अमर सिंह के गुनाहों को छुपाना सपा को नुकसानदेह हो सकता है इसीसे यह सन्देश चला गया की उसके सारे गुनाहों में सपा जैसे शरीक हो।
एक तरफ अमर सिंह ने मुलायम को गालियों से नवाज़ा और चोरी और हेराफेरी की दूसरी वोर सपा सरकार उसके अपराधों को धोने पर लगी हुयी है .
अमर सिंह पर मेहरबान हुई अखिलेश सरकार
लखनऊ, एजेंसी
First Published:02-11-12 10:46 PM
Last Updated:02-11-12 11:44 PM
उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने समाजवादी पार्टी (सपा) से निष्कासित राज्यसभा सदस्य अमर सिंह के खिलाफ फर्जी कम्पनियों के माध्यम से करोड़ों रुपये की हेराफेरी के मामले को खत्म करने का फैसला लिया है।
अमर सिंह के खिलाफ धन की हेराफेरी मामले में पुलिस ने शुक्रवार को कानपुर में जिला न्यायाधीश ओ.पी. वर्मा की अदालत में अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। याचिकाकर्ता शिवाकांत त्रिपाठी ने संवाददाताओं से कहा कि वह इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ अपील करेंगे।
उधर, अमर सिंह मामले में सपा सरकार का रुख स्पष्ट करते हुए पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, ''हमारी सरकार किसी भी मामले में निष्पक्ष जांच की पक्षधर है। पिछली सरकार के दौरान मामले में जांच ठीक से नहीं हो सकी थी, इसी कारण जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से कानपुर के बाबूपुरवा थाने की पुलिस को स्थानांतरित कर दी गई।''
सूत्रों के अनुसार, पिछले दिनों दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना बुखारी के माध्यम से अमर सिंह ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह के पास अपनी अर्जी भिजवाई कि उनके खिलाफ मायावती सरकार के दौरान दर्ज किया धन की हेराफेरी का मुकदमा वापस ले लिया जाए।
गौरतलब है कि 15 अक्टूबर 2009 को कानपुर के बाबू पुरवा थाने में शिवाकांत त्रिपाठी की शिकायत पर अमर सिंह के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मुलायम सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में उत्तर प्रदेश विकास परिषद के अध्यक्ष के तौर पर अमर सिंह ने कई वित्तीय अनियिमतताएं कीं।
त्रिपाठी द्वारा मामले में पेश किए गए दस्तावेजी सबूतों में बताया गया कि अमर सिंह ने कोलकाता, दिल्ली और कई अन्य जगहों के फर्जी पतों वाली कम्पनियों के माध्यम से धन की हेराफेरी की। तमाम छोटी-छोटी कम्पनियों के सस्ते शेयरों को ऊंचे दामों पर खरीदा गया, फिर फर्जी तरीके से उन्हें बेच दिया गया।
तत्कालीन मायावती सरकार ने मामले की जांच कानपुर पुलिस से आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दी थी।
अमर सिंह के खिलाफ धन की हेराफेरी मामले में पुलिस ने शुक्रवार को कानपुर में जिला न्यायाधीश ओ.पी. वर्मा की अदालत में अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। याचिकाकर्ता शिवाकांत त्रिपाठी ने संवाददाताओं से कहा कि वह इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ अपील करेंगे।
उधर, अमर सिंह मामले में सपा सरकार का रुख स्पष्ट करते हुए पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, ''हमारी सरकार किसी भी मामले में निष्पक्ष जांच की पक्षधर है। पिछली सरकार के दौरान मामले में जांच ठीक से नहीं हो सकी थी, इसी कारण जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से कानपुर के बाबूपुरवा थाने की पुलिस को स्थानांतरित कर दी गई।''
सूत्रों के अनुसार, पिछले दिनों दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना बुखारी के माध्यम से अमर सिंह ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह के पास अपनी अर्जी भिजवाई कि उनके खिलाफ मायावती सरकार के दौरान दर्ज किया धन की हेराफेरी का मुकदमा वापस ले लिया जाए।
गौरतलब है कि 15 अक्टूबर 2009 को कानपुर के बाबू पुरवा थाने में शिवाकांत त्रिपाठी की शिकायत पर अमर सिंह के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मुलायम सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में उत्तर प्रदेश विकास परिषद के अध्यक्ष के तौर पर अमर सिंह ने कई वित्तीय अनियिमतताएं कीं।
त्रिपाठी द्वारा मामले में पेश किए गए दस्तावेजी सबूतों में बताया गया कि अमर सिंह ने कोलकाता, दिल्ली और कई अन्य जगहों के फर्जी पतों वाली कम्पनियों के माध्यम से धन की हेराफेरी की। तमाम छोटी-छोटी कम्पनियों के सस्ते शेयरों को ऊंचे दामों पर खरीदा गया, फिर फर्जी तरीके से उन्हें बेच दिया गया।
तत्कालीन मायावती सरकार ने मामले की जांच कानपुर पुलिस से आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दी थी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें