डॉ.लाल रत्नाकर
के
हाइकु -
समझा तुने
उसके गुनाहों क़ा
हस्र क्या है
हसरतें थी
भला काम करता
चोरी क्यों की
नजर लगी
तेरी महारत पे
उन सबकी
खुबसूरत थी
जब देखा था मैं
वह जमीन
इमान और
लिहाज़ रहा होगा
बेईमान था
जरुर होगा
यहाँ पर इंसाफ
पर देरी से
कमल देखा
खुदा बनाते थे जो
खुदी बने है
अमल देखा
नहीं करते थे जो
नाचने लगे
करम देखा
हरामी होकर भी
नचाता उसे
जिसे उसने
चुना है जानकर
इंसाफ बंदा
तमाशा नहीं
जो कर रहा होगा
गांड में डंडा
सुना आपने
गला रेता वही जो
हार डाला था
जमी उसने
नहीं बेचा खरीदा
था जिसकी थी
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