! क्या एक दूसरे से दूसरे को डर था? या और कोई बात थी ..........................जनता को इसका जबाब चाहिए ? जब मै यह लेख लिख रहा हूँ तब टेलीविजन पर लोकसभा में बी जे पी कि श्रीमती सुमित्रा महाजन बोल रही है महिलायों पर उनके अधिकारों पर ............क्या खूब साहब निष्पक्षता पर व्याख्यान है ?समाजवादी महिला सभा,यूथ सपा,विद्यार्थी सभा ! सच है एसा शलीके का वक्तव्य जिसमे ज्ञान और विवेक झलक रहा है, सुनकर अच्छा लग रहा था पर उतना ही अच्छा जितना सत्यनारायण कि कथा लगती है, सब कुछ तथ्यपरक था पर था धूर्ततापूर्ण क्योंकि जनता ने उन्हें नकार दिया था? उनके ज़माने के प्रधान मंत्री क्या क्या अच्छा कर रहे थे उसका गुर्गान कर रही है, फ़िलहाल उनका रोना धोना ख़तम होता है तो गिरिजा व्यास कि बारी आती है........हुंकार और सत्ता फिर कोई चैनल बदल देता है,और किसी फ़िल्मी चैनल के चलते ध्यान भंग होता है जहाँ एक बहु को उलटी आ रही होती है कोई चिल्लात्ता है रसोईघर में ये सब क्यों कर रही हो? फिर चैनल बदल जाता है जहाँ विज्ञापन आ रहा होता होर्पिक का ...........................सजी संवरी एक महिला गंदे से टॉयलेट के साफ होते स्वरुप को दिखा रही होती है,
अब घर के बहार खडा कोई घंटी बजता है !
दरवाजा खुलता है तो पता चला पटेल जी है, पटेल जी विद्वान है कुशल और कौशल वाले व्यक्ति है, इनका परिचय आगे आएगा!
चाय पानी उनकी नज़र पड़ जाती है लैपटॉप पर और इस ब्लॉग पर चौकते है,
मेरे श्रीमान जी समझाते है कि यह तो बस इसलिए कि कही कुछ तो लिखा नहीं जा रहा है, इसी पर कुछ चर्चा कर ली जाये सो शुरू कर लिया, उनको धैर्य होता है यह सुन कर !
NDTV इंडिया पर
निधि कुलपति के हवाले से खबर आती है कि इनकी सुरक्षा नहीं हटेगी.

मुलायम की सुरक्षा और बढ़े: शिवपाल
Jul 23, 11:11 pm
लखनऊ। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा के मामले पर पार्टी नेताओं ने अपनी आस्तीनें चढ़ा ली हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर गुरुवार को केंद्र और प्रदेश दोनों ही सरकारों पर निशाना साधा। नेता प्रतिपक्ष शिवपाल सिंह यादव ने कांग्रेस पर ओछी राजनीति का आरोप लगाते हुए प्रदेश सरकार को भी इस साजिश में शामिल करार दिया। विधान परिषद में नेता विरोधी दल अहमद हसन ने कहा कि उप्र में मायावती राज में कोई भी सुरक्षित नहीं है, ऐसे में साम्प्रदायिक और कट्टरपंथी ताकतों से लोहा लेनेवाले मुलायम सिंह की सुरक्षा कम करने की बजाय और बढ़ायी जानी चाहिए।
पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से शिवपाल ने कहा कि केंद्र का गृह मंत्रालय भी जानता है कि मुलायम सिंह आज भी देशद्रोही तत्वों की आंख की किरकिरी हैं। सरकार का एक वर्ग न केवल उन्हें अपमानित करना चाहता है बल्कि विरोधी तत्वों को खुली छूट देकर उन्हें राजनीतिक परिदृश्य से हटा देने की साजिश रच रहा है। उन्होंने कहा उप्र में बसपा के राज में सिर्फ मुख्यमंत्री को छोड़कर किसी के भी जानमाल की कोई गारन्टी नहीं है। आलम यह है कि पुलिस के बड़े अधिकारियों के संरक्षण में राजधानी के अतिसुरक्षित क्षेत्र में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का घर फूंक दिया जाता है और कोई कार्रवाई नहीं होती। खुद मुख्यमंत्री अपने विरोधियों को जेल भिजवाने और सबक सिखाने की धमकी देती रहती हैं। अहमद हसन ने कहा कि मुलायम सिंह यादव पर मुख्यमंत्री रहते हुए हमला हो चुका है। कई बार इंटेलीजेंस अपनी रिपोर्ट में उन पर खतरे की बात बता चुका है। ऐसे में उनकी सुरक्षा के साथ अगर कांग्रेस ने खिलवाड़ किया तो उसे माफ नहीं किया जायेगा।

मायावती की हत्या कराना चाहती है केन्द्र सरकार
Jul 22, 11:39 pm
लखनऊ। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र ने कहा है कि केंद्र सरकार मुख्यमंत्री मायावती की एनएसजी सुरक्षा वापस लेकर उनकी हत्या कराना चाहती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले से एक बार फिर सिद्ध हो गया कि कांग्रेस मायावती को अपनी राह का सबसे बड़ा रोड़ा मानती है।
श्री मिश्र ने कहा कि कांग्रेस उन लोगों का एनएसजी कवच बनाये रखना चाहती है, जो अल्पसंख्यकों में भय पैदा करते हैं। मुख्यमंत्री मायावती अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों एवं राष्ट्रविरोधी तत्वों के निशाने पर हैं। मुख्यमंत्री की सुरक्षा के बारे में चुनावों के दौरान केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसियों ने विशेष सावधानी बरतने की हिदायत भी जारी की थी। गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी सुरक्षा का ध्यान रखने का अनुरोध किया था।
श्री मिश्र ने कहा मुख्यमंत्री अन्य प्रान्तों में भी जाती रहती हैं। एनएसजी सुरक्षा हटाने से उनकी जान को खतरा है। उन्होंने कहा कि मायावती की सुरक्षा में कटौती का फैसला केन्द्र सरकार ने राजनीतिक नजरिये से लिया है, जबकि बसपा सरकार कानून व्यवस्था के मामले में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कानून के अनुसार ही कार्रवाई करती हैं। श्री मिश्र ने कहा कि बसपा के बढ़ते जनाधार से कांग्रेस बौखला गयी है। इसीलिए साजिश करके मायावती की एनएसजी सुरक्षा हटायी जा रही है ताकि उनकी हत्या कराने की परिस्थितियां पैदा करके कांग्रेस अपने रास्ते का कांटा हटा सके। बसपा महासचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने मौजूदा कार्यकाल में ही नहीं, बल्कि पिछले तीन कार्यकालों में भी अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करती रही हैं। इस वजह से अपराधियों के गिरोह भी मुख्यमंत्री से व्यक्तिगत रंजिश रखते हैं। मुख्यमंत्री के लिए खतरा देखते हुए प्रदेश सरकार ने केंद्र से उन्हें 'एएसएल प्रोटेक्टी' का दर्जा प्रदान देने का अनुरोध किया था। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें यह दर्जा प्रदान भी कर दिया था।

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