25 जन॰ 2010



पर दिल है की मानता ही नहीं |

"..अब अमर सिंह का पिछड़ा राग" Jan 24,वाराणसी। राज्यसभा सदस्य अमर सिंह ने र्वाचल राज्य गठन की मांग के बाद रविवार को यहां पिछड़ा वर्ग का राग छेड़ा। मंच जय भारत समानता पार्टी का था। उन्होंने वहां पर सपा नेता बलराम यादव को निशाने पर लिया।

पर दिल है की मानता ही नहीं ........?
अब अमर सिंह को बाज़ आना चहिये , और यादवों के खिलाफ जहर नहीं उगलना चहिये, इनका असली स्वरुप अब नज़र आया है मूल काम तो इनका दलाली का ही है, कहाँ चले है पिछड़ों में अलख जगाने पिछड़ों को अच्छी तरह पता है की उनका नेता कम से कम आप जैसा राजपूत नहीं हो सकता यह सब इस आदमी रूपी ..............?  को कम से कम नहीं कहना चहिये , उत्तर प्रदेश को बाटने की साजिश उत्तर प्रदेश के दुश्मन ही कह सकते है , अमर सिंह टिकैत जीतनी समझ भी आपको नहीं है प्रदेश के बटवारे पर तो उनकी दृष्टि बहुत व्यापक आप की तरह संकुचित नहीं, आपके लिए कहा जाता है की आप जहाँ-जहाँ जाते हो किसी को एक नहीं रहने देते हो -यथा अम्बानी परिवार , समाजवादी पार्टी, मुलायम  परिवार का असफल पर कुत्सित प्रयास, तो अब लोग आपको समझ गए है . आप राजनीति के लायक नहीं हो पुराना काम ही ठीक है |

  1. अमर सिंह जी यदि आप मुलायम सिंह को धमका रहे हो तो ठीक नहीं, उनकी कमजोरियों को बेच कर बेजा दबाव बना रहे हो तो वह भी ठीक नहीं, यदि कोई बात छुपा रहे हो तो वो भी ठीक नहीं , क्योंकि जितने बुरे काम आप मुलायम सिंह जी के साथ आकर किये हो उसका खामियाजा पूरी यादव कौम को उठाना पड़ा है , किसी कौम का चरित्र बनाने  में सदियाँ  लग जाती  है, सैकड़ों सालों के संघर्षों को अमर सिंह का ग्रहण लग गया |
  2. यह आप भी जानते हो की उत्तर प्रदेश का यादव अपने संघर्षों के बल राजनीति में आया है पर जब भी आप जैसे छद्म विरोधियों ने आस्तीन की सांप की तरह धोखा दिया है, उसके अपने स्वाभाविक मित्रों को अलग किया है, चाहे वह राज बब्बर हों ,बेनी प्रसाद वर्मा हों , आज़म खान हों या न जाने कितने जिन्हें जिन्हें अपनी विचार धारा के दल से जाना पड़ा हो |
  3. अमर  सिंह जी अब आपको यह भी पता चल गया होगा की आप ने कोई सद्कर्म नहीं किया था समाजवादी पार्टी में आकर, आपके सारे दुष्कर्मों के चलते समाजवादी  पार्टी का स्वरुप बदला आपके सारे  असामाजिक तत्वों का जमघट हुआ जो कालांतर में भगोड़ा साबित हुआ |
  4. आपकी जगह कहीं होगी पर अब आप पिछड़ों के नेता नहीं बन सकते, क्योंकि न तो आप में उस तरह का चरित्र है और न ही उस तरह की बौद्धिकता |
  5. आपका जन्म जहाँ हुआ है वह यादवों का गढ़ है , उसे तोड़ने की कुवत कम से कम आप में नहीं है|
बनारस  की सभा में अमर सिंह ने जो कुछ कहा है वह उनके सिने का छुपा दर्द है जिसे वही जानते है पहले आप को फिरोजाबाद की जनता ने बता दिया की यदि मुलायम अमर को साथ रखोगे तो हम तुम्हारे साथ नहीं रहेंगे, अमरसिंह जी अब मुलायम सिंह के प्रति नरमी से आपका काम होने वाला नहीं है, आपके सारे गुणों दुर्गुणों को तो बाकि लोग पहले ही समझ गए थे, अबकी तो उनके घर वालों ने आपको भगाया है . अब कम से कम आपको उधर अच्छी या बुरी नज़र से भी नहीं ताकना चहिये ...........?
पर दिल है की मानता ही नहीं ||
नीचे का आलेख दैनिक जागरण से साभार -- 
"जय भारत समानता पार्टी के कोनिया में आयोजित पिछड़ा वर्ग सम्मेलन में अमर सिंह ने कहा कुशवाहा, राजभर, प्रजापति, पटेल व निषाद समुदाय को समानता के स्तर पर लाना होगा ताकि ये भी सत्ता की मुख्य धारा में रहें। मैं यहां किसी शक्ति प्रदर्शन के लिए या किसी सुसुप्त नेता को जगाने नहीं आया हूं बल्कि दबे वर्गो को जगाने आया हूं। राजसत्ता या सिस्टम में सीधी भागीदारी के बिना कोई सुनने वाला नहीं है। व्यंग्यात्मक लहजे में उन्होंने कहा पिछड़े वर्गो में सिर्फ यादव नहीं आते। दूसरी जातियां भी हैं। पूरे भाषण के दौरान सपा सुप्रीमो के प्रति नरम रहे अमर सिंह ने कहा मुलायम की नीति और नीयत दोनों ठीक हैं लेकिन नियति नहीं ठीक है। मुलायम ने मेरे प्रति कभी बुरा नहीं बोला। वह बुरा बोलेंगे भी नहीं लेकिन हर जगह एक क्षत्रप बैठा है। इसी क्रम में उन्होंने मुलायम की पुत्र वधू डिंपल यादव के चुनाव प्रचार का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि गुर्दा प्रत्यारोपण के तत्काल बाद फिरोजाबाद चुनावी सभा में गया। मेरा हेलीकाप्टर थोड़ा नीचे उड़ रहा था। यह देखकर बलराम यादव ने कहा था इतना नीचे उड़ता विमान लड़ न जाये। राजनीति बड़ी क्रूर और निर्मम होती है। मैं मर जाता तो पार्टी एक शोक सभा कर देती लेकिन प्रभावित तो मेरी आठ साल की बेटी और पत्नी होतीं।
पूर्वाचल राज्य की मांग को दोहराते हुए अमर ने कहा हमारी पार्टी के लोगों ने हमें धमकाया कि मुद्दा पार्टी लाइन के खिलाफ है। तल्ख स्वर में वह बोले कि अगर यह गलत है तो पहले शतरुद्र प्रकाश को रोको। प्रभुनारायण सिंह को रोको। मधुकर दिघे को रोको। पचास साल पहले राज्य पुनर्गठन समिति बनी थी। वह अभी भी वहीं पड़ी है।
अमर सिंह ने कहा कि मैं तो सपा से सभी पद त्यागने के बाद पूर्वाचल राज्य की मांग कर रहा हूं। पूर्वाचल राज्य, पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ ही पढ़ो, लिखो और बड़े बनो की अलख जगाता रहूंगा।"

अमर सिंह जी एक बात और अलख जगाने की बात आपने बड़े समय से की है - अभी अभी छोटे लोहिया जी का निधन हुआ है , सही मायनों में वह समाजवादी अवधारणा के जानकार थे जो आपको कभी पसंद नहीं किये, पर उन्होंने भी लोहिया के मूल्यों पर चलाने का संकल्प लिया था सत्ता ने अंतिम दिनों में उन्हें आप जैसों को सहने की समझ दे दी थी, और क्या मजाल की आप एक "समाजवादी सशक्त सिपाही" की ऐसी तैसी करने की इज़ाज़त  आपको मिलती |
अमर सिंह जी मुलायम सिंह जी को भूल जाईये ?

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