डॉ. लाल रत्नाकर
आज हमारे नेता मुलायम सिंह जिस तरह धक्के खा रहे है , उसके लिए सारे लोग अमर सिंह को जिम्मेदार मानते है और लगता भी ही है की अमर सिंह अकल से नहीं दलाली से देश बदलना चाहते है, दलाल का काम दलाली से जीवन चलाना होता है देश नहीं ! अमर सिंह जिस तरह से सपा की राजनीति में उभरकर आये वह सपा के लिए अपसकुन ही साबित हुआ है कोई भी तो अच्छा कहता? ऐसे ही एक समजवादी के परिचय को बताते हुए जो अब कांग्रेस में चल गए है - गुरूजी ने चंद लाइन कही थी -
एक नज़र भर उसने देखा, दिल उसी का हो गया ||
क्या मेरी जुबा पर भी जादू तेरा चलता है |
क्या सोच के आया था क्या मुंह से निकलता है||
जो दीप हवाओं की आगोश में पलता है |
ओ दीप अँधेरे का माहाओल बदलता है ||
वैसे तो अमर सिंह कहीं जाने का रास्ता तलाश रहे होंगे , पर यही सही वक़्त है जब उनकी बिदाई कर देनी चाहिए क्योंकि कल्याण तो कल्याण कर ही गए |
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