द्विअर्थी शब्द हमेशा अश्लील नहीं होते। लेकिन अक्सर उनका इस्तेमाल अश्लील विचारों को कहने के लिए ही किया जाता है। इसलिए सभ्य समाज ऐसे शब्दों के प्रयोग से बचता है। एक शब्द है बाबा। बाबा एक द्विअर्थी नहीं बल्कि बहुअर्थी शब्द है, पर अश्लील नहीं। अंगरेज जब इस मुल्क में आए तो उनके बच्चे बाबा लोग कहलाए। हिन्दुस्तानी आयाएं इन बाबा लोगों की परवरिश करती थीं, ताकि मेमसाहब यहां की तपती गर्मी में कुछ सुकून महसूस कर सकें।
भारतीय राजनीति में देश को चलाने के लिए बाबा लोगों का एक तबकाहमेशा तत्पर रहा है। कुछ सीधे तो कुछ परोक्ष रूप से सत्ता चलाने वालों को नियंत्रित करके। इन बाबाओं की यात्रा कि शुरुआत अध्यात्म से होती है। वो आत्मा, परमात्मा, लोक-परलोक, सत्य-असत्य, योग, शुचिता आदि कि बातें करते हुए कब अचानक सेलेब्रिटी बन जाते हैं पता ही नहीं चलता। पहले हजारों फिर लाखो लोग उनके अनुयायी बन जाते हैं और तब राजनीतिक लोगों को बाबावाद भाने लगता है। कहते हैं चंद्रास्वामी की कार प्रधानमंत्री के निवास में बिना सुरक्षा जांच के घुसती थी। उन दिनों नरसिम्हाराव से जुड़े लगभग सभी प्रकरणों में चंद्रास्वामी का नाम जरूर जुड़ा होता था।
इंग्लैंड जा बसे गुजरात के व्यापारी लाखुभई पाठक ने राव और चंद्रास्वामी दोनों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। नामी अपराधी बबलू श्रीवास्तव ने जब सीबीआई को चंद्रास्वामी के दाऊद इब्राहीम से संबंधों के बारे में बताया, तब से स्वामीजी का सितारा डूबने लगा और नरसिम्हा राव भी किनारे लगे। लगभग उसी दौर में गहरी काली दाढ़ी और काले बाल वाले एक और गुरु कि तस्वीरें पत्रिकाओं में छपने लगीं। हमेशा सब कुछ समझ चुकने का भाव लिए उनकी मुस्कराहट उनका ट्रेड मार्क बन गई। श्री श्री रविशंकर सोने के गहनों में लदी-फदी उच्चवर्गीय महिलाओं और महंगी कारों में चलने वाले खाते पीते लोगों को जीवन जीने की कला सिखाने लगे।
एक पत्रकार मित्र श्री श्री के सहचर्य के किस्से रस ले कर सुनाते हैं। वो कुछ समय के लिए श्री श्री की टीम में रहे। एक दिन श्री श्री ने मंत्रणा के लिए उन्हें बुलाया और कहा, ‘ये पता कीजिए कि सोनिया गांधी तक कैसे पहुंचा जाए? उन तक पहुंचाना बहुत मुश्किल साबित हो रहा है।’ आर्ट ऑफ लिविंग सिखाने वाले किसी बाबा को आखिर सोनिया गांधी तक अप्रोच लगाने कि क्या जरुरत पड़ गई? फिर बाबा में नोबेल पुरस्कार की इच्छा बलवती हो उठी और श्री श्री के भक्त स्टोकहोम में उनके नाम की लोबिंग करने लगे।
दस साल पहले जब मैं नौकरी के लिए लंदन रवाना हुआ तो बाबा रामदेव आस्था चैनल पर नियमित कपालभाती करने लगे थे। धीरे-धीरे उनका नाम फैलने लगा। एक दिन बीबीसी के दफ्तर में हलचल बढ़ गई कि बाबा रामदेव लंदन आए हैं और संसद में योग करेंगे। ब्रिटेन के अखबारों में उनकी चर्चा थी और एक दिन वे बीबीसी स्टूडियो पहुंच गए। लेकिन उन्होंने तब राजनीति पर एक शब्द नहीं कहा। उनका पूरा जोर भारतीयता और योग पर था।
पर ये वो दौर था जब लालू यादव और नीतीश कुमार जैसे राजनीतिक लड़ाके बाबा रामदेव के साथ एक मंच पर आसीन नहीं हुए थे। शायद इसलिए बाबा के अंदर देश को राजनीतिक दिशा देने की इच्छा नहीं पनपी थी और अगर पनप रही थी तो उन्होंने उसे टीवी और अखबारों से बचा कर रखा था। बाबा रामदेव का राजनीतिक आत्मविश्वास उस दिन से अंगडाई लेने लगा जब सीपीएम की बृंदा करात को उन्होंने सरे-आम पटखनी देने में कामयाबी पाई। बृंदा ने आरोप लगाए थे कि बाबा के कारखानों में बनाई जाने वाली औषधियों में मानव हड्डियों का चूर्ण मिलाया जाता है। बृंदा ने सोचा होगा कि पश्चिम बंगाल में सफल सीपीएम के उग्र तेवरों से बाबा झटका खा जाएंगे पर यह दांव उल्टा पड़ गया। दूसरी ओर हर रंग के नेता बाबा को पलकों पर बिठा रहे थे। बाबा की उम्मीद बढ़ने लगी।
बाबा अपने अनुनायियों को समझाने लगे कि जब नेता हमारे बूते पर चुनाव जीत कर राज करते हैं तो हम सीधे चुनाव क्यों न जीतें? कपालभाती करने और पेट घुमाने से ही जब हर पार्टी के नेता गोल-गोल बाबा के चारों ओर घूमने लगे हों तो फिर बाबा खुद क्यों न नई दिल्ली के गोलघर में पहुंच कर सत्ता का स्वाद चखें? लेकिन बाबा को कल आधी रात के बाद यह अहसास हुआ होगा कि उनकी योगिक क्त्रियाओं पर मुग्ध हो जाने वाला राजनेता बहुत आसानी से नो एंट्री में उन्हें घुसने नहीं देगा। जिस सत्ता के चार-चार मंत्री बाबा के सामने साष्टांग करने हवाई अड्डे पहुंच सकते हैं ,वो सत्ता आधी रात को बाबा के टेंट और दरी समेटने में भी देरी नहीं करती।
रामदेव की ताकत |
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Story Update : Sunday, June 05, 2011 9:53 PM |
बाबा रामदेव की ताकत पिछले दस वर्षों में कई गुना बढ़ी है। राजनेता, अभिनेता, सामाजिक कार्यकर्ता, संत, बुद्धिजीवी वर्ग, अधिकारी और क्या व्यापारी शायद ही ऐसा कोई वर्ग होगा, जो बाबा के संगठन से न जुड़ा हो। आम आदमी रामदेव का प्रबल समर्थक है। भारत स्वाभिमान ट्रस्ट और पतंजलि योग समितियों के मेल से बना बाबा का संगठन दिन-प्रतिदिन मजबूत होता जा रहा है। पतंजलि योग समितियां देश भर में फैल चुकी हैं।
भारत स्वाभिमान ट्रस्ट ने भी केंद्र के साथ-साथ राज्य व जिलास्तर के अलावा ग्राम स्तर पर भी काम शुरू कर दिया है। देशभर में 624 से अधिक पतंजलि योग समितियां संचालित हो रही हैं। ये योग शिविर के माध्यमों से संगठन को और मजबूत बनाने में जुटी हैं। संगठन में महिलाओं की संख्या भी कम नहीं है। संगठन को मजबूत करने का यही क्रम देश के बाहर विदेशों में भी चल रहा है। अप्रवासी भारतीयों के अलावा विदेशियों को भी संगठन से सीधे जोड़कर उसे मजबूती दी जा रही है। भ्रष्टाचार के खिलाफ बाबा रामदेव के आंदोलन को आम आदमी का भी समर्थन मिल रहा है।
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बाबा के ‘शीर्षासन’ से उड़ी कांग्रेस की नींद |
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धीरज कनोजिया |
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Story Update : Monday, June 06, 2011 2:18 AM |
नई दिल्ली। भले ही रामदेव का अनशन टूट चुका है, लेकिन अब कांग्रेस महसूस होने लगा है कि बाबा का आसन उसके लिए आने वाले दिनों में एक नई मुसीबत का सबब बन सकता है। हालांकि इस मुसीबत से पार पाने के लिए अब पार्टी आलाकमान ने बाबा के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करने और इसे नरम नहीं होने देने की रणनीति अख्तियार कर ली है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की ओर से बाबा को ठग कहकर पुकारना पार्टी की इसी हमलावर रणनीति का हिस्सा है।
अब कांग्रेस को बाबा के अनशन को तहस-नहस करने की कार्रवाई की चौतरफा आलोचनाओं और भाजपा तथा संघ के उनके समर्थन में सड़क पर उतरने की चिंता सताने लगी है। इसलिए बिना देरी जवाबी रणनीति बनाने के लिए सोनिया गांधी ने रविवार देर शाम सरकार के शीर्ष मंत्रियों और पार्टी के राज्यों के प्रभारी महासचिवों के साथ लंबी बैठक की। बताया जाता है कि इसमें बाबा और भाजपा के वार का आक्रामक तरीके से जवाब देने पर चर्चा हुई।
वैसे भी बाबा पर आधी रात में पुलिसिया कार्रवाई के बाद कांग्रेस आलाकमान ने रविवार सुबह से योग गुरु पर सियासी वार करने के लिए दिग्विजय सिंह को आगे कर दिया था। दिग्विजय सिंह ने बाबा पर सरकार को ठगने का आरोप लगाया और उनकी संपत्ति का खुलासा करने की सरकार और पार्टी से अपील की। बाबा पर कड़ाई से निपटने का फैसला ले चुकी पार्टी अंदरखाने इस पूरे प्रकरण से राजनीतिक नुकसान भी साफ देख रही है। टीवी के जरिए पहले पुचकारने और अब डंडा भांजने की सरकार की रणनीति को देख रही देशभर की जनता पर इसके पड़ने वाले असर को लेकर पार्टी में चिंता घर कर गई है।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि तमाम मान मनोव्वल के बावजूद बाबा के नहीं मानने पर राजनीतिक नफा नुकसान की समीक्षा की गई। यह देखा गया कि क्या कदम उठाने से कम या ज्यादा नुकसान होगा। उस समय बाबा के अनशन को तहस नहस करने की रणनीति को ही कम नुकसान वाला कदम माना गया। रणनीति बनी कि पुलिसिया कार्रवाई को जायज ठहराने के लिए सरकार और पार्टी के सभी रणनीतिकारों को जुटा दिया जाएगा और मीडिया के जरिए बाबा पर जमकर निशाना साध कर उनके हर कदम को विफल किया जाएगा। वैसे पार्टी आश्वस्त नहीं है कि उसके इन कदमों से उसे राहत मिलेगी या नहीं।
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देशभर में बाबा पर मचा बवाल |
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देवास/इंदौर। |
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Story Update : Monday, June 06, 2011 1:53 AM |
रात के अंधेरे में योग गुरु बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर हुई पुलिस कार्रवाई की प्रतिक्रिया दिन के उजाले में पूरे देश में दिखी। देश के विभिन्न हिस्सों में बाबा के समर्थक सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन किया। कहीं प्रधानमंत्री का पुतला फूंका गया तो कहीं ट्रेन रोकी गई।
हमले के विरोध में देवास में प्रदर्शन मध्य प्रदेश के देवास में शनिवार को बाबा के समर्थन में जमकर प्रदर्शन हुआ। यहां जिला मुख्यालय पर भाजपा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और अन्य संगठनों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान भीड़ ने उज्जैन की ओर जाने वाली मालवा एक्सप्रेस को 15 मिनट तक रोके रखा। जीआरपी और आरपीएफ ने काफी मशक्कत के बाद स्थिति नियंत्रण में किया।
प्रदर्शनकारियों ने शहर में केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए चार स्थानों पर पुतले फूंके। उनका कहना था कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इशारे पर ही पुलिस ने बर्बर कार्रवाई की, जबकि बाबा शांतिपूर्ण ढंग से अनशन कर रहे थे। बाबा पर हमले के विरोध में इंदौर में जागो हिंदू संगठन ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का पुतला फूंका और सरकार के विरोध में नारेबाजी की। उधर, सागर में बाबा रामदेव के खिलाफ प्रदर्शन हुआ। यहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने योग गुरु को धोखेबाज करार देते हुए उनका पुतला फूंका और उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
अन्ना का सबक बाबा को सिखाया |
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संजय मिश्र |
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Story Update : Monday, June 06, 2011 1:48 AM |
नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे की आंधी में हुई अपनी बेइज्जती से परेशान यूपीए सरकार बाबा रामदेव की जनआंधी के सैलाब में डूबने का रत्ती भर भी खतरा उठाने को तैयार नहीं थी। इसीलिए चार दिन तक बाबा को पुचकारने का संदेश देती रही सरकार ने अन्ना से सीखे सबक का पाठ बाबा को पढ़ाते हुए डंडा चलाकर उनके अनशन सत्याग्रह का सत्यानाश कर दिया।
सरकार का साफ मानना था कि रविवार सुबह की किरण से पहले बाबा के अनशन का सत्यानाश नहीं किया गया तो फिर सरकार के लिए मुंह दिखाने की जगह नहीं बचेगी। वैसे यह बाबा की चतुराई ही रही कि रामलीला मैदान में शनिवार को वे अनशन पर बैठ पाए अन्यथा सरकार ने तो उन्हें एक दिन पहले ही कैलरिजेज होटल में मंत्रियों के साथ वार्ता नाकाम होने के बाद गिरफ्तार करने की तैयारी कर ली थी। बाबा ने चिट्ठी लिखकर सरकार की इस घेरेबंदी से किसी तरह जान छुड़ाई।
अन्ना के आंदोलन पर नरमी दिखाने के बावजूद बदनाम हुई सरकार दुबारा यह गलती नहीं करना चाहती थी और इसीलिए बाबा को सबक सिखाना ही मुनासिब समझा। वह भी इस बार तो खुद कांग्रेस नेतृत्व के साथ सरकार के कुछ दिग्गज मंत्रियों का भी दबाव था कि बाबा का आंदोलन आंधी में बदला तो फिर सरकार का इकबाल नहीं बचेगा। शीर्ष सूत्रों के अनुसार इसीलिए बाबा को रविवार चार बजे तक की दी गई डेडलाइन खत्म होने के बाद शाम पांच बजे ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने योग गुरु के आंदोलन का विध्वंस करने का अपने रणनीतिकार मंत्रियों को निर्देश दे दिया। मगर दिन में इतनी बड़ी भीड़ के बीच बाबा को उठाने की कार्रवाई में भारी हिंसा के डर से देर रात कार्रवाई की गई।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी इसकी पूरी सहमति ले ली गई। रविवार को कपिल सिब्बल ने खुद इसकी पुष्टि करते हुए कहा भी कि सरकार और पार्टी के शिखर नेतृत्व की अनुमति के बिना इस तरह की बड़ी कोई कार्रवाई भला कैसे की जा सकती है। सरकार ने शुरु से बाबा को पुचकारने के साथ-साथ पर्दे के पीछे डंडे का डर भी दिखाया। शीर्ष सूत्रों के अनुसार बाबा को दिल्ली में मजमा जुटाने से रोकने के लिए सरकार ने तो सुलह फार्मूले के साथ अपने लोगों को उज्जैन भी भेजा था। अधिकांश बातों पर सहमति भी बनी मगर बाबा ने दिल्ली आने पर समझौते की बात कही। बाबा के मान जाने की उम्मीद में ही प्रधानमंत्री ने 1 जून को अपने चार मंत्रियों को हवाई अड्डे बाबा की अगुवानी के लिए दौड़ा दिया। उस दिन हरियाणा के दौरे पर गई सोनिया गांधी को मंत्रियों की यह परेड नहीं भायी और इसी दिन देर शाम कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बाबा पर सीधा हमला बोल दिया।
उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार इसी बीच बाबा के अनशन में दो दिनों के अंदर ही कुछ लाख लोगों के दिल्ली आने की खुफिया एजेंसी की सूचनाओं ने सरकार और पार्टी में हड़कंप मचा दिया। सरकार का यह आकलन भी था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने पूरे कैडर को लोगों को दिल्ली मार्च में भेजने के लिए लगा दिया है। सोनिया गांधी व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की कांग्रेस कोर ग्रुप के साथ 2 जून को हुई बैठक में ही यह तय हो गया कि हर हाल में अब लोगों के सैलाब को दिल्ली पहुंचने से रोकना होगा। एक वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्री ने अनौपचारिक चर्चा में बताया भी कि यदि रविवार सुबह पौ फटने से पहले बाबा की लीला खत्म नहीं की गई तो सरकार अपना चेहरा दिखाने के काबिल नहीं रहेगी।
इसीलिए 3 जून को सरकार ने पूरी तैयारी के साथ बाबा को कैलरिजेज होटल बुलाया। बाहर भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच होटल में जब बात नहीं बनी तब कपिल सिब्बल और सुबोधकांत सहाय ने बाबा को साफ कह दिया कि अगर वे नहीं माने तो उन्हें यहीं होटल में गिरफ्तार कर सरकार उनका अनशन खत्म कर देगी। होटल के अंदर भी इसके लिए तब तक गृहमंत्री चिदंबरम ने दिल्ली पुलिस के कुछ आला अफसरों को भेज दिया था। तब बाबा ने लाखों लोगों के अनशन के लिए दिल्ली पहुंच जाने की दुहाई देते हुए तीन दिन का समय मांगा। मगर सरकार बाबा के आश्वासन पर भरोसा करने को तैयार नहीं थी और बाबा लिखने को तैयार नहीं। भारी मशक्कत के बाद रामदेव ने अनशन शुरु होने से पहले ही इसको सत्यानाश से बचाने के लिए अपने सबसे करीबी शिष्य आचार्य बालकृष्ण के हस्ताक्षर से यह चिट्ठी सिब्बल को दे दी जिसका सहारा लेते हुए सरकार ने शनिवार शाम बाबा को पहले कठघरे में खड़ा किया। और फिर देर रात रामलीला मैदान में पुलिस का धावा बुलवा बाबा को न केवल उठवा लिया बल्कि दिल्ली से तड़ीपार कर दिया।
दिग्विजय ने बाबा को ठग करार दिया |
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नई दिल्ली। |
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Story Update : Monday, June 06, 2011 1:49 AM |
योग गुरु बाबा रामदेव के मामले में अपनी सारी हिचकिचाहटें ताक पर रखते हुए कांग्रेस ने शनिवार को उनके ऊपर पूरी तरह से हमला बोल दिया। पार्टी ने उनके आंदोलन के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को एक ठग के खिलाफ उठाया गया सही कदम बताया।
पूरे देश को ठगने का प्रयास किया कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बाबा रामदेव का कच्चा-चिट्ठा खोलने का दावा करते हुए कहा कि इस ठग ने पूरे देश को ठगने का प्रयास किया। वह क्लेरिजेज होटल में समझौते कर रहा था और रामलीला मैदान में जाकर अपने भक्तों को भड़का रहा था। ऐसे में पुलिस ने वही किया जो एक ठग के साथ किया जाना चाहिए। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि रामदेव को सरकार ने अनशन से बाज आने के लिए मनाने की पूरी कोशिश। प्रणब मुखर्जी जैसे वरिष्ठ मंत्री को उनसे बातचीत के लिए एयरपोर्ट पर भेजा गया, लेकिन रामदेव सुनने को तैयार नहीं थे।
अपने भक्तों को भड़का रहे थे बाबा सिंह ने कहा कि वह अपनी पार्टी से यह मांग उठाने को कहेंगे कि बाबा रामदेव के 1994 से अब तक के कारनामों की जांच की जाए। उन्होंने कहा कि रामदेव के पास कुछ सालों में हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति कहां से आ गई इसकी जांच होनी चाहिए। अगर योग सिखाने के लिए पैसा लिया जाता है तो उस पर आयकर लगना चाहिए। अगर वह इसके लिए टैक्स नहीं देते तो आयकर चोरी का मामला बनता है। कांग्रेस महासचिव ने सवाल किया कि अगर बाबा रामदेव ने रामलीला मैदान में योग शिविर के लिए अनुमति ली थी तो वह लोगों को उत्तेजित करने की कोशिश क्यों कर रहे थे।
बाबा से सरकार के डरने के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि सरकार न पहले डरी थी और न आज डरी है। उन्होंने कहा कि अगर रामदेव के चेले पूरे देश से दिल्ली आ जाते तो लोगों का जीना मुहाल हो जाता, इसलिए प्रशासन ने स्थिति संभालने के लिए यह कदम उठाया। कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया कि बाबा रामदेव पूरी तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रेरित है और जब से संघ परिवार पर आतंकवाद भड़काने का आरोप लगा है तब से वे देश का ध्यान भ्रष्टाचार की ओर मोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
बाबा और केंद्र दोनों पर बरसा लेफ्ट |
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नई दिल्ली। |
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Story Update : Monday, June 06, 2011 2:20 AM |
प्रमुख वामपंथी दलों ने बाबा रामदेव तथा उनके समर्थकों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को अवांछित करार दिया है। साथ ही उन्होंने बाबा के मंच पर सांप्रदायिक तत्वों की मौजूदगी पर सवाल उठाया है।
बाबा रामदेव तथा उनके समर्थकों पर पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए माकपा के पोलित ब्यूरो ने रविवार को एक वक्तव्य में कहा कि वहां कानून-व्यवस्था का कोई मुद्दा नहीं था। लिहाजा केंद्र सरकार के निर्देश पर हुई कार्रवाई अवांछित थी। भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी. राजा ने सरकार पर संसद को भरोसे में नहीं लेने और राजनीतिक एवं लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि इस आंदोलन को हवा देने तथा अब उसके दमन से बनी स्थिति के लिए सरकार खुद जिम्मेदार है।
माकपा ने कहा है कि रामदेव की सरकार से बातचीत, आश्वासन के आधार पर भूख हड़ताल वापस लेने का गुप्त समझौता और फिर इससे पलटने के फैसले ने काले धन के गंभीर मुद्दे को मजाक बना दिया है। पार्टी ने कहा है कि बाबा के आंदोलन को संघ और उसके सहयोगी संगठन चला रहे थे।
योग गुरु को मनाने से रुलाने तक का सफर |
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नई दिल्ली। |
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Story Update : Monday, June 06, 2011 2:00 AM |
किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि जिस सत्याग्रह को वापस लेने के लिए बाबा रामदेव की मान मनौव्वल की जा रही थी, वह लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोलों की बरसात में पहले ही दिन दम तोड़ देगा। एक जून को प्राइवेट जेट से यहां आए बाबा रामदेव की शाही अगवानी के बाद किसी ने भी 5 जून को एक एयरक्राफ्ट में बाबा की जबरन देहरादून विदाई की भी कल्पना नहीं की होगी।
योग गुरु को पांच दिन के अंदर केंद्र के दो अलग-अलग रूप देखने पड़े। रामलीला मैदान पर सत्याग्रह अनशन शुरू करने के लिए रामदेव गत एक जून को राजधानी पहुंचे थे। अनशन रोकने की अपील लेकर एयरपोर्ट पहुंचे प्रणब मुखर्जी, कपिल सिब्बल, पवन कुमार बंसल और सुबोधकांत सहाय ने बाबा की अगवानी की। सभी ने एक सुर में बाबा से अनशन वापस लेने की अपील की, लेकिन बाबा नहीं माने।
मगर शनिवार देर रात ठीक इसका उल्टा हुआ। दिल्ली पुलिस के अधिकारी बड़ी संख्या में पुलिस बल और रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों के साथ रामलीला मैदान पहुंच गए और बाबा सहित वहां मौजूद उनके समर्थकों को रुलाने के लिए जमकर आंसू गैस के छोड़े। साथ ही पुलिस ने लाठीचार्ज करके भी मैदान खाली करा लिया।
लोकपाल बैठक का बहिष्कार करेगी टीम अन्ना |
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नई दिल्ली। |
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Story Update : Monday, June 06, 2011 1:56 AM |
बाबा रामदेव पर पुलिसिया कार्रवाई के चलते चौतरफा आलोचना का सामना कर रही यूपीए सरकार के लिए समाजसेवी अन्ना हजारे ने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। टीम अन्ना ने बाबा पर पुलिसिया कार्रवाई के विरोध में लोकपाल बिल संयुक्त मसौदा समिति की सोमवार को होने वाली बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। इतना ही नहीं टीम अन्ना ने यह भी साफ कर दिया है कि सरकार लोकपाल बिल की ड्राफ्टिंग की बैठक के सीधे टीवी प्रसारण के लिए राजी नहीं होती तब तक नागरिक समाज के सदस्य लोकपाल समिति की बैठक में शामिल नहीं होंगे।
वहीं, प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने समेत छह विवादित मुद्दों पर भी टीम अन्ना ने सरकार को सकारात्मक कदम के साथ सामने आने का अल्टीमेटम दिया है। अन्ना हजारे के इंडिया अगेंस्ट का कहना है कि सरकार को इन सवालों को लेकर पत्र भेजा जा चुका है और सरकार के जवाब का इंतजार किया जाएगा। सरकार के जवाब से संतुष्ट होने के बाद ही अगली बैठकों में शामिल होने पर विचार किया जाएगा। अन्ना हजारे ने रविवार को यहां पत्रकार वार्ता में इस घटना की निंदा करते हुए जंतर मंतर पर आठ जून को एक दिन का अनशन करने का ऐलान भी किया।
उन्होंने कहा है कि अगर सरकार एक मजबूत लोकपाल बिल लाने में हिचकती है तो उनके पास दुबारा बड़ा जनआंदोलन खड़ा करने के अलावा कोई चारा नहीं होगा। बाबा के साथ हुई होटल के बंद कमरे में बातचीत को लेकर सरकार ने जिस तरह योग गुरु को विवादों में घेरा है, उसे लेकर टीम अन्ना सतर्क हो गई है। उसने किसी विवाद से बचने के लिए सरकार पर मसौदा समिति की बैठकों का सीधा प्रसारण करवाने का दबाव बना दिया है। बाबा पर कार्रवाई पर विरोध का इजहार करने के लिए मसौदा समिति की सोमवार की बैठक का टीम अन्ना ने बहिष्कार करने का फैसला किया है।
अन्ना ने सरकार की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र का गला घोंटने की कार्रवाई है। सरकार लोकपाल बिल पर गंभीर नहीं है। लोकतंत्र में अनशन करना गलत नहीं है। अन्ना ने कहा कि इस कार्रवाई के विरोध में आठ जून को जंतर मंतर पर एक दिन का अनशन किया जाएगा। आठ जून के बाद सरकार ने रुख नहीं बदला तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की इस करतूत के लिए पूरे देश में निंदा होनी चाहिए क्योंकि यह जालियांवाला बाग कांड और अंग्रेजों जैसी कार्रवाई है।
अब हरिद्वार में अनशन पर बैठे बाबा रामदेव |
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नई दिल्ली/ हरिद्वार। |
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Story Update : Monday, June 06, 2011 2:04 AM |
दिल्ली के रामलीला मैदान में शनिवार की देर रात पुलिस कार्रवाई के बाद अब बाबा रामदेव ने हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ की यज्ञशाला में भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना अनशन शुरू कर दिया है। वहीं, रामदेव और उनके समर्थकों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के बाद सियासी घमासान छिड़ गया है। इसने विपक्ष को एकजुट होने का मौका दे दिया है और यूपीए सरकार व उसके घटक अलग-थलग पड़ गए हैं।
यूपी की सीमा में नहीं घुसने दिया रविवार की शाम नोएडा में अनशन शुरू करने का फैसला लेकर दस वाहनों के काफिले के साथ योग गुरु दिल्ली की ओर रवाना हुए लेकिन उन्हें उत्तर प्रदेश की सीमा में घुसने नहीं दिया गया। इसके बाद वह हरिद्वार में ही अनशन पर बैठ गए। दिल्ली में पुलिस द्वारा सत्याग्रह स्थल से उठाए जाने के बाद रविवार को दिन में साढ़े दस बजे विमान से जौलीग्रांट एयरपोर्ट छोड़े गए बाबा रामदेव को कड़ी सुरक्षा के बीच पतंजलि योगपीठ हरिद्वार लाया गया। बाद में संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने केंद्र सरकार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से अपनी जान को खतरा बताया।
एनकाउंटर कराने की साजिश रची गई थी उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस के जरिए उनका एनकाउंटर कराने की साजिश रची गई थी। उन्होंने रामलीला मैदान में पुलिसिया कार्रवाई को जलियांवाला बाग कांड से भी भयावह बताया। भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन जारी रखने का ऐलान करते हुए बाबा ने कहा कि दिल्ली की घटना के खिलाफ देशभर में रविवार और सोमवार को काला दिवस मनाया जाएगा। रामदेव ने कहा कि केंद्र सरकार ने उनके साथ धोखा किया है। पहले बातचीत में सरकार ने उनसे वादा किया था कि उनकी सारी मांगे मान ली जाएंगी। काला धन वापस लाने के लिए प्रयास, मारीशस के रास्ते आए 50 लाख करोड़ रुपये की जांच, भ्रष्टाचार के मामलों के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन, काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने आदि मांगों को मानने का वादा किया गया था। परंतु इन सभी मुद्दों पर अध्यादेश लाने से सरकार बच रही थी। बाद में सरकार सभी वादों से पलट गई।
आचार्य बालकृष्ण से जबरदस्ती पत्र लिखवाया आचार्य बालकृष्ण द्वारा तीन दिन में अनशन समाप्त करने के संबंध में लिखी गई चिट्ठी के बारे में रामदेव ने कहा कि बातचीत के बहाने दिल्ली के एक होटल में बुलाकर केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों ने जबरदस्ती आचार्य बालकृष्ण से यह पत्र लिखवाया। चिट्ठी नहीं लिखने पर गंभीर परिणाम भुगतने की बात कही गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर सीधा हमला बोलते हुए स्वामी रामदेव ने कहा कि रामलीला मैदान प्रकरण से यह साबित हो गया कि सोनिया गांधी भारत के लोगों से प्यार नहीं करतीं। वरना निर्दोष लोगों पर इतना जुल्म नहीं किया।
गेरुआ की जगह महिलाओं के परिधान में यहां पहुंचे बाबा ने कहा कि उनके साथ अमानवीय सुलूक किया गया। पुलिस ने दुपट्टे से गले में फंदा तक बनाया। उन्होंने गर्दन में सूजन की बात भी कही। कहा कि सलवार-कुर्ता पहनकर अगर वह दो घंटे तक महिलाओं के बीच छिपकर नहीं बैठे होते तो शायद हरिद्वार जीवित भी नहीं पहुंच पाते। रामदेव ने अनशन जारी रखने की घोषणा की और कहा कि यदि मुझे कुछ होता है तो इसकी जिम्मेदार सोनिया गांधी होंगी।
विपक्षी दलों ने इमरजेंसी की याद ताजा करने वाली पुलिस कार्रवाई को विपक्ष ने एक सुर से लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। नागरिक सामाजिक संगठनों ने भी शनिवार देर रात की नाटकीय कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा की। जो टीम अन्ना कल तक बाबा से दूरी बनाती दिख रही थी वह भी अब पूरी मजबूती के साथ योग गुरु के साथ खड़ी हो गई है। भाजपा ने रविवार शाम सात बजे से राजघाट पर 24 घंटे का सत्याग्रह शुरू कर दिया है।
बाबा रामदेव और उनके अनुयायियों पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के इशारे पर जिस तरह स्पेशल एक्शन फोर्स ने हमला किया, उससे इमरजेंसी की काली करतूत ताजा हो गई है। इस घटना ने लोकतांत्रिक इतिहास को कलंकित किया है। भाजपा इसकी घोर निंदा करती है। नितिन गडकरी, भाजपा अध्यक्ष
इस अलोकतांत्रिक कृत्य के पीछे सीधे सीधे केंद्र का हाथ है। हम रामलीला मैदान में प्रदर्शनकारियों पर दिल्ली पुलिस की बर्बर कार्रवाई की निंदा करते हैं। हम सुप्रीम कोर्ट से आग्रह करते हें कि वह मीडिया के जरिए इस मामले पर विशेष ध्यान दें और राष्ट्रीय महिला आयोग एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को इसकी स्वतंत्र जांच करने का आदेश दे। मायावती, उत्तर प्रदेश
बाबा रामदेव को जिस तरह रामलीला मैदान से हटाया गया वह दुखी करने वाला है। लोगों को धैर्य बनाए रखना चाहिए। इससे काले धन के खिलाफ लड़ाई और मजबूत होगी। श्री श्री रविशंकर, आर्ट ऑफ लिविंग
भ्रष्टाचार और विदेशी बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने के मुद्दे पर सत्याग्रह कर रहे योग गुरु बाबा रामदेव को गिरफ्तार करना और रामलीला मैदान से सत्याग्रहियों को जबरन भगाया जाना मौलिक अधिकार पर हमले के समान है। नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री बिहार
रामलीला मैदान पर शुक्रवार आधी रात के बाद जो कुछ भी हुआ उससे स्पष्ट हो गया है कि भ्रष्टाचार में डूबी सरकार भ्रष्ट लोगों को बचाने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है। शांतिभूषण, लोकपाल मसौदा समिति के सह-अध्यक्ष
बाबा रामदेव के समर्थकों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई से पता चलता है कि सरकार को शांतिपूर्ण प्रदर्शन स्वीकार नहीं है। संतोष हेगड़े, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश
मैं योग गुरु के आंदोलन के अनेक पहलुओं से असहमत हूं, लेकिन सोते हुए लोगों पर हमले का सबको मिलकर विरोध करना चाहिए। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की राह कांटों भरी है, क्योंकि इसमें कुछ लोगों का अवैध धन और कुछ लोगों की गद्दी दांव पर लगी है। - मेधा पाटकर, सामाजिक कार्यकर्ता
रामलीला मैदान में पुलिस की कार्रवाई ने इस हकीकत को उजागर कर दिया है कि भ्रष्टाचार की जड़े कितनी गहरी हैं। किरण बेदी, पूर्व आईपीएस अधिकारी
रामलीला मैदान में शुक्रवार आधी रात के बाद पुलिस ने जो कुछ भी किया वह जलियांवाला बाग कांड के समान था। यह एक राजनीतिक षडयंत्र था और इसे हमारे लोकतंत्र पर एक बदनुमा धब्बे की तरह याद किया जाएगा। राम माधव, संघ प्रवक्ता
सरकार ने देश के संपूर्ण संत समाज को अपमानित किया है। इस घटना ने ब्रिटिश राज के दिनों की दमन नीतियों की यादें ताजा कर दी है। अशोक सिंहल, विहिप अध्यक्ष
कांग्रेस के एक महासचिव लादेन को ओसामा जी और बाबा रामदेव को ठग कहते हैं। अगर बाबा ठग हैं तो चार केंद्रीय मंत्री उनकी अगवानी को हवाई अड्डे पर क्यों गए थे। अरुण जेटली, भाजपा नेता
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1 टिप्पणी:
बाबा रामदेव से सत्ता के मद में चूर लोग डर गए हैं. जनता सब देख रही है...
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