1 फ़र॰ 2010


जयाप्रदा के तेवरों से और उलझी अमर कथा

Jan 31, 03:11 pm
नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी और अमर सिंह में छिड़ी जंग दिनोंदिन और सतह पर आती जा रही है। अमर सिंह के 'लोकमंच' का ऐलान करने के अगले ही दिन, रविवार को पार्टी सांसद जयाप्रदा और चार विधायकों ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह पर सीधा हमला बोल दिया है। मुलायम ने जया की बगावत को हल्के में लिया है, जबकि पार्टी के एक महासचिव ने उन्हें सपा के लिए इतिहास करार दिया है। पार्टी के एक और महासचिव व प्रवक्ता मोहन सिंह ने भी अमर पर हमला जारी रखा है।
रामपुर से सांसद जया ने कहा कि अमर सिंह ने शनिवार को 'लोकमंच' का ऐलान किया है। इसके जरिए वह अपनी बात रख रही हैं। उनके साथ सपा विधायक मदन चौहान, अशोक चंदेल, सर्वेश कुमार सिंह 'सिप्पू' व एमएलसी संदीप अग्रवाल ने खुल कर सपा प्रमुख पर निशाना साधा। इन नेताओं ने कहा कि अब लोकमंच [गैर राजनीतिक] के जरिए ही हम अपनी बात लोगों के सामने रखेंगे।
क्या अमर सिंह को राज्यसभा से इस्तीफा दे देना चाहिए? इस पर सभी नेताओं ने कहा, 'फीरोजाबाद लोकसभा उपचुनाव तक अमर ने पार्टी का काम किया है। विधायकों ने उन्हें राज्यसभा पहुंचाया है। यह उधार का सिंदूर नहीं है, जिसे वह वापस कर दें।'
जयाप्रदा ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि सपा प्रवक्ता राज्यसभा से अमर का इस्तीफा मांग रहे हैं तो क्या उसके पीछे मुलायम ही हैं? उन्होंने मुलायम पर अमर को इस्तेमाल करने का आरोप जरूर मढ़ा और अपनी बात पुख्ता करने के लिए कल्याण सिंह का उदाहरण दिया।
जयाप्रदा ने कहा, 'रामपुर लोकसभा चुनाव में मुझ पर जुल्म हो रहा था। मैं रो रही थी। तब पार्टी नहीं, सिर्फ अमर सिंह मेरे साथ थे। इसलिए वह जहां रहेंगे, मैं उनके साथ रहूंगी।' उन्होंने कहा, 'सपा के एक नेता अमर सिंह को पागल कह रहे हैं। पार्टी प्रवक्ता मोहन सिंह उन्हें बेशर्म बता रहे हैं। नेताजी उन्हें परिवार का मानते हुए खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर बयान देने से रोक रहे हैं। अब तीनों चीजें एक साथ नहीं चल पाएंगी।'
जया बोलीं कि पार्टी में उस अमर सिंह का अपमान हो रहा है, जिसने सपा को क्षेत्रीय से राष्ट्रीय दल बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। फिर भी नेताजी चुप हैं, जबकि विवाद खत्म करने की जिम्मेदारी उनकी है।
जया ने यह भी कहा कि राजनीति में अच्छी महिलाओं के लिए जगह नहीं है। आजम खां को भाई बनाया और उन्होंने ही मेरे चरित्र हनन का प्रयास किया।
मुलायम ने लखनऊ में जया के बागी तेवर को हल्के में उड़ाने की कोशिश की। इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने पत्रकारों को कोई सीधा जवाब नहीं देते हुए कहा कि अगर विरोध नहीं करेंगे तो हमारी हैसियत क्या रह जाएगी। उन्होंने कहा कि ये विरोध पार्टी का अंदरूनी मामला है और बातचीत से हल किया जाएगा। पर पार्टी महासचिव रामआसरे कुशवाहा ने जया को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि अमर सिंह की ही तरह जयाप्रदा भी सपा के लिए इतिहास बन गई हैं।
उधर, नवनियुक्त पार्टी महासचिव और प्रवक्ता मोहन सिंह ने शनिवार को भी अमर पर हमला जारी रखा। उन्होंने कहा कि केंद्र में संप्रग की मौजूदा सरकार को समर्थन देने के मुद्दे पर अमर ने पार्टी में सभी की अनदेखी की और केवल अपनी मर्जी का फैसला लिया। यही नहीं, उन्होंने कई मौकों पर पार्टी को नुकसान पहुंचाया है।
अमर 'इतिहास' हुए जया भी उसी में जुड़ेंगी
लखनऊ, जाब्यू। समाजवादी पार्टी के नवनियुक्त राष्ट्रीय महासचिव डा. राम आसरे कुशवाहा ने कहा है कि अमर सिंह अब पार्टी में इतिहास के पन्ने में सिमटकर रह गये हैं और आज पार्टी की नीतियों तथा 'नेताजी' के खिलाफ बयानबाजी करने वाली जयाप्रदा का नाम भी उसी इतिहास के अगले पन्ने पर दर्ज हो गया है। उन्होंने कहा कि बयानबाजी करके जयाप्रदा ने पार्टी अनुशासन तोड़ा है और उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से सिफारिश करेंगे। उन्होंने कहा कि वैसे भी अमर सिंह और जयाप्रदा के संदर्भ में मीडिया कोई सवाल पूछकर वक्त न जाया करे। डा. कुशवाहा ने कहा कि अमर सिंह का चेहरा तो प्रायश्चित से भरा हुआ है, क्योंकि जो सम्मान उन्हें यहां मिला, वह अब जीवन में किसी और पार्टी में नहीं पा सकते हैं।
राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद डा. रामआसरे कुशवाहा और विशम्भर प्रसाद निषाद ने यहां सपा मुख्यालय में संयुक्त रूप से प्रेस कान्फ्रेंस की, जिसमें बसपा सरकार की नीतियों, बढ़ते अपराधों, अति पिछड़ों की उपेक्षा और महंगाई को लेकर जमकर भड़ास निकाली। डा. कुशवाहा ने कहा कि सत्तादल में भी पिछड़े बैठे हैं। उगाही के लिए उन्हें पद तो दे दिये गये, लेकिन नेता नहीं बनाया गया है। समाजवादी पार्टी में अति पिछड़ों को सम्मान दिये जाने और उन्हें नेता बनाये जाने के कारण दूसरे दलों के लोग सपा की ओर तेजी से दौड़ रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तार प्रदेश बहुत मुश्किलों के दौर से गुजर रहा है। जिलों में हत्याएं, बलात्कार, और राहजनी आम बदमाश नहीं बल्कि सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधि या तो खुद कर रहे हैं या फिर करवा रहे हैं, जिसके खिलाफ पार्टी का आंदोलन शुरू हो गया है। यहां अभी तक 80 फीसदी अति पिछड़ों के वोट सत्ता में बैठी पार्टी को मिलते थे, लेकिन आने वाले विधानसभा में वे सारे वोट सपा में आयेंगे और अगली सरकार सपा की ही बनेगी।

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

आगे आगे देखिये होता है क्या!

www.kavita-ratnakar.blogspot.com ने कहा…

जी जी सच्चाई कह रहे है इनकी ?

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