6 जून 2010

जाति की जनगणना को ठन्डे बस्ते में डालने की साजिश.......?
डॉ.लाल रत्नाकर

लगता है की सरकार में बैठे लोग इस बात से सहमत हो गए है कि 'जाति' कि गणना जनगणना-२०११ में किया जाना दुष्कर है क्योंकि जिम्मेदार मंत्रियों कि आपसी सहमति कब होगी निश्चित नहीं है जब तक उनकी सहमति बनेगी तब तक काफी देर हो चुकी होगी. यही इनकी साजिश का हिस्सा भी है, इनकी यही साजिशें सदियों से देश कि मूलभूत समस्याओं  से कन्नी काटे हुए है क्योंकि ये जानते है कि यदि इन मूलभूत समस्याओं पर कोई चिंता कि गयी तो देश ठहर जायेगा.
जबकि सच्चाई यह है कि देश ठहरा हुआ है और चंद लोगों कि चल रही है, इन्ही चलते हुए लोगों के लिए सारा देश ठहरा हुआ है कहीं राष्ट्रपति के सम्मान में कहीं प्रधानमंत्री के और कही मुख्यमंत्रीयों के सम्मान में. गुंडों अराजक सत्ताधारियों को शर्म नहीं आती कि उन्होंने 'कसम खाई है' सत्यनिष्ठा से 'शपथ' लेते है कि 'राष्ट्र राज्य' के प्रति वह कोई एसा काम नहीं करेंगे जिसमे 'देश या प्रदेश' शर्मसार हो.
साथियों  जनगणना के सवाल पर जो संकट आना है या आने कि संभावनाओं से उन्हें डर है उसी से परहेज है  'जाति' कि गणना जनगणना-२०११ में किया जाना .

2 टिप्‍पणियां:

Mrityunjay Kumar Rai ने कहा…

जाति या यु कहे जातिवाद मूलक राजनीती को ज़िंदा रखने के लिए ही जातिवादी जनगणना हो रही है . मै एक अनुमान बता रहा हूँ , जिस दिन इस जाति जनगणना के अंतरिम आकडे आयेंगे , ओ बी सी का प्रतिशत ६० फीसदी के आसपास आयेगा . उसी दिन हिन्दुस्तान में एक नया महाभारत शरू होगा जिसमे कोई पांडव नहीं होगा बल्कि केवल कौरव ही होंगे . ओ बी सी नेता ५० फीसदी की सीमा तोड़ने के लिए आन्दोलन करेंगे , ट्रेने रोकी जायेंगी , बसे फुकी जायेंगी और देस एक अराजकता की तरफ बढ़ जाएगा . अगर आप इस बात से सहमत नहीं है तो अभी हाल का ही उदाहरण ले लिजीये . अभी पिछले साल ही राजस्थान की केवल एक जाति( गुर्जर ) ने आरक्षण के लिए पुरे राजस्थान को बंधक बना लिया था , आशा किजीये जब पूरा ओ बी सी वर्ग ही आन्दोलन में कूद पडेगा तो क्या हश्र होगा . सरकार कोई भी हो , चूले हील जायेंगी .
तो दिल थामकर इस जनगणना के interim data का इन्तेजार कीजिये , असली फिल्म तो तब शुरू होगी , ये तो टेलर था.

,,,,जातिवाद के मामले पर एक ...महायुद्द राजस्थान में भी हुआ था ,,,परिणाम ,,आजतक गुर्जर और मीणा समाज के सम्बन्ध ...इस तरह बिंगड़ चुके है ,,की कभी-कभी जरा सी बात पर ...फिर वही अनहोनी होने का डर रहता है ,,,,बसुन्धरा सरकार में हुए इस ..मामले के लिए सरकार को मैं कभी माफ़ नहीं कर सकता ,,,अब उम्मीद नहीं है की भाई-भाई कहलाने वाले ये दोनों समाज कभी एक दुसरे को शत्रु ना समझे

www.kavita-ratnakar.blogspot.com ने कहा…

मृत्युंजय कुमार 'राय'जी जो कुछ आपको समझ में आ रहा है वह आपका 'राय' होने में ही निहित है अन्यथा - महिलाओं कि चिंता, हिज़ड़ों कि चिंता, दलितों कि गणना इनसे आपको कोई छोभ नहीं ओ बी सी आते ही कलेजा गले में आ जाता है, क्यों यह समझ में नहीं आ रहा है कि दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गयी है, किसी भी आंकड़े को छुपाना कितना खतरनाक है. इतनी छोटी बात समझ नहीं आ रही है जरा एक बार 'ओ बी सी' बनकर सोचिये आप जैसों को सदियों से झेल रहे है, सूचना के अधिकार के ज़माने में क्या क्या छुपाओगे अतः दिल थाम के बैठिये आप को कुछ नहीं होने जा रहा है "उत्तर प्रदेश" में जो कुछ हो रहा है किसके हित में है .

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