3 दिस॰ 2017

सामाजिक न्याय मोर्चा


3 दिसंबर नेहरू सभागार आजमगढ़ में सामाजिक न्याय मोर्चा का सम्मलेन संपन्न। 
"हम लड़ेंगे जब तक दुनिया में लड़ने की जरूरत बाकी है"

साथियों !
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जब मैं यह आलेख तैयार कर रहा था तो यही उम्मीद थी की संघर्ष की धरती पर हमारे युवा जिस आवाज को  बुलंद करने जा रहे हैं निश्चित तौर पर वहां से क्रान्ति का आगाज़ होगा। 

आजमगढ़ के सभी साथियों से निवेदन है कि आप लोग देश के वर्तमान अलोकतांत्रिक भाजपा सरकार के खिलाफ संपन्न होने जा रहे सामाजिक न्याय सम्मेलन में सहभागी बने ताकि राष्ट्रीय स्तर पर बहुजनों के हक्क व अधिकार की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाया जा सके तथा इस देश में हर व्यक्ति को रोटी कपड़ा मकान शिक्षा स्वास्थ्य जैसी बुनियादी समस्याएं मुहैया कराने की हमारी लड़ाई धारदार बने आज जिस प्रकार से दलितों पिछड़ों के आरक्षण पर केंद्र सरकार के द्वारा लगातार कुठाराघात किया जा रहा है और आरक्षण को विभिन्न जातियों के आधार पर बांटने का प्रयास किया जा रहा है उसको विफल किया जाए संघ घोषित भाजपा कि केंद्र व राज्य की सरकारें लगातार आरक्षित वर्ग के लोगों के साथ खिलवाड़ कर रही है और आरक्षण को खत्म कर इस देश में गरीबों मजदूरों पिछड़ों दलितों और अल्पसंख्यकों के हितों को नजरअंदाज कर रही है उसके खिलाफ एक व्यापक जन आंदोलन बनाने की जरूरत है तो आइए 3 दिसंबर नेहरु सभा गार आजमगढ़ और इस महासम्मेलन में अपनी बातों को मजबूती से रखिए।

सामाजिक न्याय आंदोलन को लेकर के जिस तरह से उत्तर प्रदेश के युवा आज तक आक्रामक हैं और वह इस तरह के कार्यक्रम विभिन्न महानगरों में आयोजित कर रहे हैं उससे यह प्रतीत होता है कि एक नई विचारधारा सामाजिक न्याय को ले करके तैयार हो रही है दूसरी तरफ वर्तमान राजनीति के प्रांतीय राजनीतिक दलों के नेता इस विचार से बिल्कुल मुंह मोड़ चुके हैं और निरंतर उस आंदोलन की उपेक्षा कर रहे हैं जिसकी सामाजिक न्याय के पूर्वजों ने अपनी कुर्बानी देकर के हासिल किया था यही कारण है कि आज केंद्र में बैठी सरकार और उसके सिपहसालार सबसे ज्यादा हमलावर उन सामाजिक न्याय की जातियों पर हैं जो आरक्षण के आधार पर विभिन्न संस्थानों में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्षरत हैं।

यही नहीं विभिन्न तरीकों से सामाजिक न्याय के आंदोलन को कमजोर करने का जो सबसे बड़ा काम पिछड़ी जाति और दलित जाति के नेताओं द्वारा किया गया है वह किसी से छुपा हुआ नहीं है अब सवाल यह है कि किस तरह से उस आंदोलन को पुनर्जीवित किया जाए और आम आदमी तक यह आवाज पहुंचे कि हमारी जो वास्तविक लड़ाई है वह अपने किसी नेता को भगवान बनाने की नहीं है बल्कि अपने हक और अधिकार को हासिल करने की लड़ाई है और जिसे लड़ने के लिए किसी तरह से आयातित सेना नहीं लड़ सकती बल्कि वे लोग लड़ेंगे जिनके अधिकारों का सवाल है।

यह काम हमारे संघर्षरत युवा साथी जिसमें मनोज कुमार और गोरखनाथ सलमान से कर रहे हैं मेरी ऐसी शुभकामना है कि इन युवाओं को अपने साथ बहुजन के अन्य साथियों को भी जोड़ना चाहिए और आधी आबादी को भी साथ में लेना चाहिए जिससे समग्र सामाजिक न्याय का बिगुल बजाया जा सके एक तरह से हम यह भी कह सकते हैं कि समग्र न्याय की अवधारणा से ही आने वाले दिनों में हमारी जरूरतें पूरी होगी और उन पर हमें वैचारिक रूप से आगे बढ़ना होगा।

जो लोग शोषक जातियों के हथकंडे नहीं समझते उन्हें यह नहीं पता कि आज देश कांटेक्ट पद्धति पर लोगों को नौकरियां दे रहा है जिसमें आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं की गई है और धीरे-धीरे उन तमाम जगहों को अपने लोगों से भर कर के उन्हें परमानेंट कर देंगे और इस लड़ाई को हम न्यायालय में भी चुनौती नहीं दे पाएंगे इसलिए सरकार में भी हमें आना है सत्ता भी हमारी होनी है और हमें न्याय पालिकाओं में भी अपनी जगह बनानी है जिससे हर तरह की लड़ाई में हमारे लोग आगे रहें और हमारे साथ अन्याय हो सके।


आयोजन :



3 दिसंबर को बाबू चंद्रजीत जी की सामाजिक न्याय धरती धरती तथा कैफ़ी साहब के सामाजिक सौहार्द की धरती पर गूंजा सामाजिक न्याय..... सामाजिक न्याय के इस आजमगढ़ सम्मेलन में उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सभाजीत यादव सहित विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव राजभर पूर्व सांसद रामकृष्ण पूर्व सांसद बलिहारी जी सामाजिक न्याय मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज यादव ने भाग लिया... दलित पिछड़ा अल्पसंख्यकों की लड़ाई को आगे बढ़ाते हुए मनोज यादव ने कहा किस देश में एक कर प्रणाली हो सकती है तो एक शिक्षा की नीति क्यों नहीं हो सकती है ?इस देश को इस देश को विपक्ष मुक्त भारत नहीं बेरोजगारी, भुखमरी आतंकवाद मुक्त ,नक्सलवाद मुक्त ,भयमुक्त, लोक कल्याणकारी भारत बनाने की जरूरत है........


सम्मेलन को सफल बनाने में मुख्य रूप से आजमगढ़ के साथियों लव यादव जी, ऋषिदेव पिंकी यादव अरुण यादव,अशोक यादव मास्टर साहब संतोष यदुवंशम जी, हरेन्द्र वेनवंशी,अधिवक्ता रामजीत जी काविशेष आभार व धन्यवाद।

(गोरखनाथ के फेसबुक से साभार)

आलोक नाथ सामाजिक न्याय सम्मेलन,आजमगढ़, उ.प्र.।
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आजमगढ़ सामाजिक न्याय सम्मेलन कई मायनों में ऐतिहासिक रहा,और आजमगढ़,सामाजिक न्याय सम्मेलन में अपने चिरपरिचित अंदाज में शामिल हुआ।आज तक के सामाजिक न्याय मोर्चा के सामाजिक न्याय स
म्मेलनों में से सबसे अधिक सफल और दिशा के अनुरुप था। जन संपर्क के समय लोगों से मुलाकात और सम्मेलन में उपस्थित लोगों के हाव भाव से लग रहा था कि क्रांति की बीज बोई जा चुकी है, सिर्फ अंकुरित होना बाकी है।सम्मेलन में राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मनोज यादव, पूर्व सांसद श्री बलिहारी बाबू,पूर्व विधानसभा अध्यक्ष,श्री सुखदेव राजभर के संबोधन विशेष आकर्षण का केन्द्र था,के समय जनता अपने अधिकारों के उग्र होकर ताली पीटने और मेज थपथपाकर जता रही थी कि राजनीतिक ज्वालामुखी तैयार है, बस फूटने का बहाना खोज रही है।इस बहुजन जनता अधिकारों को पाने के लिए औ निजाम बदलने के लिए गंभीर थी।हम विश्वविद्यालय, कॉलेज के युवाओं पर विशेष जिम्मेदारी है कि समाज की मांशा को भांप कर दिशा जाए और बहुजनों राजनीति को बर्बाद होने से बचाया जाए।

आलोक नाथ सिंह 'भंटू'
सामाजिक न्याय मोर्चा

हमें अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए ऐसे ही आन्दोलनों की ज़रूरत है जिस दिन हमारी अवाम को इस बात का भान हो जाएगा कि जो हमारा नेतृत्व है वह नकारा है और उसे हमारे मुद्दों की जानकारी नहीं है वह केवल मेरे इमोशन का इस्तेमाल कर दलालों की नियत पर खेल रहा है और उनके इशारे पर काम कर रहा है तब हमारी अवाम का मन संघर्ष के लिए पुनः विचलित होगा और नया संघर्ष खड़ा होगा। तब हमें नए नेतृत्व की जरुरत पड़ेगी जो अभी नए नेतृत्व की उसी  ज़रूरत को पूरा  लिए खोज जारी रखनी है। और यह उम्मीद है की यह काम पूर्वांचल के नौजवानों द्वारा जल्दी ही संपन्न होगा जब वे मौजूदा परिवारवाद को चुनौती भी देगा और नेतृत्व भी। 

मेरी शुभकामनाएं और संघर्ष के लिए उन्हें प्रेरणा देना अपना कर्तव्य है और मैं हमेशा उनको नैतिक आंदोलन के लिए अग्रसर करने का काम करता रहूंगा ऐसा मेरा विश्वास है।



डॉ.लाल रत्नाकर



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