8 दिस॰ 2010

दैनिक जागरण से साभार -
डॉ.लाल रत्नाकर
(देश के तमाम आई ए एस अफसर बड़े बड़े भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे है पर यह फैसला एक सामाजिक सरोकारों को इंगित कराता है)

नीरा यादव को चार साल की कैद

Dec 07, 09:09 pm
गाजियाबाद, वरिष्ठ संवाददाता
नोएडा में फ्लैक्स ग्रुप ऑफ इंडस्ट्री को 28 हजार वर्ग मीटर जमीन के आवंटन घोटाला मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव व फ्लैक्स इंडस्ट्रीज के मालिक अशोक चतुर्वेदी को दोषी करार देते हुए चार-चार साल की सजा सुनाई है। अदालत ने दोनों पर 50-50 हजार रुपये का अर्थदंड भी किया है। इसी के साथ कैलाश अस्पताल को भूमि देने के मामले में सीबीआई आरोप सिद्ध नहीं कर पाई। अदालत ने इस मामले में नीरा यादव व कैलाश अस्पताल के संचालक डॉ. महेश शर्मा को दोषमुक्त करार दिया। फैसले के बाद नीरा यादव के अधिवक्ता सुधीर त्यागी ने कहा कि फैसले के खिलाफ वह बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी देंगे।
फ्लैक्स ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज को वर्ष 1994 में नोएडा अथॉरिटी ने 28 हजार वर्ग मीटर भूखंड आवंटित किया गया था। इसके बाद आरोप लगा कि नोएडा प्राधिकरण की तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रहीं नीरा यादव ने पद का दुरुपयोग करते हुए भूखंड आवंटन के इस मामले में नोएडा प्राधिकरण को एक करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक क्षति पहुंचाई। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश डॉ. एके सिंह की अदालत ने मंगलवार को अपरान्ह एक बजे खचाखच भरी अदालत में फैसला सुनाया। इस दौरान अदालत में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। फैसला सुनाए जाने के बाद नीरा यादव व अशोक चतुर्वेदी को डासना स्थित जिला कारागार भेज दिया गया। चतुर्वेदी को जहां हथकड़ी लगाई गई थी, वहीं नीरा यादव को हथकड़ी नहीं पहनाई गई थी।
नीरा ने संवाददाताओं से कहा, अदालत का मैं बहुत सम्मान करती हूं लेकिन मैं निर्दोष हूं। मुझे नहीं लगता कि आईएएस अधिकारी के तौर पर मैंने कोई गलती की। इससे पहले, अदालत ने दोपहर 12 बजे फैसला सुनाते हुए फ्लैक्स गु्रप ऑफ इंडस्ट्री को भूखंड दिए जाने के मामले में नीरा यादव व अशोक चतुर्वेदी को दोषी करार दिया। गुलाबी सिल्क साड़ी पहने हुई यादव ने न्यायाधीश से आग्रह किया कि खराब स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें कुर्सी मुहैया कराई जाए। न्यायाधीश ने जब कैलाश अस्पताल मामले में उन्हें रिहा करने की घोषणा की तो उन्होंने चैन की सांस ली लेकिन फ्लैक्स मामले में सजा सुनाए जाते ही वह रो पड़ीं। अदालत में चतुर्वेदी भी हाजिर थे। दोनों को दोषी करार दिए जाने के तुरंत बाद उनकी सजा के बारे में अभियोजन व बचाव पक्ष की दलीलों की सुनवाई हुई।
बहस में सीबीआई के वरिष्ठ लोक अभियोजक एस. इसलाम ने कहा कि नीरा यादव व अशोक चतुर्वेदी ने जो किया वह समाज के लिए कैंसर व प्लेग जैसी बीमारी के समान है। उन्होंने कहा कि जब उच्च पदों पर बैठे लोग इस तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त होंगे तो उसका समाज के क्या संदेश जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह का अपराध लोकतंत्र के लिए घातक है। यह देश की आर्थिक स्थिति व संस्कृति को नष्ट कर सकता है। इसलाम ने दलील दी कि जिस तरह एड्स लाइलाज बीमारी है, उसी तरह लोकतंत्र में आर्थिक भ्रष्टाचार भी लाइलाज बीमारी जैसा है। उन्होंने अदालत से नीरा यादव व चतुर्वेदी को कठोर से कठोर दंड दिए जाने का अनुरोध किया। बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्यागी ने नीरा यादव को कम से कम सजा दिए जाने की मांग की। सजा पर बहस पूरी होने के बाद एक बजे न्यायाधीश ने फैसला सुनाया और दोनों को जेल भेज दिया गया।
पूरा मामला :-
10 जनवरी 1994 से लेकर 8 नवंबर 1995 तक नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रही यादव द्वारा विभिन्न सेक्टरों में प्लाटों के आवंटन और सेक्टर 18 में व्यावसायिक भूखंडों के आवंटन में किए फर्जीवाड़े के खिलाफ नोएडा एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। आरोप था कि फ्लैक्स गु्रप को सेक्टर-51, ए-99 में ग्रुप हाउसिंग का पांच एकड़ का भूखंड 1600 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर की बजाय 1200 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से आवंटित किया गया। इसी रेट पर फ्लैक्स ग्रुप को सेक्टर-11 में नेहरु युवा केंद्र के पास गु्रप हाउसिंग का दो एकड़ का भूखंड भी आवंटित कर दिया गया। दूसरे मामले में डॉ. महेश शर्मा को कैलाश अस्पताल के लिए सेक्टर-27, एच-35 में दो हजार वर्ग मीटर का भूखंड आवंटित किया गया था। आरोप था कि इसे चार आवासीय भूखंड मिलाकर बनाया गया है। पार्क की जमीन इसमें शामिल है। इससे सरकार को राजस्व की हानि हुई है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को मामले की जांच का निर्देश दिया था। नीरा यादव ने तब आरोप लगाया था कि उन्हें इसलिए 'फंसाया' जा रहा है कि वह पिछड़ी जाति की हैं।
प्रोफाइल :-
1971 बैच की आईएएस अधिकारी नीरा यादव के लिए भ्रष्टाचार के मामले में यह पहली सजा है। वह मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान मुख्य सचिव रही थीं। नीरा यादव देश की पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2005 में भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण मुख्य सचिव के पद से हटा दिया था। वर्ष 1997 में उत्तर प्रदेश आईएएस एसोसिएशन के चुनाव में उन्हें 'सबसे भ्रष्ट अधिकारी' का तमगा भी दिया गया था। सीबीआई ने वर्ष 2002 में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कम से कम चार मामलों में आरोप पत्र दायर किया था और तब से वे अदालत में लंबित थे। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2007 में बसपा नेता मायावती के मुख्यमंत्री बनने के बाद यादव ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। उनके पति और पूर्व पुलिस अधिकारी महेन्द्र सिंह राज्य में भाजपा सरकार में मंत्री थे। बाद में वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। वर्ष 2009 में वह और नीरा यादव भाजपा में शामिल हो गए।
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अमर उजाला से साभार -

भूमि घोटाले में नीरा यादव को चार साल जेल
गाजियाबाद।
Story Update : Wednesday, December 08, 2010    1:58 AM
सीबीआई की विशेष अदालत ने मंगलवार को नोएडा अथॉरिटी की तत्कालीन सीईओ और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव और फ्लेक्स ग्रुप इंडस्ट्रीज के मालिक अशोक चतुर्वेदी को 1994 में हुए नोएडा जमीन घोटाले में दोषी करार दिया। दोनों को चार-चार साल कैद की सजा सुनाई गई है। खचाखच भरी अदालत में फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद दोनों को कड़ी सुरक्षा में डासना जेल ले जाया गया। जमीन आवंटन के दूसरे घोटाले में अदालत ने कैलाश अस्पताल के मालिक महेश शर्मा और नीरा यादव को बरी कर दिया।

सीबीआई की विशेष अदालत ने सजा सुनाई
सीबीआई की विशेष अदालत के जज एके सिंह ने दोनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। जेल ले जाते वक्त 57 वर्षीय चतुर्वेदी को हथकड़ी लगाई गई थी जबकि फैसला सुनने के बाद रो पड़ीं 62 वर्षीय नीरा को हथकड़ी नहीं लगाई गई। दोनों को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 और आईपीसी की धारा 120 बी के तहत दोषी करार देकर सजा सुनाई गई। नीरा को नोएडा में औद्योगिक प्लॉट के आवंटन में नियमों का उल्लंघन कर फ्लेक्स इंडस्ट्रीज को भूमि देने का दोषी पाया गया। 1971 बैच की आईएएस अधिकारी नीरा यादव के लिए भ्रष्टाचार के मामले में यह पहली सजा है। वह मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान मुख्य सचिव थीं। वह देश की पहली आईएएस अधिकारी थीं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में भ्रष्टाचार के आरोप में मुख्य सचिव के पद से हटाया था।

HEADINGदूसरे मामले में कैलाश अस्पताल के मालिक बरी
1997 में उत्तरप्रदेश आईएएस एसोसिएशन के चुनाव में उन्हें सबसे भ्रष्ट अधिकारी का तमगा भी दिया गया था। उन पर नौकरशाहों, नेताओं, उद्योगपतियों और अपने नजदीकी लोगों पर समय से पहले प्लॉटों के आवंटन का आरोप था। गुलाबी सिल्क साड़ी पहनी हुई नीरा ने न्यायाधीश से आग्रह किया कि खराब स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें कुर्सी दी जाए। न्यायाधीश ने जब कैलाश अस्पताल मामले में उन्हें रिहा करने का फैसला सुनाया तो उन्होंने चैन की सांस ली लेकिन फ्लेक्स मामले में सजा सुनाए जाते ही वह रो पड़ीं। यादव और चतुर्वेदी के वकीलों ने कहा कि बुधवार को वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जमानत की अर्जी देंगे।

क्या है जमीन घोटाला
1994 में नीरा यादव नोएडा अथॉरिटी की चेयरमैन थीं। उन्होंने फ्लेक्स गु्रप ऑफ इंडिया के मालिक को नोएडा की 28 हजार वर्ग मीटर जमीन केवल 12 सौ रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से नियमों को ताक पर रखकर आवंटित की थी। नोएडा उद्यमी एसोसिएशन ने घोटाले की शिकायत सुप्रीम कोर्ट में की गई थी।

1998 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रधानमंत्री कार्यालय से अभियोजन अनुमोदन स्वीकृत होने पर पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी। 16 अक्तूबर 2002 को सीबीआई की विशेष कोर्ट गाजियाबाद में घोटाले में चार्जशीट पेश की गई। नोएडा में जमीन आवंटन घोटाले के दो मुकदमे अभी विचाराधीन हैं, जिनकी सुनवाई सीबीआई की विशेष कोर्ट में चल रही है।

कौन है नीरा यादव

1. नीरा यादव 1971 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। वह नोएडा अथॉरिटी की सीईओ और मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्रित्व काल उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव थीं
2. वह देश की पहली आईएएस अधिकारी थीं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में भ्रष्टाचार के आरोप में मुख्य सचिव के पद से हटाया था। 1997 में उत्तरप्रदेश आईएएस एसोसिएशन के चुनाव में उन्हें सबसे भ्रष्ट अधिकारी का तमगा भी दिया गया था।


नीरा यादव जमीन घोटाले में दोषी -

बी.बी.सी.साभार -राम दत्त त्रिपाठी  

नीरा यादव
नीरा यादव को जेल और जुर्माने की सज़ा सुनाई गई
गाजियाबाद में सी बी आई की एक विशेष अदालत ने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव और एक उद्योगपति अशोक चतुर्वेदी को नोएडा में जमीन आवंटन में भ्रष्टाचार के मामले चार चार साल की जेल और पचास-पचास हज़ार जुर्माने की सजा सुनाई है.
अदालत ने दोनों को तुरंत हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है.
नीरा यादव रिटायर्ड आईएएस अफसर हैं, जबकि चतुर्वेदी फ़्लेक्स इंडस्ट्रीज़ के चेयरमैन.
यह घोटाला 1994-95 में उस समय हुआ जब नीरा यादव नोएडा प्राधिकरण की अध्यक्ष थीं.
अदालत ने नीरा यादव को नियमों का उल्लंघन कर फ़लेक्स इंडस्ट्रीज़, अपने परिवार के लोगों और कई महत्वपूर्ण नेताओं, अफ़सरों तथा जजों अथवा उनके रिश्तेदारों को गलत ढंग से नोएडा के प्लाट आवंटित करने का दोषी पाया है.
उपकृत लोगों में भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुख्यमंत्री मायावती, कई आईएएस अफ़सर, जज और उनके रिश्तेदार शामिल बताए जाते हैं. नीरा यादव ने स्वयं अपने और दो बेटियों के नाम भी ग़लत ढंग से प्लाट आवंटित किए.
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा उद्यमी एसोशिएशन की याचिका पर सीबीआई को मामले की जांच का आदेश दिया था. सीबीआई ने वर्ष 2002 में चार्जशीट दाखिल कर दी थी. बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने उसी वर्ष उन्हें मुख्य सचिव बना दिया.
पत्रकार शरत प्रधान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें मुख्य सचिव पद से हटाने का आदेश दिया. इसके बाद वह राजस्व परिषद और सतर्कता आयोग की अध्यक्ष रहीं.
उन्होंने वर्ष 2008 में सेवा से स्वैछिक त्यागपत्र देकर अवकाश ग्रहण कर लिया और 2009 के लोक सभा चुनाव से पहले वह अपने पति महेंद्र सिंह यादव के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गयीं.
महेंद्र सिंह यादव रिटार्ड आईपीएस अफसर हैं. सेवा से त्यागपत्र देकर वह भाजपा उम्मीदवार के रूप में विधायक चुने गए थे.
नीरा यादव उत्तर प्रदेश के उन तीन आईएस अफ़सरों में से एक हैं, जिन्हें आईएएस असोशिएशन ने गुप्त मतदान के जरिये महाभ्रष्ट का खिताब दिया था, लेकिन सभी दलों के शीर्ष नेताओं और कई जजों से अपने निकट संबंधों के चलते वह महत्वपूर्ण पद पाती रहीं और सजा से बचती रहीं.
मगर जानकार लोगों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में अभी कई और अफ़सर हैं , जिनके खिलाफ चार्जशीट होने के बावजूद मुक़दमा शुरू भी नही हो सका क्योंकि सरकार ने उनकी फ़ाइलें दबा रखी हैं.

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