10 मार्च 2012

समाजवादी पार्टी की जीत 
संपादक
जनता जनार्दन की जय हो. जिसने समाजवादी पार्टी पर भरोसा कर "लूट की छूट" और आतंक के छुपे अजेंडे के 'राक्षस' राज से मुक्ति पाने की अपनी कसक को निकल लिया है, निश्चित रूप से समाजवादी पार्टी को लोगों ने इसीलिए चुना है की यह इनसे तो निजात दिलाने में कामयाब होंगे यह आम अवाम ने कर दिया गया है.
मैं आजतक के चैनल पर श्री नीरज शेखर (सिंह) को सुन रहा था, उनको पता भी नहीं है की मुलायम सिंह हैं क्या ? बड़े बाप के बेटे हैं नीरज शेखर उनको तो यह भी पता नहीं होगा की मुलायम ने उनके बाप स्वर्गीय चंद्र शेखर जी का साथ देकर उस पूरी कौम का कितना नुकसान किये उसका यह मतलब नहीं है नीरज शेखर के मन में जो आये वह कह दें, साझदार व्यक्ति जो भी इनको सुन रहा होगा वह इनकी मानसिक विकृति को देख पा रहा होगा, जिस बयान को दुहराना भी किसी सभ्य व्यक्ति को शोभा नहीं देता .
नीरज शेखर की बातें सामंती सोच से भरी हुयी थी जिससे पूरा मिडिया का 'मन' की ये 'गुंडे' हैं का बयान पर सफाई न देकर स्वीकार रहे थे.
यहीं पर यह साफ़ कर दूँ की इन बातों को जानबूझकर कहा जाता है क्योंकि ये यही मानते हैं की ये किसी जाती विशेष का होने के नाते समझदार हैं, अगर यही मुलायम सिंह चंद्रशेखर (स्वर्गीय) के पुत्र की मदद न करते तो ये साफ हो चुके थे. अमर सिंह की सारी हैसियत ही मुलायम सिंह थे, इसका भी एहसास अब अमर को हो गया होगा ! यदि नहीं तो आने वाले दिनों में हो जाएगा.
इसी तरह की तुलना आद. दिग्विजय सिंह जी एन डी टी वी पर अखिलेश यादव और राहुल गांधी में अंतर बताते  हुए जिस तरह कर रहे थे की राहुल को पूरा देश जानता है पर  अखिलेश यादव को देश के बाहर कौन जानता है. तरस आता है आ.दिग्गी नरेश अभी भी 'सामंती' सोच के साथ विश्लेषण करते हैं यदि उनसे कोई पूछे की आप तो उप्र के बाहर के होते हुए जानते हो तो क्या समझा जाय.
इसीलिए नेताजी कईबार इस तरह के लोगों से धोखा खा जाते रहे हैं. वह अमर सिंह द्वारा हो, मोहनसिंह द्वारा हो, या पुराने लोग जानते हैं की नेता जी को चन्द्र शेखर जी के साथ जाने पर जनता ने वी.पी. सिंह जी को अपना नेता माना था जिसकी वजह से नेताजी को सत्ता से बाहर रहने का जोखिम उठाया .
जातीय विद्वेष की विचारधारा ने इन सामंतों और द्विजों की वजह से समाज जिस कदर विभाजित किया है वह  आज हर जगह दिखाई दे रहा है. अतः यह कह सकते हैं की हमारा समाज इस तरह की बातों से ही दूसरों के व्यक्तित्व को कम कर रहा है .
नहीं तो यादवों का गौरवशाली इतिहास इन भूखों,नंगों,लूटेरों और भ्रष्टों को कैसे मोहताज़ हो जाता. लेकिन इन्ही सामाजिक कुरित्यों के चलते सारा देश इस तरह के प्रपंचों में फस रह जाएगा .
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वैसे तो आज की जीत का सारा श्रेय मुलायम सिंह की बजाय अखिलेश यादव  को जाता है, और उनकी नितिगत रणनीति काम ही नहीं आयी है बल्कि जनता ने विश्वास किया और पूर्ण बहुमत दिया है. निश्चित रूप से अखिलेश यादव ने अपने प्रथम पार्टी की अध्यक्षता की परीक्षा में टॉप कर गए हैं, और यह हक़ बनता है की अपनी टीम के नेत्रित्व का दायित्व संभालें.
यह अलग बात है की अखिलेश जी यह कह रहे हैं की मुख्यमंत्री नेता जी ही बनेंगे, यह उनका संस्कार है पर अब नेता जी को भीष्मपिता के रूप में रखना चाहिए, आराम के साथ एक गुरु की जगह भी होनी चाहिए पिता के दायित्व के साथ जिस दायित्व के निर्वहन हेतु नेता जी ने अखिलेश को चुना है उसका पूर्णत्व प्रदेश का मुखिया बनाने तक का होता है और यही सही वक़्त भी है यह जिम्मेदारी सौपने की.
पहुचता है     
वैसे तो जीत हो गयी समाजवादी पार्टी और पार्टी के हरे रंग में रंगेगी इस बार की होली. समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश में हुई ऐतिहासिक जीत ने उन सभी लोगों के मुंह पर तमाचा मारा है, जो इसे गुंडों की पार्टी कहते थे. हवा-हवाई फाइव स्टार युवराज राहुल गाँधी पर धरती-पुत्र का युवराज अखिलेश यादव भारी पड़ा. इतिहास की इबारत को समझने और पढने की जरुरत है. मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव सहित सभी समाजवादियों को इस जीत पर हार्दिक बधाई. इस बार की होली हरे रंग के नाम, जो की किसानों की जिजीविषा और समृधि का प्रतीक है !
अखिलेश यादव के नेत्रित्व में प्रदेश का विकास एक नया मॉडल बन सकता है यदि टैलेंटेड लोगों को लेकर सरकार चलाते हैं तो. परन्तु ऐसा तभी सम्भव होगा जब वह विकास की जरूरतों को समझेंगे. सैफई प्रदेश नहीं है उसे उसी तरह विकसित करना होगा प्रदेश की तरह नहीं . 

अगली पहल
जो करना है मुख्यमंत्री के रूप में सबसे युवा मुख्यमंत्री को प्रदेश की नयी पीढ़ी के लिए यही नयी पीढ़ी जिसने किसी को नहीं सुना, भले ही अपनी लालच में इन्हें चुना है, केवल और केवल लैपटाप के लिए ही नहीं और न ही बेरोजगारी भत्ते के लिए बल्कि उसने देखा कि उसकी चिन्ता किसको है जहां उसकी चिन्ता थी उसे उसने जम के चुना कैण्डिडेट को नहीं देखा, देखा तो केवल और केवल उसको जो उसकी चिन्ता कर रहा है, यही कारण था कि नेता जी ने इस सच को समझा और उन्होने उस युवा को मौका दिया है, उन युवाओं की इच्छा को पूरा करने के लिए प्रदेश को युवा मुख्यमंत्री मिला है।
घोषणा-पत्र की प्राथमिकताएं तो अपनी जगह है उन्हें करने में ज्यादा वक्त नहीं लगने जा रहा है यदि भ्रष्ट तंत्र पर नियंत्रण हो जाय। क्योंकि प्रदेश को अब और इन्तजार नहीं करना है नाकाबिल और अकर्मण्य मंत्रियों को, अफसरों को और दलालों को यह वक्त है उन्हें बदलने का कर्मठ होने का। इसी कर्मठता से प्रदेश आगे बढ़ेगा। सामाजिक समरसता से छेड़छाड़ करनी होगी सारी हाय तौबा मिडिया का सामाजिक बदलाव की आहट से ही तो है।
लूट की महारानी के दौर में सारा मिडिया मौन था क्यों ? आज सत्ता का हस्तातंरण भी नहीं हुआ पूरे जोर सोर से ‘गुण्डा राज’ की वापसी का कलरव शुरू कराने वाले कौन है इनक पीछे किनको खड़ा कर दिया मिडिया ने। इनसे पूछो किसका दायित्व बनता है ला एण्ड आर्डर का ‘कार्यवाहक मुख्यमंत्री’ का क्या कोई बयान आया उनका, उनकी सत्ता का नियन्त्रण कहां गया, क्या यह न माना जाय कि उनके इशारे पर उन अधिकारियों ने ऐसा उपद्रव कराया हो जिन्हे पता है आने वाली सरकार को ‘बदनाम’ करने के लिए। यह तथ्य तार्किक भी लगते हैं।
फिर भी नेता जी का संरक्षकत्व और उनके भाईयों कि कृपादृष्टि इस युवा मुख्यमंत्री को निश्चित तौर पर अनुभव के अनेक आयाम देंगें। पर डर जिससे लगता है वह है उनके उन कामों से जहां वह नुकसान कर बैठते हैं। जिनमें क्षेत्रियता की बू आती रही है यथा सब कुछ इटावा या सैफई ही है से।
अब नए युवा मुख्यमंत्री को यहां समता का ध्यान देना होगा पूरे प्रदेश का समान विकास कराना होगा वह चाहे पूर्वी उत्तर प्रदेश हो या बुन्देलखण्ड हो। सबको विकास से जोड़ना होगा, नहीं तो प्रदेश की उत्तरोत्तर दुर्दशा होगी और किसी तरह इनके भी 5 वर्ष कट जाएंगे पर कोई नाम लेने वाला नहीं होगा। आजादी के बाद से उपेक्षित ए क्षेत्र अन्ततः किसी न किसी दलाल की बात मानने को तैयार हो जाएंगे और प्रदेश के बटवारे के लिए आन्दोलन कर सरकार को अस्थिर करने का प्रयास करेंगे। अतः इनपर गौर ही नहीं अमल करना होगा-
1. किसानों की समस्याओं को देखना होगा जिसमें उनके कर्ज तथा अनेक समस्याओं से निजात का प्रयास।
2. मजदूरों की समस्याओं को देखना होगा को देखना होगा।
3. कारखानों और उद्यमियों की समस्याओं को देखना होगा।
4. स्वास्थ्य और शिक्षा पर नजर रखना होगा।
5. आवास पीने का पानी तथा बिजली मुहैया करानी होगी।
6. निरंकुश ठेकेदारों की फौज रातोंरात सेठ,राजनेता,सामंत बनने को तैयार बैठे हैं यह सब नेता जी के शरण में आने को आतुर हैं। 
7. राहुल गांधी को काबिल कहने वाले सारे द्विज नेता जी को पीछे गालियां बकने वाले कोई न कोई सम्बन्ध निकाल ही लेंगे।
8. सारे भ्रष्ट अधिकारी शिष्ट होकर शरण में आ जाएंगे और उनके राजकाज इस राज के समापन तक आराम से चल रहे होंगे।
परन्तु इन सबसे दूर खड़ा होगा इनका मतदाता लाईन में भी नहीं और आगे आ रहा होगा घूसखोर। 






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