14 जन॰ 2010



क्या हो गया है मुलायम सिंह जी को !

डॉ.लाल रत्नाकर




जबकि माननीय अमर सिंह जी ! नेता जी ने आपको काफी ऊपर उठाया और आपने उन्हें उतना ही निचे धकेल कर गच्चा दिया है, जो आपके ०६ जनवरी २०१०  के आचरण से भी साबित होता  है. अब उन्हें बख्श दीजिये, यह बात आपको अच्छी तरह पता है कि  आप राजनैतिक मनचले है ये देश का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा, जब आप जैसे प्रकार के लोग राजनेताओं के इर्द गिर्द होते है, जो धीरे - धीरे उनसे बड़े दिखाई देने लगते है, यह आप अच्छी तरह जानते होंगे यह सब किस प्रकार का इंतजाम  है "माननीय अमर सिंह जी यदि ये बात आपकी समझ में ना आ रही हो तो आप समाजवादी पार्टी कि वेबसाईट पर जाइये वहां आपकी छुपी हुई शक्ल दिखाई देती है और आप फ़िल्मी मंडली के साथ नंबर दो पर नज़र आते है, यह समाजवाद का दुर्भाग्य ही है कि लोहिया कि रोनी सी शक्ल और जगमगाते अमर सिंह, यह पक्का है कि आप समाजवाद का क,ख, ............जानते कितना है, पर यह हमेशा से ख़राब लगा है कि आपने जमीन के नेता जिसे मति से जुड़ा, किसानो,मजदूरों का समर्थन मिलता था उसे धुल धूसरित करने में आप ने कोई कसर नहीं छोड़ी है."


धाराएँ तो दोनों रही है हमेशा से पर दोनों के रस्ते अलग थे, जो कभी आपस में कहीं नहीं मिलते थे, जिसे संभवतः समानांतर विचार धारा से संबोधित किया जाता था जिसको उसी तरह से पहचाना भी जाता था, समाजवादी क्या भारत कि हर पार्टी का नेतृत्व नहीं मालिकाना हक़ होता है कहने को किसी किसी में लोकतंत्रात्मक व्यवस्था का दिखावा होता है, मै नहीं कहता कि समाजवादी पार्टी इससे अछूती होगी लेकिन इतना जरूर कहता हूँ कि माननीय मुलायम सिंह यादव यह कभी भी पसंद नहीं करने वाले कि जिस बुरायी कि वह हमेशा निन्दा करते रहे हो वही अपने दल में कर डालें, जब तक आपका "अमर सिंह" आगमन नहीं हुआ था तब तक वहाँ बहुत सारे नेता नज़र आते थे पार्टी अध्यक्ष भी स्वर्गीय राम शरण दास हुआ करते थे. पार्टिया घरों तक सिमटाने कि संस्कृति जिनकी रही हो पर समाजवादी पार्टी में यह श्रेय आपको जाता है, मै मुलायम को आपसे पहले से जानता हूँ जो गुण आपसे मिलने के बाद उनमे आये अमर सिंह जी वह इतने खतरनाक है नेता जी आज भी उसे या तो समझ नहीं पा रहे है या आपका जादू इस कदर चढ़ा हुआ है जिसे उनका पूरा परिवार तथा समाजवादी परिवार उतर नहीं पा रहा है.

मुझे लगता है यदि आप से उनको बचाना है तो कुछ लोगों को आगे आना होगा, वह आपसे जरूर दूर हो जायेंगे "पर क्या आप सचमुच बीमार है, प्रोफ.राम गोपाल ने आपकी बे-इज्जती कि है और उससे आप अपमानित हुए है - तो मेरी राय मान लीजिये नेता जी को भूल जाईये कोई और दरबार तलासिये यहाँ कि सल्तनत आपको अब बर्दास्त करने वाली नहीं आज राम गोपाल कल शिवपाल फिर अखिलेश किससे किससे बचायेंगे नेता जी आपको कब तक मनाएंगे आपको.  
- ये परिवारों का मामला है |

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

इसमें हमारा बोलना ठीक नहीं. .. :)

संजय तिवारी ने कहा…

ok, thanks

www.kavita-ratnakar.blogspot.com ने कहा…

बहुत ही सुंदर बात आपने कही है |समझ में आ रहा है ?

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