2 अग॰ 2012

मुलायम सिंह जी की नाराजगी कितनी जायज है -

मुलायम सिंह जी की नाराजगी कितनी जायज है ? 

डॉ.लाल रत्नाकर 


            देखिये अब बात चूँकि निकलकर आ रही है की सरकारी नीतियों से नेता जी खुश नहीं हैं, चुनावी वादों पर अमल नहीं हो पा रहा है, घोषणा पत्र को अमली जामा नहीं पहनाया जा पा रहा है इन सब के पीछे कहीं न कहीं 'मुख्यमंत्री' से ज्यादा मुलायम सिंह जी जिम्मेदार हैं और यही कारण भी है की वह सरकार से खुश नहीं हैं. यह सत्य उन्हें सालता भी होगा.
ऐसे में कोई मुख्यमंत्री क्या कर ही सकता है ?
           इतने बिगड़े हुए लोगों को उन्होंने इस सरकार का कल पुर्जा बनाया है वह कम से कम 'मुख्यमंत्री' के नाते मान. अखिलेश यादव जी तो नहीं करते, बताईये जिस मंत्रीमंडल का आदमी रावन से ज्यादा हाथों से लूटशुरू करेगा तो उसका असर क्या होगा, पैसा के आलावा कोई सोच ही न हो. न निति हो न नियति हो ऐसे सरकार की गति क्या होनी है वही जो पहले हुयी है यदि अखिलेश यादव को आज़ादी न दी गयीं. अपने मंत्रियों की छटनी की या उन्हें बदलने की तो ये पुरे सिस्टम को लेकर डूब जायेंगे। इतना ही नहीं इन्हें विधायक चुनना तो जनता की मजबूरी थी, क्योंकि वहां भी कोई बहुत उचित तरीके से टिकट नहीं दिए गए थे, क्योंकि जनता को इन्हें जिताना नहीं था मायावती को हराना था और मुलायम सिंह को जिताना, उसी चक्कर में जीते हुए ये माटी के माधव हैं, अतः इन्हें उत्तर प्रदेश सौप देना उचित नहीं जान पड़ता.
            अब क्या हो ? सवाल तो यह है सरकार की कार्यप्रणाली और अधिकारी तो बदले नहीं हैं सुना है की मुख्यमंत्री के आस पास जो अधिकारी जमें हैं वो मुख्यमंत्री को सफल मुख्यमंत्री होने देने के लिए नहीं, बल्कि सब कुछ अपने कब्जे में किये रहने के लिए, ये पी. एल. पुनिया हैं न जब नेता जी शासन में 1993 में थे तो 'पुनिया साहब ने इनकी सरकार हाईजैक कर रखे थे, छोड़ा ही नहीं बल्कि उस समय 'मायावती' को मुख्यमंत्री बना दिया, तब भी मैंने यह बात नेता जी को कही थी और जगह थी उ .प्र. निवास उन्होंने नहीं माना कहा अपना आदमी है मैं चुप हो गया था, और मुझे याद है एक बड़े पुलिस अफसर ने नेता जी के एक  बहुत ही करीबी पुलिस इन्स्पेक्टर की हत्या करावा दी थी. कितनी घटनाएँ हैं जिन्हें याद किया जाय .
          आज के माहौल में तब के माहौल में इतना फर्क है तब नेता जी उतने अनुभवी नहीं थे और न ही उनके पास काबिल अफसर थे पर आज तो काबिल अफसर भी हैं और समझदार लोग भी इसलिए मेरी राय तो यही है की अखिलेश जी को एक स्वतंत्र रूप से बतौर मुख्यमंत्री काम करने दिया जाय और उनके ऊपर पुनिया जैसा खतरनाक अफसर न रहने दिया जाय.
          नेताजी यह नवजवान सबकुछ बदल देगा ! पर मौका ऐसे नहीं देना चाहिए, बहुत ज्यादा लिखना अभी अति करना होगा अतः बाद में और बातें भीं निकलेंगी पर गौर करिए कहीं देर न हो जाए. 
          लगता है की नेताजी आश्वस्त नहीं हो पा रहे हैं सरकार से उसका कामकाज ठीक है.   
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इन खबरों के आधार पर -
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मुख्यमंत्री ने स्वीकारा, सरकार से खुश नहीं हैं मुलायम
लखनऊ, एजेंसी
First Published:01-08-12 08:22 PM

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव के राज्य सरकार से नाखुश होने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि वह सपा के नेता हैं। लिहाजा सरकार की गलतियों पर उनका नाराज होना स्वाभाविक है।
सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव द्वारा मंगलवार को सरकार के मंत्रियों तथा विधायकों से अपने कामकाज में सुधार लाने की हिदायत दिये जाने के एक दिन बाद बुधवार को अखिलेश ने संवाददाताओं से बातचीत में इस सम्बन्ध में पूछे गये सवाल पर कहा कि नेताजी हमारे नेता है, जब हमसे कोई गलती होगी तो वह नाराज होंगे। स्वाभाविक है। हम खुद को सुधारकर उन्हें मना लेंगे।
जनता से अपने बेटे अखिलेश के नेतृत्व वाली सरकार से प्रदेश को विकास की राह की तरफ ले जाने के लिये छह माह का वक्त देने की गुजारिश करने वाले सपा प्रमुख ने कल मंत्रियों तथा विधायकों की बैठक में सरकार की छवि बेहतर बनाने के लिये मुस्तैदी से काम करने, नहीं तो कड़े सबक के लिये तैयार रहने की हिदायत दी थी।
मुख्यमंत्री की मौजूदगी में आवास पर कल हुई बैठक में मुलायम सिंह यादव ने मंत्रियों तथा सपा विधायकों की कथित तौर पर खिंचाई करते हुए सपा के चुनाव घोषणापत्र के वादों को पूरा करने के लिये और मेहनत से काम करने की जरूरत बतायी थी। साथ ही आगाह भी किया था कि इसमें विफल होने वाले मंत्रियों अथवा विधायकों को परिणाम भुगतने होंगे।
सूत्रों के मुताबिक सपा प्रमुख ने किसी का नाम लिये बगैर कहा था कि चंद मंत्री ही अपना काम संजीदगी से कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह अन्य मंत्रियों के कामकाज से नाखुश हैं और ऐसे वजीरों को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाना चाहिये।
सूत्रों का कहना है कि सरकार की जारी आलोचना के मद्देनजर सपा प्रमुख ने मंत्रियों और पार्टी विधायकों की यह बैठक निर्धारित समय से पहले बुलायी थी।
-हिंदुस्तान
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दैनिक जागरण से -

नेता जी की नाराजगी दूर करेंगे : अखिलेश

Aug 01, 01:43 pm
लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव द्वारा उत्तार प्रदेश की सपा सरकार के कामकाज पर नाखुशी जाहिर करने के एक दिन बाद बुधवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि वह मुलायम की नाराजगी दूर करेंगे।
अखिलेश ने पांच, कालीदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर विभिन्न विकास योजनाओं के शिलान्यास के लिए तैयार शिलापट्टिकाओं का अनावरण करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि हम अपना कामकाज बेहतर करके नेताजी की नाराजगी दूर करेंगे।
उन्होंने कहा कि वह हम सबके नेता हैं। सपा सरकार के कामकाज में कुछ खामियां रही होंगी, तभी नेता जी नाखुश हुए।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को लोकसभा चुनाव की तैयारियों के सिलसिले में मंत्रियों और विधायकों की बंद कमरे में बुलाई गई बैठक में मुलायम ने अखिलेश सरकार के कामकाज पर नाखुशी जताई थी।
मुलायम ने कहा था कि उन्होंने सपा सरकार को छह माह का समय दिया था। लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी सरकार की तरफ से लोगों के बीच जो संदेश जाना चाहिए, वह अभी तक नहीं जा सका है। मुलायम ने बिना नाम लिए कुछ वरिष्ठ मंत्रियों के कामकाज पर नाखुशी जताई थी।
मुलायम ने कहा था कि अगर सपा सरकार जनता की उम्मीदों के मुताबिक बेहतर काम नहीं कर पाई, तो लोकसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ेगा।
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मुलायम की चिंता दूर नहीं कर पा रही सरकार

लखनऊ/अमर उजाला ब्यूरो
Story Update : Sunday, August 05, 2012    12:52 AM
up government not overcome mulayam concern
नसीहतें, हिदायतें और चेतावनी के बावजूद सरकार का कामकाज मुलायम सिंह यादव की चिंता दूर नहीं हो पा रही है। वह आशंकित हैं कि यही हाल रहा तो लोकसभा चुनाव में पार्टी का परचम फहरा पाना मुश्किल है।
सरकार बनने के बाद पहली बार शनिवार को राज्य कार्यकारिणी की बैठक में सदस्यों के सामने मुलायम ने न सिर्फ अपनी यह चिंता सार्वजनिक की बल्कि सरकार के कामकाज व संगठन की स्थिति के बारे में जनता का फीडबैक लेने की भी अपील की। इसी को आधार बनाकर लोकसभा चुनाव के लिए लिहाज से सरकार की प्राथमिकताएं तय की जा सके।
उन्होंने सदस्यों से कहा कि वे जनता को बताएं कि सपा के संगठन व सरकार को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। इसलिए वह हर मामले में सच्चाई का पता लगाकर ही कोई धारणा बनाएं। बैठक के बाद पार्टी प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी व राष्ट्रीय महासचिव रामआसरे कुशवाहा ने कहा, ‘नेता जी बिल्कुल नाराज नहीं है। वह चाहते हैं कि और अच्छा काम हो।’
मुलायम सिंह यादव ने कहा कि जनता ने विधानसभा चुनाव में सपा का भारी बहुमत दिया है। इसलिए इस बार सरकार के पास यह जनता के लिए काम न करने का कोई बहाना नहीं है। लगभग डेढ़ साल बाद लोकसभा चुनाव होने हैं। अगर जनता की अपेक्षा के अनुसार काम न हुए तो परिणाम विपरीत आ सकते हैं।
यादव ने सरकार के कामकाज के साथ-साथ संगठन से जुड़े लोगों को भी सतर्क व चुस्त-दुरुस्त रहने और जनता के साथ घुल-मिलकर काम करने की सलाह दी। चेताया कि न खुद ऐसा कोई काम करें और न किसी को करने दें जिससे सरकार या संगठन की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़े।
यादव ने लोकसभा चुनाव की चुनौतियों को देखते जनता से निरंतर संवाद पर जोर दिया। कहा कि संगठन से जुड़े लोगों को जनता के दुख-दर्द से जुड़ना चाहिए। जहां कहीं उन्हें लगता है कि सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है वहां उन्हें इसकी चिंता करनी चाहिए। जनता से पूछें कि उन्हें सरकार से और किस तरह के काम की अपेक्षा है। साथ ही उनकी अपेक्षाएं सरकार को बताएं।
पार्टी मुख्यालय पर दिन भर चली इस बैठक में मुख्यमंत्री और सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कार्यकारिणी सदस्यों से सरकार के कामकाज का जनता के बीच प्रचार व प्रसार करने की अपील की। साथ ही अपेक्षा की कि सरकार को बदनाम करने के लिए चल रहे कुचक्र की जनता के बीच पोल खोली जाए।
उन्होंने कहा कि सरकार ने बीते साढ़े चार महीने में पार्टी घोषणा पत्र की कई मांगों को पूरी करने की कोशिश की है। अब कार्यकारिणी के सदस्यों व कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है कि सरकार की योजनाओं व काम का लाभ जनता को दिलाएं। साथ ही योजनाओं की निगरानी करें। कहीं गडबड़ी हो वहां ठीक कराएं। अधिकारियों को बताएं। अगर अधिकारी न सुनें तो सरकार को बताएं।
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