23 नव॰ 2010

दैनिक जागरण से साभार -
जौनपुर के ग्रामीण अंचलों में कलाओं का सम्मान
डॉ.लाल रत्नाकर 

कलाकार को चाहिए बस मंच और मौका : तीजनबाई

Nov 22, 09:44 pm
मुफ्तीगंज (जौनपुर) : कलाकार कभी छोटा-बड़ा नहीं होता है। बस उसे मंच और मौका मिलना चाहिए। जिसके माध्यम से वह अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन सबके सामने कर सके।
उक्त बातें क्षेत्र के मेहौड़े गांव में एक कार्यक्रम में शामिल होने आयी पद्मभूषण से सम्मानित अंतर्राष्ट्रीय गायिका डा. तीजनबाई ने दैनिक जागरण से वार्ता के दौरान कही। उन्होंने बताया कि मेरे नाना बृजलाल पारडी बचपन में मुझे महाभारत की कहानी सुनाते थे और उसी से प्रभावित होकर 13 वर्ष की अवस्था में महाभारत की कहानी को पण्डवानी शैली में गाकर नाना को सुनाने लगी। धीरे-धीरे लगन व मेहनत के बल पर आज इस मुकाम पर हूं।
उन्होंने कहा कि देश की युवा पीढ़ी को आज चाहिए कि वे भारतीय परम्परा को बचाकर रखने की पूरा प्रयास करे। 54 बसंत देख चुकी डॉ. तीजनबाई ने बताया कि फ्रांस, जर्मनी, लदंन, मालटा, साइप्रस, मेसिया, टर्की, यूरोप, इटली, बांग्लादेश, मॉरिशस आदि देशों का भ्रमणकर अपनी पण्डवानी शैली में गीत सुनाकर भारतीय संस्कृति को बुलंद किया है।
इस महान कलाकार को सन 1988 में पद्म श्री, 1994 में श्रेष्ठ कला आचार्य, 1996 में संगीत नाट्य अकादमी सम्मान, 1998 में इसुरी सम्मान तथा वर्ष 2003 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा डी-लिट उपाधि, महिला नौ रत्न कला शिरोमणि सम्मान तथा विक्रम बिरला कला शिखर सम्मान भी मिल चुका है।
क्षेत्र के मेहौड़े गांव में रामजग यादव द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने आयी डॉ. तीजनबाई ने रविवार की रात पण्डवानी शैली में तम्बूरे के साथ गीत सुनाकर हजारों दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया। उन्होंने जब द्रौपदी विवाह का गीत प्रस्तुत किया तो श्रोता काफी भावुक हो उठे।
इस अवसर पर प्रसिद्ध चिकित्सक डा. केपी यादव, डा. आरपी यादव, मुम्बई के उद्योगपति राम बाबू, दीपक, राजेश शाह, दिल्ली के महेश यादव, डा. बीएस यादव व जीतेन्द्र यादव ने तीजनबाई को सम्मानित किया। इस दौरान भक्ति व लोक गीत गायक राकेश पाठक मधुर व रवीन्द्र सिंह ज्योति के गीतों पर भी श्रोताओं ने खूब तालियां बजायी।

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