10 मई 2014

क्या वास्तव में नेताजी आज़मगढ़ की सीट से ही लोक सभा का प्रतिनिधितव करेंगे !

(चुनाव जीते तो मुलायम मैनपुरी के बजाए आजमगढ़ की ही सीट रखेंगे इसका साफ-साफ ऐलान कर प्रो. रामगोपाल यादव ने आजमगढ़ में फैले उस भ्रम को भी दूर किया कि जीत के बाद मुलायम यह सीट छोड़ देंगे और मैनपुरी के सासंद रहेंगे।)
सियासी कद और विकास की आस से सराबोर आजमगढ़
रंजीव आजमगढ़, हिन्दुस्तान

मातबरगंज में इन दिनों शाम के वक्त शर चरम पर है। आजमगढ़ के यह पुराने मुहल्लों में शुमार है और बड़ा बाजार भी। गर्मियों में शाम को ही बाजार में रौनक रहती है और खरीदने-बेचने का शोर भी। उस पर इन दिनों चुनाव प्रचार की गाड़ियों का शोर भारी पड़ रहा है। किसी प्रचार गाड़ी से "मन से मुलायम" तो कोई गाड़ी "अच्छे दिन आने वाले"  के कानाफाड़ चुनावी गीत से माहौल को सराबोर कर रहा है।

आजमगढ़ में 12 मई को वोट पड़ेंगे और प्रचार खत्म होने की उलटी गिनती शुरू हो गई है। लिहाजा दस मई से पहले हर पाला अपनी बात वोटरों तक पहुंचा लेने की हड़बड़ी में है। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के इस बार यहां चुनाव मैदान में उतरने से बेहद महत्वपूर्ण हो गई पूर्वाचल की इस सीट पर सियासी तापमान चरम पर है। मातबरगंज में अर्से से दवा का कारोबार कर रहे रोटरी क्लब की गतिविधियों से जुड़े बुजुर्ग ओंकार प्रसाद अग्रवाल कहते हैं, आजमगढ़ ने एक जमाने से ऐसा चुनाव नहीं देखा।

वजह पूछने पर बोले, इतनी बड़ी शख्सियत के मैदान में उतरने से हम आजमगढ़ियों की आस बढ़ गई है। वरना चुनाव आते थे और चले जाते थे। अबकी हर वोटर इस चुनाव का सहभागी हो गया। बकौल श्री अग्रवाल वह खांटी कांग्रेसी हैं लेकिन उस बार विकास के लिए वोट करेंगे।

दरअसल, आजमगढ़ में मतदान से चार दिन पहले यह मुद्दा अब और प्रखर रूप से स्थापित हो रहा है कि कद्दावर नेता की जीत जिले के विकास की राह भी खोलेगी। मुलायम से आजमगढ़ वालों की यह आस यहां के इलाकाई सपा नेताओं की लापरवाही की चुगली भी करते हैं। जिले से तीन मंत्री हैं लेकिन उनके प्रति असंतोष लगभग हर विधानसभा क्षेत्र में है। इलाकाई नेताओं के प्रति विकास न कराने के इसी असंतोष के कारण प्रो. रामगोपाल यादव, शिवपाल यादव और धर्मेन्द्र यादव सरीखे सपा के वरिष्ठ नेताओं को यहां कैम्प कर कमान अपने हाथ लेनी पड़ी।

चुनाव जीते तो मुलायम मैनपुरी के बजाए आजमगढ़ की ही सीट रखेंगे इसका साफ-साफ ऐलान कर प्रो. रामगोपाल यादव ने आजमगढ़ में फैले उस भ्रम को भी दूर किया कि जीत के बाद मुलायम यह सीट छोड़ देंगे और मैनपुरी के सासंद रहेंगे। भाजपा के टिकट पर लड़ रहे मौजूदा सांसद रमाकांत यादव और बसपा के प्रत्याशी शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के चुनाव प्रचार का यह अब तक का सबसे कारगर हथियार बन रहा था। आजमगढ़ के प्रतिष्ठित शिबली कालेज की प्रबंध समिति से जुड़े पेशे से कर अधिवक्ता तैयब मोहम्मद खां ने कहा, अब किसी को यह भ्रम नहीं कि मुलायम सिंह आजमगढ़ से जीत के बाद इसे छोड़ जाएंगे। बकौल तैयब, आजमगढ़ इस बार विकास के नाम पर वोट करेगा। इसलिए सपा मुखिया जैसे कद्दावर नेता का यहां से जीतना जरूरी है।

दरअसल आजमगढ़ के विकास के मोर्चे पर मुलायम की भारी गठरी यहां के सपा कार्यकर्ताओं को अतिरिक्त आत्मविश्वास भी दे रही है। आजमगढ को मंडल बनाने, राहुल सांकृत्यायन महिला चिकित्सालय,चक्रपाणपुर मेडिकल कालेज को यहां मुलायम के मुख्यमंत्रीत्व काल की देन माना जाता है। आजमगढ़ से ताल्लुक रखने वाले ऑल इंडिया केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के वरिष्ठ पदाधिकारी सुधीर कुमार ने कहा, यहां जो हवाईपट्टी है वह भी मुलायम सिंह ने ही बनवाई। यह न होती तो चुनाव प्रचार के लिए यहां बड़े विमान से उतर रहे नेताओं को पहले की तरह बनारस ही उतरना पड़ता।

समाजवादी पार्टी अगर चुनाव को मुलायम के कद और विकास की आस से जोड़ने की कोशिश में है तो भाजपा और बसपा लड़ाई को त्रिकोणीय बनाए रखने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे। रमाकांत यादव के लिए गुरुवार को यहां नरेन्द्र मोदी ने भी सभा की। जबकि गुड्डू जमाली के लिए मायावती सभा कर चुकी हैं। दोनों यहां मुलायम पर ही हमलावर रहे। रमाकांत की सबसे बड़ी पूंजी इस बार मोदी के नाम पर बना माहौल है। इस संसदीय क्षेत्र के यादव वोटरों के कितने हिस्से को वह सपा की ओर एकमुश्त जाने से रोक सकते है यही उन्हें लड़ाई में बनाए रखने की बड़ा पैमाना है। कुछ ऐसा ही ही गुड्डू जमाली के लिए मुस्लिम वोटरों के जुड़ाव का मामला होगा।

आजमगढ़  की राजनीति को एक अर्से से करीब से देख रहे पेशे से शिक्षक शिवप्रसाद कर्मयोगी ने कहा, जब नेता का कद बड़ा हो और उसके साथ विकास की संभावनाएं जुड़े जाएं तो फिर मतदान आते-आते आज जो मुकाबला त्रिकोणीय लग रहा है वह सीधी लड़ाई में तब्दील हो जाएगा। उनके मुताबिक भाजपा नेता अमित शाह का यह बयान भी आजमगढ़ वालों ने पसंद नहीं किया जिसमें उन्होंने कहा था कि आजमगढ़ आतंक का गढ़ है।

शाह के बयान से शादाब अहमद भी आहत हैं। मूल रूप से संजरपुर के रहने वाले शादाब उर्फ मिस्टर के पुत्र मोहम्मद सैफ बहुचर्चित बाटला हाउस कांड की आतंकी वारदात के आरोपी है और गए छह साल से जेल में हैं। एक कार्यक्रम के सिलसिले में शिबली कालेज आए शादाब ने कहा, भाजपा के नेता पूरे आजमगढ़ को बदनाम और अपमानित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, मेरे बेटे ने अगर वाकई गुनाह किया है तो उसे कानून जो सजा चाहे दे लेकिन अभी तो वह आरोपी ही है। उसे या पूरे आजमगढ़ को कोई आतंक पसंद कैसे ठहरा सकता है भला? शादाब के बयान का इसी कार्यक्रम में आए पंकज अग्रहरी ने भी समर्थन किया। बोले, ऐसे बयानों से बचना चाहिए। शादाब और अग्रहरी की टिप्पणियां इसका संकेत हैं कि  मतदान वाले दिन की ओर तेजी से बढ़ रहे आजमगढ़ में बहस लगातार तेज है। अगले दो दिनों में यह और तेज होगी और सियासी हलचल भी क्योंकि मुलायम समेत कई बड़े नेता अगले दो दिनों में राहुल सांकृत्यायन और कैफी आजमी की इस धरती का सियासी पारा और चढ़ाने आ रहे।

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