16 जुल॰ 2010

अब किससे किससे माफ़ी मांगनी है ?
डॉ.लाल रत्नाकर
एक फेहरिस्त तो जारी करनी पड़ेगी  ?
(ऐसे ही मुद्दे जिनके चलते सामाजिक न्याय की सारी प्रक्रिया अवरुद्ध हो गयी इसे मनमानी तो नहीं कहा जायेगा नादानी की ही स्थिति रही है , बदलाव की प्रक्रिया जटिलतम होती है पर सरलतम प्रक्रिया के चलते ये सारे दुर्गुण भर गए है जिन्हें 'माफ़' करने की स्थिति में कोई नहीं है, कल्याण सिंह के जब बुरे दिन थे तब उन्हें मुलायम की जरुरत थी जिसे तब अमर सिंह ने पूरा किया जब आज कल्याण की जरुरत सामाजिक न्याय की प्रक्रिया को पूरा करने की है, जातीय जनगणना की है तब फिर एक दूसरे की तलवारें निकल आयी है.)  
हम देखते है इन अखबारों की खबर -
दैनिक जागरण से -
मुलायम ने मुसलमानों से मांगी माफी

लखनऊ। समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने देश के मुसलमानों से माफी मांगते हुए एलान किया है कि वे मस्जिद गिराने के जिम्मेदार लोगों को भविष्य में कभी साथ नहीं लेंगे।
गुरुवार को लखनऊ में मुलायम ने अपना लिखित माफीनामा जारी किया। उन्होंने उसमें कहा, 'गत लोकसभा चुनाव में साम्प्रदायिक शक्तियों की सरकार को केन्द्र में सत्तारूढ़ होने से रोकने में मुझे कुछ गलत तत्वों का साथ लेना पड़ा, जिससे भ्रमित होकर सभी धर्मनिरपेक्ष विशेषकर अपने मुसलमान भाइयों को मानसिक कष्ट हुआ और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंची।'
उन्होंने आगे कहा, 'मैं इसे अपनी गलती स्वीकार करता हूं और इसलिए मस्जिद गिराने के जिम्मेदार लोगों को भविष्य में कभी साथ न लेने की सार्वजनिक घोषणा भी कर चुका हूं। मैं इस घटना के लिए देश के सभी विशेषकर मुसलमान भाइयों से माफी मांगता हूं और उन्हें आश्वस्त करना चाहता हूं कि भविष्य में उनके हितों को सर्वोपरि मानते हुए उनके सम्मान की रक्षा के लिए पूरी निष्ठा से कार्य करता रहूंगा।'
मुलायम ने अपनी सफाई में यह भी कहा कि मेरा जीवन साम्प्रदायिक शक्तियों के विरुद्ध संघर्ष करने की खुली किताब है। मैने सदैव साम्प्रदायिक ताकतों को नाकाम करने में पूरी निष्ठा से अपना कर्तव्य निभाया है। 1990 में उत्तार प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए अपने संवैधानिक दायित्व का पालन करते हुए मैंने बाबरी मस्जिद को बचाने का काम किया। किन्तु 6 दिसम्बर 1992 को उत्तार प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री के नेतृत्व में भाजपा सरकार रहते हुए बाबरी मस्जिद का विध्वंस कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मस्जिद गिराने के जिम्मेदार तत्कालीन मुख्यमंत्री को दोषी मानते हुए अदालत उठने तक की सजा भी दी।

उलेमा के गले नहीं उतरी मुलायम की माफी
लखनऊ। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की माफी ज्यादातर उलेमा के गले नहीं उतरी है। वे मुलायम के माफी मांगने के कदम का न तो स्वागत कर रहे हैं और न ही विरोध। उनका कहना है जनता ही आने वाले चुनावों में अपना फैसला सुनाकर बतायेगी कि उसने उन्हें माफ कर दिया है या नहीं।
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली नायब इमाम ईदगाह ने कहा सियासी पार्टिया गलती करती है फिर माफी मांगती हैं। इनके कौल पर एतबार नहीं किया जा सकता है। पहले मस्जिद गिराने वालों को साथ लिया और जब झटका लगा तब माफी मांगने लगे। अगर असलियत मे माफी मांगना है तो मुसलमानों के लिए काम कर के दिखायें। विपक्ष में रहते हुए भी बहुत काम हो सकते है। शिया धर्म गुरू मौलाना कल्बे जवाद कहते है कि मुलायम ने कल्याण सिंह से हाथ मिलाया था, तभी उन्होंने कहा था कि सपा की उलटी गिनती शुरू हो गई है। चुनाव नतीजों से साबित भी हो गया। रही माफी की बात तो यह जनता तय करेगी कि उसने माफ किया या नहीं यह आने वाले चुनाव में ही मालूम होगा।
ऑल इंडिया यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चा के अध्यक्ष डा.एमए सिद्दीकी ने कहा कि मुलायम सिंह का माफी मांगने का फैसला देर से लिया गया कदम है। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जीलानी ने सपा मुखिया की माफी का स्वागत करते हुए कहा कि यह अच्छी पहल है इसका स्वागत होना चाहिए। भूल सुधार के लिए वे दलित मुसलमानों के आरक्षण बिल को पास करवाने में योगदान कर अपना पश्चाताप कर सकते हैं।

मुसलमानों से माफी राजनीतिक शोशेबाजी : मायावती





मुसलमानों से माफी राजनीतिक शोशेबाजी : मायावती


लखनऊ। बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुलायम सिंह यादव के मुसलमानों से माफी मांगने सम्बंधी बयान को राजनीतिक शोशेबाजी बताया है। उन्होंने कहा ऐसे नेता, जिनके दिल में कुछ और जुबान पर कुछ और होता है, उन पर किसी को कभी विश्वास नहीं करना चाहिए।
मायावती ने यहां जारी बयान में कहा यादव का साम्प्रदायिक ताकतों से हाथ मिलाने का लम्बा इतिहास रहा है। 1977 में साम्प्रदायिक ताकतों के गठबंधन की जनता पार्टी सरकार में वह पहली बार मंत्री बने थे। तब कल्याण व मुलायम मंत्रिमंडल में साथी थे। 1989 में जब यादव पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तब भी उन्होंने साम्प्रदायिक ताकतों की मदद व सहयोग से सरकार बनायी थंी। वर्ष 2003 में भी यही हुआ था। पुराने रिश्तों को निभाते हुए पहले ही दिन कल्याण सिंह के सुपुत्र को मंत्री के रूप में शपथ दिलायी थी। मायावती ने कहा कि यदि यादव यह समझते हैं कि जनता की याददाश्त कमजोर है तो यह उनकी भूल होगी। उनके माफी मांगने या घड़ियाली आंसू बहाने से कोई भला होने वाला नहीं है।

मुलायम के माफीनामे पर दूसरे दलों ने किया कटाक्ष

Jul 15, 11:58 pm
अमर उजाला से -
मुलायम ने मुसलमानों से मांगी माफी
लखनऊ।
Story Update : Thursday, July 15, 2010    3:18 PM
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने गुरुवार को कहा कि बाबरी मस्जिद गिराने वालों का साथ लेने के लिए वह मुसलमानों से माफी मांगते हैं। लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय से गुरुवार को सपा प्रमुख के हवाले से एक बयान जारी किया गया। बयान में मुलायम ने कल्याण सिंह का नाम लिए बिना कहा कि मस्जिद गिराने वालों का साथ लेकर उनसे बहुत बड़ी गलती हुई। इसके लिए वह मुसलमानों से माफी मांगते हैं।

गलत तत्वों का साथ लेना पड़ा
बयान में उन्हाेंने कहा कि गत लोकसभा चुनाव के दौरान सांप्रदायिक ताकतों को केंद्र में सत्तारूढ़ होने से रोकने के लिए मुझे कुछ गलत तत्वों का साथ लेना पड़ा, इससे मुसलमान भाइयों को ठेस पहुंची। अपनी गलती स्वीकर करते हुए मैं सभी लोगों खासकर मुसलमान भाइयों से माफी मांगता हूं। मैं उन्हें आश्वस्त करना चाहता हूं कि उनके हितों को सर्वोपरि मानते हुए उनके सम्मान की रक्षा पूरी निष्ठा से करता रहूंगा। यादव ने जोर देते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा सांप्रदायिक ताकतों को नाकाम करने का काम किया है। उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए वर्ष 1990 में संवैधानिक दायित्वों का पालन करते हुए बाबरी मस्जिद को बचाने का काम किया। कल्याण सिंह का नाम लिए बगैर मुलायम ने कहा सपा भविष्य में मस्जिद गिराने के जिम्मेदार लोगों का साथ नहीं लेगी।

(लगता नहीं की इस माफ़ी का मुसलमानों पर कोई असर होने वाला है उनकी नियति और मुलायम की पीड़ा में अब कोई अंतर सम्बन्ध नहीं रहा, जब मुसलमानों पर भाजपाई कम सांप्रदायिक हल्ला ज्यादा बोला जा रहा था तब के मुलायम को किसने बदला जिसके चलते उन सबके 'नायक' की स्मृती उन्हें खींच लाई थी.परन्तु एक पीड़ा कुछ लोगों को रही की मुलायम का कल्याण सिंह के साथ जाना ठीक नहीं था पर अब तो ओ भी निराश ही हो गए थे.)



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