8 जुल॰ 2010


जॉर्ज फर्नांडिस होने का दुख
Story Update : Wednesday, July 07, 2010    12:09 AM
अदालत का यह फैसला भले ही तात्कालिक और अंतिम फैसले तक ही चलने वाला हो, पर महत्वपूर्ण है कि वरिष्ठ समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस लैला कबीर के साथ रहेंगे और उनके भाइयों को उनसे मिलने की अनुमति रहेगी। अदालत ने चाहे जो सोचकर यह फैसला दिया हो, पर इसे विडंबना नहीं, तो और क्या कहेंगे कि जो व्यक्ति परिवार, परंपरा और व्यवस्था से बगावत करने देश-दुनिया में समाजवाद की अलख जगाने निकला हो, वह अंततः अपनी पत्नी के पास रहे, जिसके साथ उसका पिछले २५-३० वर्षों से कोई संबंध न था। और अगर उनसे किसी को मिलने की इजाजत दी भी गई, तो सिर्फ उनके भाइयों को-सारा समाज, सारे साथी, सारे कार्यकर्ता उस दायरे के बाहर हो गए हैं।
आज जॉर्ज जिस मानसिक रोग से ग्रस्त और शारीरिक अवस्था में हैं, उसे देखकर ही अदालत ने फैसला दिया है और इसमें कोई खास हर्ज नहीं है। कहना न होगा कि समाजवादी धारा के अगुवा लोगों में एक रहे इस नेता की संपत्ति विवाद का विषय बने और उनकी राजनीतिक विरासत शून्य हो जाए, यह भी विडंबनापूर्ण ही है। उनके नेता राममनोहर लोहिया की विरासत आज देशव्यापी रंग-रूप में दिखती है। जबकि मौत के समय लोहिया के पास दो जोड़ी कपड़े और कुछ किताबों के अलावा और कोई संपत्ति नहीं थी। खैर, ऐसी तुलनाओं का आज की राजनीति के लिहाज से खास मतलब नहीं रह गया है और समाजवादी धारा की मर्यादा और ताकत में जो बिखराव आया है, उसमें स्वयं जॉर्ज की बड़ी भूमिका रही है।
अब सारी बातों को संपत्ति तक सिमटा देना कुछ ज्यादती होगी, क्योंकि संपत्ति कोई बहुत बड़ी और बेहिसाब नहीं है। बल्कि तीन-चार दिन पहले जो विवाद हुआ और जिसके चलते हाई कोर्ट को अपना यह फैसला देना पड़ा, वह तो जॉर्ज फर्नांडिस के सरकारी आवास में पड़ी कुछ बहुत सामान्य-सी चीजों तक भी उनकी सबसे विश्वस्त सहयोगी जया जेतली को न जाने देने के चलते ही था। जया जेतली ने पिछले तीसेक वर्षों में जॉर्ज के जीवन और सामाजिक-राजनीतिक कामों में सबसे सक्रिय रूप से भागीदारी की है। जबकि जॉर्ज की कानूनी पत्नी लैला कबीर २५-३० वर्षों से उनके जीवन और घर से भी गायब थीं। अब दोनों पक्ष, जिसमें जया के साथ जार्ज के भाई और कई राजनीतिक सहयोगी शामिल हैं, जॉर्ज की देखरेख उचित ढंग से न होने के नाम पर ही उनको अपने ‘कब्जे’ में रखना चाहते हैं। जिस जॉर्ज ने रक्षा मंत्री रहते हुए भी पुलिस का पहरा बर्दाश्त नहीं किया, घर के फाटक बंद नहीं करने दिए, उसी से उसके परिचितों-सहयोगियों को मिलने से रोकने के लिए पुलिस आए, यह सबसे बड़ी विडंबना है। पर यह असलियत भी है।

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