12 मई 2010

बहुत दिनों के बाद फिर अमर सिंह को .मुलायम सिंह यादव कि याद आई है ...........



मैं मुलायमसिंह का मात्र दर्जी हूं- अमर


Amar singh



लखनऊ.कभी समाजवादी पार्टी के सबसे मजबूत सिपहसालार रह चुके अमर सिंह, भले ही अब पार्टी को अलविदा कह चुके हैं मगर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह पर निशाना साधने का कोई भी मौका अमर नहीं छोडते |


ताज़ा वाक्ये में अमर ने ब्लॉग पर लिखा है, "मैं मुलायमसिंह का मात्र दर्जी और कूड़ेदान हूं और उनकी गलत-सलत नीतियों को नैतिकता का कपड़ा सिलकर सँवारने का मैं 14 साल का अपराधी हूँ, लेकिन दल की गलतियों का श्रेय लेने वाला कूड़ेदान अब मैं नहीं रहा"

अमर यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने यहाँ तक कह डाला कि जब मुलायम महंगाई के सवाल पर वामपंथियों( विरोधियों) के साथ हैं, तो परमाणु दायित्व विधेयक पर सरकार का साथ कैसे दे रहे हैं।"बतौर अमर सपा से निकलने के बाद अब मुलायमसिंह यादव अपनी अच्छी और बुरी राजनीति के अकेले जिम्मेदार हैं।
-साभार - दैनिक भाष्कर



शायद अमर सिंह मुलायम सिंह यादव  को भुला नहीं पा रहे है.

डॉ.लाल रत्नाकर 
         आज प्रातः काल स्वामी राम देव का कार्यक्रम देखने के लिए 'आस्था' चैनल खोला तो स्वामी जी भारत स्वाभिमान पर भाषण कर रहे थे विदेशों में अकूत जमा धन वापस लाने का सन्देश दे रहे थे.
        दूसरी ओर खबर थी कि राहुल बाबा बिल गेट्स को अमेठी का भ्रमण करा रहे थे, बिल गेट्स अमेठी और रायबरेली को आइ.टी.का हब बनाने कि बात कर रहे है.
         और  अमर सिंह मुलायम सिंह यादव के दर्जी के रूप में अपने को प्रचारित कर रहे है. अमर सिंह कि राजनितिक दुकान तो लगता है न चले पर दर्जी के रूप में वह कितने कारगर होंगे यह देखना है, भाई अमर सिंह पूर्वांचल बनाने कि राजनीति भी शुरू किये है, शरमाते तो नहीं ओ पर इनको काश याद आये कि मुलायम कि सरकार में इन्होने एक ओहदा संभाला था जिसका नाम दिया गया था औद्योगिक प्राधिकरण जिसके ये अध्यक्ष बने थे और "उद्योगों का क्या हुआ होगा पता नहीं" पर नोएडा ग्रेटर नोएडा कि जमीनों से करोडो कमाया . लगता है कि नज़र पूरब कि जमीनों पर है इसीलिए पूर्वांचल कि याद आई होगी 'अमर सिंह जी बख्शो पूरब को' पूरब को लुटाने कि कवायद खतरनाक होगी, आप से बड़े बड़े धुल छान रहे है वहाँ लोग बताते है कि आप के बाबु जी जब निकले थे तब परदेश जाने वाले को बहुत अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता था, हाँ आई.ए.एस .,इंजिनियर ,डाक्टर  या और कुछ होकर जाना तो अलग बात है .
        अमर सिंह को यदि न छेड़ा जाय तो भी समस्याए कम नहीं है,
        अमर  सिंह ने मुलायम को जो राजनितिक गुड सिखाये उसका असर यह हुआ कि पूरे परिवार को राजनितिक चषक लग गयी, भाई शिवपाल जी तो राजनितिक प्रतिभा से इतने सराबोर है कि पूरे प्रदेश में उन्ही कि चर्चा है और सदन में 'नेता' विरोधी दल कि कुर्सी पूरा प्रदेश उनकी काबिलियत के बल पर आज त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहा है.
        सत्ता कि मार झेलती जनता का कष्ट तो अलग 'भाई' जी के पौरुष से सराबोर नेता जी का परिवार मूलतः अपने विकास पर केन्द्रित होकर रह गया है, येसी राजनितिक व्यवस्था बिकसित देशों में भी नहीं चला करती, यह प्रदेश तो विकास के नाम पर मंदिर और मूर्तियों के बीच जूझ रहा है सहन्साही सड़के उद्योग पतियों कि कमाई कि धंधा होकर रह गयी है क्योंकि राजनेता तो जमीन से ऊपर उठ गया है और हवाई यात्रा करता है, अतः एक्सप्रेस वे हाई-वे सब आम आदमी से कोशों से दूर .
        गाँव कि किस्मत बदलने का नारा लगा कर आये लोग उनकी किस्मत यो तो बदल रहे है पर उनसे घुश लेकर पुलिस में भर्ती के नाम पर कंगाली देकर . तबादले के नाम पर लूट , पार्कों को सजाने के नाम पर लूट गरीबों के घर के नाम पर लूट, यही किस्मत है इस प्रदेश कि. 
        आज हम दूसरे प्रदेशों में जाते है तो उनके विकास और समृद्धि का स्वरुप हमारे सामने हमें मजबूर करता है यू.पी.वाले या भैया या पुरबिया तो अमर सिंह जी को शर्म भी नहीं आती, क्योंकि ये स्वभाव से और परंपरा से उसी श्रेणी में आते है जो बेशरम होते है.
         प्रदेश को बदलना है तो इन लोगों को बदलना होगा मौजूदा सत्ता का परिवेश तो कितना भयावह है जिसका एहसास यही से होता है कि अपराधियों कि जमात ही इसमे सवार है. चलिए इन अपराधियों से जनता लूटी तो जाती है पर यही जनता उसे खदेड़ खदेड़ कर भगाती भी है.
बाबा स्वामी रामदेव का सपना -
        हाँ ये अजीब बात है कि बाबा रामदेव को देश का स्वाभिमान दिखाई दे रहा है और इन्ही के शिविरों में वे सारे जमाखोर इकठ्ठा होते है जिनके खिलाफ ये आन्दोलन चलाने कि बात कर रहे है, बाबा जी ईमानदारी कि कमाई से शहर कि तस्वीर ही नहीं बनती यह ठीक है कि बाबा जी को लगता है कि देश का स्वाभिमान जागेगा और जनता आपके इमानदारों को वोट कर देगी आपका सपनों का राज्य हो जायेगा.
       यह  भ्रम एक बार जयप्रकाश नारायण को भी हुआ था तब जनता ने साथ दिया था पर नेताओं ने धोखा, और ओ टुकड़ों टुकड़ों में बट-बट गए.
        बाबा जी आपको क्या हो गया है,कहाँ देश सुधारने के चक्कर में पड़ गए है, कहीं आप को इस रूप में लोग पचा न पा रहे हो और देश बचाने के चक्कर में आपको चबाने का इंतजाम कर रहे हों . 
         जो भी हो यदि इस देश का भला होना होता बाबा जी इतना भ्रष्टाचार और उसमे आकंठ डूबे हुए लोग यथा -न्याय, शिक्षा , धर्म, कला, साहित्य , मिडिया,व्यापर और राजनीति कि तो बात ही छोड़ दीजियें , छोटें -छोटे स्वार्थों में पूरा समाज आकंठ डूबा है.
         इन्ही को बाहर लाने कि बात कर रहे है आप, ये कहीं जायेंगे भ्रष्टाचार ही फैलायेंगे बिना उसके इनका गुज़ारा ही नहीं होना है, चलिए मेरी तो बड़ी हार्दिक इच्छा है कि आपका आन्दोलन कामयाब हो और देश कि शक्ल बदले . 


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